Waheeda Rahman: डॉक्टर बनना चाहती थीं वहीदा रहमान, पर बनना पड़ गया एक्ट्रेस, जानें क्या थी मजबूरी?
Waheeda Rahman: अपनी अदाकारी से उन्होंने वह मुकाम हासिल किया कि जमाना आज भी उन्हें सलाम ठोंक रहा है. बात हो रही है वहीदा रहमान की, जिन्हें दादासाहेब फाल्के पुरस्कार देने का एलान हुआ है.
Waheeda Rahman Unknown Facts: वह बॉलीवुड की ऐसी अदाकारा हैं, जिन्होंने अपनी एक्टिंग का जलवा करीब पांच दशक तक दिखाया. इस योगदान के लिए उन्हें भारतीय सिनेमा के सबसे बड़े खिताब दादासाहेब फाल्के लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड 2023 के लिए चुना गया है. यकीनन बात हो रही है वहीदा रहमान की, जो अब तक तीन फिल्मफेयर अवॉर्ड अपने नाम कर चुकी हैं. वहीं, पद्मश्री और पद्म भूषण से भी नवाजी जा चुकी हैं. आपको यह बात जानकर हैरानी होगी कि वहीदा एक्ट्रेस बनना ही नहीं चाहती थीं. उनका सपना डॉक्टर बनने का था. आइए जानते हैं कि ऐसी क्या मजबूरी रही, जिसके चलते उन्हें अपना सपना अपने ही हाथों तोड़ना पड़ गया?
बचपन में ही सीख लिया था भरतनाट्यम
तमिलनाडु की राजधानी चेन्नई में 3 फरवरी 1938 के दिन एक मुस्लिम परिवार में जन्मी वहीदा रहमान भले ही फिल्मों से दूर नजर आती हैं, लेकिन वह किसी पहचान की मोहताज नहीं हैं. उनके पिता उस जमाने में डिस्ट्रिक्ट कमिश्नर थे और वहीदा अपनी चार बहनों में सबसे छोटी थीं. उनकी बड़ी बहन शास्त्रीय नृत्य भरतनाट्यम की ट्रेनिंग लेने जाती थीं, जिसके चलते वहीदा भी भरतनाट्यम सीखने लगीं. जल्द ही वह शास्त्रीय संगीत की इस विधा में पारंगत हो गईं, जिसके बाद उनके पास फिल्मों के ऑफर आने लगे. हालांकि, वह एक्टिंग की दुनिया में कदम रखना ही नहीं चाहती थीं, क्योंकि उनका सपना डॉक्टर बनने का था.
इस वजह से घोंटा अपनी खुशियों का गला
आप यह बात जानकर हैरान रह जाएंगे कि वहीदा रहमान ने अपने सपनों को खुद ही चकनाचूर किया था. दरअसल, जब वह 13 साल की थीं, उस दौरान उनके पिता का निधन हो गया. परिवार की हालत को देखते हुए वहीदा ने डॉक्टर बनने के सपनों को ठोकर मार दी और पैसों के लिए सिनेमा की दुनिया की तरफ कदम बढ़ा दिए. वहीदा ने अपने करियर की शुरुआत तेलुगु फिल्म रोजुलू मरायी और जयसिम्हा से की थी. इसके बाद उनकी मुलाकात गुरुदत्त से हो गई और वह बॉम्बे (अब मुंबई) आ गईं.
जब वहीदा के सामने गुरुदत्त ने टेके घुटने
गुरुदत्त ने वहीदा को फिल्म सीआईडी में काम करने का ऑफर दिया. वह चाहते थे कि दिलीप कुमार और मधुबाला की तरह वहीदा भी अपना स्क्रीन नेम बदल लें. हालांकि, वहीदा ने इससे साफ इनकार कर दिया. उन्होंने दो शर्तें रखीं. पहली यह कि मां उनके साथ सेट पर आएंगी और दूसरी कि वह फिल्मों में अपने कॉस्टयूम वह खुद तय करेंगी. रिवीलिंग या बिकिनी जैसे कपड़े नहीं पहनेंगी. यह वह दौर था, जब गुरुदत्त के साथ काम करने के लिए बड़े से बड़ा सितारा तैयार रहता था, लेकिन 17 साल की वहीदा ने इतने बेबाक अंदाज में अपनी बातें कहीं कि गुरुदत्त भी उनके फैन हो गए. दोनों ने प्यासा, कागज के फूल, साहिब बीवी और गुलाम आदि फिल्मों में एक साथ काम किया, जिसके चलते उनकी नजदीकियां बढ़ती चली गईं. हालांकि, गुरुदत्त और वहीदा की मोहब्बत परवान नहीं चढ़ सकी, क्योंकि गुरुदत्त पहले से शादीशुदा थे.