Vikram Bhatt Facing Fibromyalgia: 'भेड़िया' एक्टर वरुण धवन के अलावा एक्ट्रेस सामंथा रुथ प्रभु भी एक रेयर बीमारी से जूझ रही हैं. हाल ही में दोनों ने इस बारे में जानकारी दी थी. समांथा ने सोशल मीडिया पर शेयर किया था कि उन्हें मायोसिटिस नामक एक ऑटोइम्यून स्थिति का पता चला था.


इस रेयर बीमारी से मांसपेशियों में कमजोरी हो जाती है और दर्द होता है. वहीं डायरेक्टर विक्रम भट्ट भी एक हेल्थ इश्यू का सामना कर रहे विक्रम भट्ट को 18 साल पहले फाइब्रोमायल्जिया का पता चला था. इस बीमारी की वजह से मसल्स में काफी दर्द रहता है. इसके चलते मरीज को थकान, नींद, यादशात और मूड संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ता है. विक्रम भट्ट ने भी सामंथा के पोस्ट से इंस्पायर होकर, अपनी बीमारी को लेकर चुप्पी तोड़ने का फैसला किया है.


18 सालों से बीमारी से लड़ रहे हैं विक्रम भट्ट


बॉम्बे टाइम्स से बातचीत के दौरान विक्रम भट्ट ने बताया, “मैं पिछले 18 सालों से परेशान हूं. सामंथा के मामले में, मायोसिटिस मांसपेशियों की कमजोरी का कारण बनता है, और मेरे मामले में, फाइब्रोमायल्जिया से मांसपेशियों में तेज दर्द होता है. आप दर्द को अलग तरह से प्रोसेस करते हैं. एक नॉर्मल इंसान के लिए जो दर्द नहीं हो सकता है वह मेरे लिए बहुत दर्दनाक है. इनमें से किसी भी बीमारी का कोई इलाज नहीं है, क्योंकि यह आपका शरीर आप पर हमला कर रहा है. ऐसे दिन होते हैं जब आप भड़क जाते हैं, और ऐसे दिन होते हैं जब आप बेहतर होते हैं. ध्यान या अच्छी नींद जैसी आध्यात्मिक चीजें ही मदद कर सकती हैं.


बीमारी की वजह से बहुत कुछ छिन गया


विक्रम भट्ट् आगे कहते हैं कि मैं भाग्यशाली हूं कि मेरे पास एक अच्छा सपोर्ट सिस्टम है, लेकिन यह मुश्किल है. यह एक कठिन यात्रा रही है जिसने मुझसे बहुत कुछ छीन लिया है लेकिन साथ ही मुझे मजबूत भी बनाया है. मैं समांथा के पास पहुंचना चाहता हूं और उसे बताना चाहता हूं कि अगर मैं इसे बना सकता हूं, तो आप भी कर सकते हैं. मुझे बहुत खुशी है कि उसने बात की. छुपाने में उतनी ही ताकत लगती है जितनी दर्द से लड़ने में."


बीमारी को डायग्नोज करना नहीं था आसान


विक्रम बताते हैं कि उनकी बीमारी को डायग्नोज करना और उसका ट्रीटमेंट करना आसान नहीं था. उन्होंने समझाया, "पहले चार वर्षों में जब इसका पता चला, तो मुझे खुद नहीं पता था कि क्या चल रहा है. आपको माइग्रेन, बदन दर्द, डिप्रेशन हो जाता है. आपको लगता है कि वे सभी अलग-अलग बीमारियां हैं और आप उन्हें अलग-अलग ठीक करने की कोशिश करते हैं. मेरी एक फिजियोथेरेपिस्ट मित्र, डॉ. राशी अग्रवाल, ने मुझे फाइब्रोमायल्जिया के रूप में इस सिचुएशन को डायग्नोज करने में मदद की.  वह थी जिसने इसका पता लगाया क्योंकि मैं फिजियोथेरेपी के लिए जाता था और मैं अभी ठीक नहीं हो रहा था. कुछ डॉक्टरों ने मुझे यह भी बताया कि यह सब आपके दिमाग में है और Fibromyalgia नहीं है.


दर्द सहने वाला ही जानता है कि कितना गंभीर हो सकता है


विक्रम कहते हैं कि मेडिकल कम्यूनिटी का एक हिस्सा है जो कहता है कि यह सिर्फ मन की स्थिति है. दर्द सहने वाला ही जानता है कि यह कितना गंभीर हो सकता है. मैं इलाज के लिए लॉस एंजिल्स में एक डॉक्टर के पास भी गया, जिसने मेरी बहुत मदद की लेकिन आखिरकार यह आपकी जीवनशैली भी है. आप केवल इतनी सारी दर्दनिवारक दवाएं ही ले सकते हैं. मैं सुनिश्चित करता हूं कि मैं जल्दी सो जाऊं और कम से कम 7-8 घंटे की नींद लूं, उन चीजों को कम कर दूं जो तनाव पैदा करती हैं. मैं न तो ड्रिंक करता हूं और ना ही स्मोकिंग करता हूं.


हेल्थ सिचुएशन से निपटने में दो कविताओं ने की मदद


आध्यात्मिकता और एक बेहतर लाइफ स्टाइल से परे, यह कुछ गुड राइटिंग थी जिसने विक्रम को आगे बढ़ने में मदद की. उन्होंने कहा, “दो कविताएं थीं जिन्होंने इस हेल्थ सिचुएशन से निपटने में मेरी बहुत मदद की. एक थी हरिवंश राय बच्चन की अग्निपथ और दूसरी थी इनविक्टस, वह कविता जिसने नेल्सन मंडेला को जेल में जिंदा रखा. न केवल जीवित बल्कि उन्हें आशा और दृढ़ संकल्प दिया. मैं इन कविताओं को दिल से जानता हूं.''


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