Raju Srivastav Unknown Facts: इश्क में सब्र न हो तो इश्क कैसा... शायद यह बात हमारे गजोधर भइया यानी राजू श्रीवास्तव काफी पहले समझ गए थे, तभी उन्होंने 12 बरस तक अपनी मोहब्बत का इंतजार किया और साल 1993 में आज ही के दिन यानी 1 जुलाई को शिखा को अपना हमसफर बना लिया. राजू श्रीवास्तव भले ही इस दुनिया में नहीं हैं, लेकिन उनकी प्रेम कहानी अमर है. आज उनकी शादी की सालगिरह के मौके पर हम आपको उनकी लव स्टोरी से रूबरू करा रहे हैं. 


भाभी की बहन पर आया दिल


25 दिसंबर 1963 के दिन कानपुर के बाबूपुरवा में जन्मे राजू श्रीवास्तव की प्रेम कहानी किसी फिल्म की स्टोरी से कम नहीं है. दरअसल, उनकी लव स्टोरी की शुरुआत हुई थी साल 1981 में... हुआ यूं था कि 1981 में उनके बड़े भाई की शादी फतेहपुर तय हुई थी. कानपुर से बरात के साथ वह भी गए थे और वहां एक लड़की को देखकर अपना दिल लुटा आए. उन्हें उस लड़की से पहली ही नजर में प्यार हो गया था और यह तय कर लिया था कि शादी तो इसी लड़की से करूंगा. इसके बाद उन्होंने उस लड़की के बारे में छानबीन की तो पता चला कि वह भाभी के चाचा की बेटी शिखा है. 


लगाने लगे इटावा के चक्कर


अब प्यार में पड़ा लड़का अगर लड़की के घर के चक्कर न लगाए तो वह आशिक कैसा.. तो ऐसा ही हाल राजू श्रीवास्तव का भी हो गया था. उन्हें पता लग गया था कि शिखा इटावा में रहती हैं तो वह वहां बार-बार जाने का कोई न कोई बहाना ढूंढने लगे. शिखा के भाइयों से भी दोस्ती गांठ ली, लेकिन अपने दिल की बात अपनी दिलरुबा को बताने की हिम्मत नहीं जुटा पाए. 


12 साल तक किया इंतजार


प्यार में पड़े राजू को एक बात तो समझ आ चुकी थी कि अगर वह शिखा को अपना बनाना चाहते हैं तो पहले उन्हें खुद कुछ बनना पड़ेगा. यह बात समझकर वह अपनी किस्मत आजमाने के लिए साल 1982 में मुंबई रवाना हो गए. वहां राजू का संघर्ष शुरू हो गया था, लेकिन शिखा का हाल-चाल जानने के लिए वह लगातार उनके घर चिट्ठी भेजते रहते थे. हालांकि, अपने दिल की बात सीधे तौर पर लिखने की हिम्मत उनमें कभी नहीं हुई. उधर, शिखा ने कभी खुलकर कोई जवाब नहीं दिया. हालांकि, वह तब तक आने वाले सभी रिश्तों को ठुकराती रहीं.


यूं अंजाम पर पहुंची मोहब्बत


जब राजू को लगा कि वह इस मुकाम पर पहुंच चुके हैं कि शिखा को अपना हमसफर बना सकते हैं तो उन्होंने अपने घरवालों के माध्यम से शिखा के घर रिश्ते की बात पहुंचा दी. कुछ दिन बाद शिखा के भाई राजू के मलाड वाले घर पहुंचे और रिश्ता पक्का कर दिया. आखिरकार 12 साल तक मोहब्बत की तपस्या करने के बाद 1 जुलाई 1993 के दिन राजू और शिखा की शादी हो गई.


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