नई दिल्ली: फिल्म निर्माता मेघना गुलजार महिला प्रधान या पुरुष केंद्रित फिल्मों के बीच भेदभाव से सहमत नहीं हैं. उनका कहना है कि फिल्में फिल्में होती हैं, चाहे उसमें किसी भी लिंग की प्रधानता हो. मेघना ने बताया, " महिलाओं को अच्छा बॉक्स ऑफिस नंबर नहीं मिलना, बहुत ही थका हुआ तर्क है. क्योंकि व्यापार जगत खुद ही कह रहा है कि दर्शक महिला प्रधान या पुरुष केंद्रित फिल्मों के बीच भेदभाव नहीं करते हैं."

फिल्म 'राजी' की निर्माता ने कहा, "बात यह है कि जब हम पुरुष केंद्रित फिल्में नहीं बोलते हैं, तो हम महिला प्रधान फिल्में क्यों कहते हैं. हमें इस भेदभाव को खत्म करने की जरूरत है. फिल्में फिल्में हैं. अच्छी फिल्में काम करती हैं और खराब फिल्में पिटती हैं."

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मेघना ने 2002 में सरोगेसी के विषय पर अपनी पहली फिल्म 'फिलहाल' के साथ बॉलीवुड में हाथ आजमाया था. साथ ही उन्होंने ' जस्ट मैरिड : विवाह केवल शुरुआत है' में असंगतता से निपटने वाले नवविवाहित जोड़े की कहानी सुनाई थी.

उन्होंने 'तलवार' के साथ आरुषि तलवार हत्या मामले को पर्दे पर पेश किया था. और हाल ही में उन्होंने आलिया भट्ट-अभिनीत 'राजी' के साथ पर्दे पर अपनी चमक बिखेरी. अब वह फील्ड मार्शल सैम मानेकशॉ की बायोपिक पर काम कर रही हैं.