Vinod Khanna Stardom: हिंदी सिनेमाक के पहले मेल सुपरस्टार राजेश खन्ना को कहा जाता है. राजेश खन्ना के बाद ये टैग अमिताभ बच्चन को मिला लेकिन जब ये दोनों फिल्मों में एक्टिव थे तो उन्हें एक एक्टर से डर था. उस एक्टर का नाम विनोद खन्ना है जो हिंदी सिनेमा के दिग्गज अभिनेता थे और उन्हें भूलना नामुमकिन हैं.


विनोद खन्ना ने शुरुआती समय में बैक टू बैक फिल्में दीं जो सुपरहिट रहीं. जब उनका करियर पीक पर जाने लगा तभी उन्होंने एक ऐसा फैसला लिया जिसने फैंस को झटका और अमिताभ बच्चन या राजेश खन्ना का राहत दी थी. चलिए बताते हैं बॉलीवुड का ये दिलचस्प किस्सा क्या है?


विनोद खन्ना से डर गए थे अमिताभ बच्चन और राजेश खन्ना?


1968 में विनोद खन्ना ने फिल्म मन का गीत से बॉलीवुड डेब्यू किया था. इसी के एक साल बाद अमिताभ बच्चन ने फिल्म सात हिंदुस्तानी से डेब्यू किये थे. उस दौर में राजेश खन्ना सुपरस्टार बन चुके थे. विनोद खन्ना की फिल्में साल 1974 से बैक टू बैक हिट होती गईं जिसमें 'हम तुम वो', 'मेरे अपने', 'अचानक', 'इम्तिहान', हालांकि इसके अलावा कुछ ऐसी फिल्में थीं जिनमें अमिताभ बच्चन या दुसरे एक्टर्स रहे लेकिन फिर भी विनोद खन्ना के काम को खूब सराहा गया.






उन फिल्मों में 'अमर अकबर एंथोनी', 'परवरिश', 'मुकद्दर का सिकंदर' जैसी फिल्में शामिल हैं. साल 1982 तक आते-आते अमिताभ बच्चन का करियर भी पीक पर था और विनोद खन्ना का भी था. बताया जाता है कि विनोद खन्ना को फिल्मों से निकलवाया जाता था, उनके सीन काटे जाते थे फिर भी उनकी लोकप्रियता बढ़ ही रही थी.


मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, उस दौर में अमिताभ बच्चन या राजेश खन्ना इंटरव्यूज भी देते थे तो विनोद खन्ना के बारे में बात नहीं करते थे. हालांकि, अमिताभ बच्चन के साथ उनकी दोस्ती आखिरी समय तक बनी रही.


कई प्रोड्यूसर्स ने इस बात को एक्सेप्ट किया था कि बड़े स्टार्स को अपने स्टारडम की कुर्सी डगमगाती नजर आ रही है उनमें काका और बिग बी जैसे कलाकार शामिल हैं. सभी जानते थे उस समय विनोद खन्ना ही पॉपुलर हो रहे थे लेकिन 1982 के बाद विनोद खन्ना ने संन्यास लेने का फैसला ले लिया. इस खबर ने पूरी इंडस्ट्री को हिलाकर रख दिया था.


विनोद खन्ना ने क्यों लिया था संन्यास?


विनोद खन्ना ने साल 1982 में ऐलान कर दिया था कि वो मोह-माया त्यागकर सबसे दूर ओशो की शरण में जा रहे हैं. उस समय उनकी वाइफ और दो बेटे (अक्षय खन्ना और राहुल खन्ना) थे. उस समय विनोद खन्ना को उनके परिवार वालों ने, दोस्तों ने और कई प्रोड्यूसर्स ने रोकने की कोशिश की लेकिन वो नहीं माने और USA ओशो के पास चले गए.






विनोद खन्ना ने एक इंटरव्यू में बताया था कि जब वो वहां गए और अपने बारे में बताया तब ओशो ने उन्हें वापस लौटने को कहा. उन्होंने कहा था कि विनोद खन्ना का परिवार है जिनसे उन्हें अभी मुंह नहीं मोड़ना चाहिए. हालांकि कई साल बाद विनोद खन्ना को अपने परिवार की याद आई तो साल 1986 में लौट आए.


विनोद खन्ना की कमबैक फिल्में


साल 1986 में विनोद खन्ना लौटे और साल 1987 में उनकी कमबैक के बाद पहली फिल्म इंसाफ रिलीज हुई जिसमें उनके अपोजिट डिंपल कपाड़िया थीं. इसके बाद 'कुर्बानी', 'दयावान', 'चांदनी', 'खून का कर्ज', 'सीआईडी', 'जुर्म', 'ईना मीना डीका' जैसी फिल्में कीं और ज्यादातर सफल रहीं. विनोद खन्ना की आखिरी फिल्म 2015 में आई 'दिलवाले' थी जिसमें वो शाहरुख खान के पिता बने थे. इसके बाद वो बीमार रहने लगे और 27 अप्रैल को 70 साल की उम्र में उनका निधन हो गया था.


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