करगिल युद्ध में गुंजन सक्सेना ने छुड़ाए थे दुश्मन के छक्के, अब पर्दे पर जाह्नवी कपूर निभा रहीं हैं किरदार
Gunjan Saxena: आज जाह्नवी कपूर की मचअवेटेड फिल्म 'गुंजन सक्सेना- द करगिल गर्ल' का पोस्टर रिलीज किया गया है. साथ ही फिल्म की रिलीज डेट भी अनाउंस की गई है. जानिए असल जिंदगी में कौन हैं गुंजन सक्सेना...
Gunjan Saxena: आज जाह्नवी कपूर की मचअवेटेड फिल्म 'गुंजन सक्सेना- द करगिल गर्ल' का पोस्टर रिलीज किया गया है. साथ ही फिल्म की रिलीज डेट भी अनाउंस की गई है. लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि आखिर करगिल युद्ध में गुंजन सक्सेना ने क्या भूमिका निभाई थी और उन्हें भारतीय एयरफोर्स के इतिहास में इतना महत्व क्यों दिया गया है. दरअसल, गुंजन सक्सेना देश की पहली वुमेन पायलट हैं जिन्होंने युद्ध में हिस्सा लिया था.
अब गुंजन सक्सेना की कहानी जल्द ही रुपहले पर्दे पर नजर आएगी. फिल्म में जाह्न्वी, गुंजन सक्सेना के किरदार को निभाते नजर आएंगी. इस बायोपिक का निर्देशन शरण शर्मा कर रहे हैं. फिल्म अगले साल होली के पास 13 मार्च को रिलीज की जाएगी.
1994 में बनीं थीं पायलट
गुंजन सक्सेना देश की उन बेटियों में शामिल हैं जिन्होंने भारतीय वायुसेना में महिलाओं की एंट्री को और मजबूत किया है. गुंजन सक्सेना ने 1994 में भारतीय वायुसेना को बतौर वुमेन ट्रेनी पायलट ज्वाइन किया था. इसके बाद गुंजन के प्राक्रम की कहानी देश सहित पूरी दुनिया ने सुनी. गुंजन को शौर्य चक्र अवॉर्ड से भी नवाजा जा चुका है.
करगिल युद्ध में गुंजन ने निभाई अहम भूमिका
देश की सेवा करने के उद्देश्य से 1994 में भारतीय वायुसेना ज्वाइन करने वाली गुंजन को साल 1999 में अपनी वीरता का पराक्रम दिखाने का मौका मिला. गुंजन की पहली पोस्टिंग जम्मू कश्मीर के उधमपुर में हुई थी. साल 1999 में भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध छिड़ गया और गुंजन को लेफ्टिनेंट श्रीविद्या राजन के साथ युद्ध क्षेत्र में भेजा गया.
कारगिल युद्ध में के दौरान भारतीय सेना ने दो बड़े ऑपरेशन किए थे, ऑपरेशन विजय और ऑपरेशन सफेद सागर. गुंजन को ऑपरेशन विजय का हिस्सा बनाया गया था. उस दौरान गुंजन को युद्धक्षेत्र से घायल जवानों को अस्पताल तक पहुंचाने और युद्ध क्षेत्र से पाकिस्तान की पोजिशन पर नजर रखना था.
इससे पहले महिलाओं को युद्धक्षेत्र में जाने की अनुमति नहीं हुआ करती थी. लेकिन कारगिल युद्ध ने इस रीति को तोड़ दिया. उस दौरान भारतीय सेना को युद्ध में जीत के लिए सभी पायलट्स की जरूरत थी. युद्ध में स्थिति बिगड़ी और पुरुष पायलट के साथ-साथ सभी महिला पायलट्स को भी वॉरजोन में बुलाया गया.
गुजंन को इस दौरान पाकिस्तान पर एयरिल नजर रखने के साथ-साथ द्रास और बटालिक क्षेत्र से भारतीय सेना के घायल जवानों को निकालना था. गुंजन के इस काम को पाकिस्तान की ओर से हो रही लगातार फायरिंग ने और भी मुश्किल बना दिया था. एक इंटरव्यू के दौरान गुंजन ने एक बार कहा था कि उस क्षेत्र में दुश्मन से खुद को बचाते हुए नजर रखना बेहद मुश्किल काम था.
साथ ही बार बार सेना के घायल जवानों को निकलाने के लिए नीचे जाना एक जोखिम भरा काम था. जवानों को वहां से निकालते हुए गुंजन के हैलिकॉप्टर में आग भी लग गई थी लेकिन उन्होंने अपनी हिम्मत नहीं हारी. गुंजन ने कहा कि जवानों की जान की रक्षा करने के लिए हमें ऐसा करना था. जवानों के लहू ने ही मुझे इस मिशन पर सबसे ज्यादा प्रोत्साहित किया.
2004 में ली रिटायरमेंट
गुंजन सक्सेना एक आर्मी परिवार से ही ताल्लुक रखती हैं. उनके पिता और भाई दोनों ही उस दौरान भारतीय सेना में कार्यरत थे. गुंजन सक्सेना की शादी भी एक भारतीय वायुसेना के फाइटर पायलट से हुई है. साल 2004 में उन्होंने एक बेटी को जन्म दिया और वायुसेना में 7 साल की सर्विस देने के बाद रिटायर हो गईं.
अब गुंजन एक होममेकर हैं और गुजरात में रहती हैं, पढ़ाई की बात करें तो गुंजन ने दिल्ली के हंसराज कॉलेज से अपनी पढ़ाई पूरी की है. अपनी ग्रेजुएशन के वक्त ही गुंजन ने सफदरजंग फ्लाइंग क्लब ज्वाइन कर लिया था. जहां उन्होंने बेसिक ट्रेनिंग ली. इसके बाद साल 1994 में पहली बार 25 महिला पायलट्स को एयरफोर्स ज्वाइन करने का मौका मिला.