Waheeda Rehman Dada Saheb Phalke Award: एक ऐसी अदाकारा, जिन्होंने कभी डॉक्टर बनने का सपना देखा था. शौकिया तौर पर डांस सीखने के लिए पैरों में घुंघरु क्या बांधे, किस्मत उन्हें अभिनय की दुनिया में खींच लाई. एक ऐसी एक्ट्रेस, जिन्होंने सिनेमा की दुनिया में कदम तो रखा, लेकिन काम अपनी ही शर्तों पर किया. न नाम बदलने के लिए तैयार हुईं और ना ही रिवीलिंग कपड़े पहनने के लिए हामी भरी. ऐसा करने वाली अभिनेत्री कोई नहीं, बल्कि वहीदा रहमान हैं, जिन्हें हाल ही में दादा साहेब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया गया. आइए आपको फिल्म इंडस्ट्री में वहीदा के सफरनामे से रूबरू कराते हैं.


डॉक्टर बनना चाहती थीं वहीदा रहमान
दादा साहेब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित वहीदा रहमान ने कभी एक्टिंग की दुनिया में कदम रखने के बारे में सोचा तक नहीं था. वह तो डॉक्टर बनना चाहती थीं. एक इंटरव्यू में उन्होंने बताया था कि उस दौर में मुस्लिम महिलाओं के लिए डॉक्टरी ही सबसे मुफीद पेशा माना जाता था. मेरे पिता सिविल सर्विस में थे, जिसके चलते उन्होंने मुझ पर कभी कोई पाबंदी नहीं लगाई. जब मेरा डांस सीखने का मन हुआ तो उन्होंने प्रोत्साहित किया और मैं पढ़ाई के साथ-साथ डांस भी सीखने लगी. 


एक्टिंग की दुनिया में ऐसे हुई थी एंट्री
वहीदा जब महज 13 साल की थीं, उस दौरान उनके पिता का इंतकाल हो गया. ऐसे में उन्होंने अपने सपनों का गला खुद ही घोंट दिया और परिवार की हालत सुधारने के मद्देनजर फिल्मों में काम करना कबूल कर लिया. वहीदा रहमान के करियर की शुरुआत तेलुगु फिल्म इंडस्ट्री से हुई. सबसे पहले वह फिल्म रोजुलू मरायी और जयसिम्हा में नजर आई थीं. उस वक्त वह फिल्मों में आइटम नंबर करती थीं.


यूं बन गईं बॉलीवुड की 'गाइड'


जब वहीदा साउथ की फिल्मों में अपना जलवा बिखेर रही थीं, उस दौरान उन पर गुरु दत्त की नजर पड़ी. गुरु दत्त ने वहीदा को क्राइम थ्रिलर फिल्म सीआईडी ऑफर की और बॉलीवुड में एक्ट्रेस का सफर शुरू हो गया. इसके बाद वह गुरु दत्त के साथ प्यासा, 12 ओ क्लॉक, कागज के फूल, चौदहवीं का चांद के अलावा साहब बीवी और गुलाम में नजर आईं. साल 1965 के दौरान विजय आनंद ने फिल्म गाइड बनाई, जिसमें अहम भूमिका निभाकर वहीदा रहमान ने हर किसी को अपना मुरीद बना लिया. 


वहीदा की शर्तों के सामने झुके गुरु दत्त


जब गुरु दत्त ने वहीदा को अपनी फिल्म सीआईडी में काम करने का ऑफर दिया, तब उन्होंने अभिनेत्री के साथ नाम बदलने का प्रस्ताव भी रखा. दरअसल, उस दौर की तमाम टॉप एक्ट्रेस स्क्रीन नेम बदलकर ही फिल्मों में काम करती थीं. ऐसे में गुरु दत्त ने उन्हें भी कोई लुभावना नाम रखने की सलाह दी, जिसे वहीदा ने सिरे से खारिज कर दिया. इसके बाद वहीदा ने दो शर्तें भी रखीं. उन्होंने कहा था कि उनकी मां हमेशा सेट पर आएंगी और वह फिल्मों में कभी रिवीलिंग ड्रेस नहीं पहनेंगी. गुरु दत्त ने आखिरकार वहीदा की शर्तें मान ली थीं.


जब अमिताभ बच्चन को जड़ा था चांटा


साल 1971 के दौरान वहीदा रहमान ने फिल्म रेशमा और शेरा में अमिताभ बच्चन के साथ काम किया. इस फिल्म के एक सीन में उन्हें बिग बी को चांटा मारना था. वहीदा ने अमिताभ से कहा कि वह बहुत जोर से चांटा मारेंगी. बिग बी ने इस बात को हल्के में लिया, लेकिन शॉट की शूटिंग के दौरान वहीदा रहमान ने बेहद करारा थप्पड़ जड़ दिया था. इसके बाद अमिताभ अपना गाल सहलाते रह गए थे. 


गुरु दत्त की मौत के लिए ठहराई गईं जिम्मेदार


आपको यह जानकर हैरानी होगी कि वहीदा रहमान ने जिस शख्स से बेइंतहा मोहब्बत की, उन्हें उसकी ही मौत के लिए जिम्मेदार भी ठहराया गया. दरअसल, फिल्मों में काम करते-करते वहीदा रहमान और गुरु दत्त बेहद करीब आ गए थे. एक वक्त तो ऐसा भी आ गया था, जब गुरु दत्त वहीदा के बिना कोई भी फिल्म बनाने के लिए तैयार ही नहीं होते थे. हालांकि, गीता दत्त से रिश्ता बचाने के लिए उन्होंने वहीदा का साथ छोड़ दिया, लेकिन इस गम से उबर नहीं पाए. 10 अक्टूबर 1964 के दिन ज्यादा शराब पीने और नींद की गोलियों की ओवरडोज की वजह से गुरु दत्त का निधन हो गया, जिसके पीछे वहीदा रहमान को ही जिम्मेदार ठहराया गया. हालांकि, वहीदा ने कभी हार नहीं मानी.


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