जब Gulzar का परिवार चाहता था वो राइटर न बनकर कोई रेगुलर जॉब करें, लेखक ने Anupam Kher के सामने खुद बताई थी इसकी वजह
फिल्म इंडस्ट्री में आने से पहले गुलज़ार (Gulzar) ने एक मोटर गैराज में काम किया. वहीं, गुलजार ने खुलासा किया था कि उनका परिवार उनके राइटर बनने से खुश नहीं था और वे चाहते थे कि गुलज़ार (Gulzar) भी एक रेगुलर नौकरी करें.
Gulzar revealed his family wanted him to take up Regular Job: गुलज़ार (Gulzar) 87 साल के हो चुके हैं, उनकी कविताएं और लिखे हुए गाने आज भी लोगों को बेहद पसंद है. आज भले ही वो एक कामयाब राइटर हों लेकिन एक वक्त ऐसा भी था जब उनका परिवार नहीं चाहता था कि वो एक लेखक बने. इस बात का खुलासा खुद गुलज़ार (Gulzar) ने अनुपम खेर (Anupam Kher) को दिए एक इंटरव्यू के दौरान किया था. गीतकार और मशहूर कवि गुलजार (Gulzar) ने बॉलीवुड में साल 1963 में बिमल रॉय की फिल्म 'बंदिनी' से की थी. इस फिल्म का 'मेरा गोरा रंग लेई ले' गीत उन्होंने ही लिखा था. फिल्म इंडस्ट्री में आने से पहले गुलज़ार (Gulzar) ने एक मोटर गैराज में काम किया. वहीं, गुलजार ने खुलासा किया था कि उनका परिवार उनके राइटर बनने से खुश नहीं था और वे चाहते थे कि गुलज़ार (Gulzar) भी एक रेगुलर नौकरी करें.
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गुलज़़ार ने कहा था, 'हर कोई चाहता था कि मैं एक रेगुलर जॉब करूं. क्योंकि उन्हें लगता था कि लिख कर कोई नहीं जी सकता. अगर आप किताबें लिख रहे हैं तो आज भी आप कभी भी राइटिंग से दूर नहीं रह सकते. अब, राइटर्स के पास और काम भी हैं.'
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इसके अलावा गुलज़ार ने आगे कहा, 'मुझे पढ़ना हमेशा से पसंद था. मैं रवींद्रनाथ टैगोर की शरत चंद्र को पढ़ता था. शरत चंद्र की बड़ी-बड़ी कहानियों में बड़ा परिवार दिखता है. मैंने अपने परिवार को शरत चंद्र की कहानियों में देखना शुरू किया. मैं उन रिश्तों को देख सकता था जो सभी परेशानियों के बावजूद साथ रहते हैं'. आपको बता दें कि गुलज़ार कई फिल्मों को डायरेक्ट भी कर चुके हैं जिनमें, 'आंधी', 'हू तू तू', और 'माचिक' जैसी कई शानदार फिल्में शामिल हैं.
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