जब दारा सिंह करते थे दूसरी हीरोइन के साथ एक्टिंग, तब देखकर गुस्सा हो जाती थीं पत्नी
टीवी से दारा सिंह का नाता बाद में जुड़ा इससे पहे उन्होंने कई फिल्मों में एक्टिंग की थी. उनकी निजी जिंदगी का एक खास किस्सा है.
लॉकडाउन के दौरान जनता की भारी डिमांड पर दूरदर्शन पर एक बार फिर से 'रामायण' सीरियल शुरू किया गया है. इस सीरियल के प्रति लोगों की बेताबी सिर चढ़ देखी गई. आम लोगों से लेकर सेलिब्रिटीज़ तक ने अपने घरों में इस सीरियल का आनंद लिया, जिसकी बदौलत 'रामायण' देशभर में सबसे ज्यादा देखा जाने वाला सीरियल बन गया है.
रामायण सीरियल में हनुमान का किरदार रुस्तम-ए-हिंद दारा सिंह ने निभाया था. राम, सीता, भरत और लक्ष्मण के किरदारों की तरह हनुमान के किरदार को भी दर्शकों की तरफ से खासा पसंद किया गया. अपने अभिनय से दारा सिंह ने इस किरदार को टीवी की दुनिया में हमेशा के लिए अमर कर दिया है. मगर दारा सिंह को पहलवानी करने का काफी शौक था. टीवी से दारा सिंह का नाता बाद में जुड़ा इससे पहे उन्होंने कई फिल्मों में एक्टिंग की थी. उनकी निजी जिंदगी का एक खास किस्सा है.
जब दारा सिंह फिल्मों की शूटिंग करते थे तो उनके करीब अन्य अभिनेत्रियों को देखने के बाद उनकी पत्नी को बेहद गुस्सा आता था. इस बारे में खुद दारा सिंह ने एक इंटरव्यू में बताया था. अपने इंटरव्यू में उन्होंने बताया कि उनकी पत्नी पहली बार शूटिंग देखने आईं थी और दौरान वह एक सीक्वेंस की शूटिंग कर रहे थे.
अपने इंटरव्यू में उन्होंने कहा, "एक फिल्म के शूटिंग के दौरान मेरी पत्नी नई नई मुंबई आईं थी. उस दौरान वह शूटिंग देखने सेट पर आईं थी. फिल्म की शूटिंग नाव पर चल रही थी. शूटिंग का सीन इस तरहा था कि एक हीरोइन बोट से गिरती है मुझे उसे उठाना होता है. यह सीन दो-तीन बार शूट किया गया था और हीरोइन को मुझे बार बार उठाना पड़ता था. इसे देख मेरी पत्नी गुस्सा हो गईं और वहां से उठकर चली गईं."
दारा सिंह ने हिंदी और पंजाबी फिल्मों में भी अभिनय किया. हिंदी में उनकी पहली फिल्म संगदिल थी जो 1952 में रिलीज हुई थी. उन्होने अपने जीवन में 100 से अधिक फिल्मों में काम किया. अभिनेत्री मुमताज के साथ उन्होने कई हिट फिल्में दी, पृथ्वीराज कपूर के साथ उन्होने सिकंदरे आजम फिल्म में काम किया. इस फिल्म में दारा सिंह ने सिकंदर का रोल निभाया था. कुश्ती से संन्यास लेने के बाद दारा सिंह ने भारत में कुश्ती के विकास के लिए देशभर का भ्रमण किया और पहलवानी करने के लिए युवाओं को प्रेरित किया. वे गांव देहातों में होने वाले दंगलों में भी जाते और लोगों को प्रोत्साहित करते थे.
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