Bollywood का 'ये कठोर नियम' शाहरुख, आमिर, अमिताभ जैसे एक्टर्स पर भी लागू होता है, लेकिन ये एक्टर इन सबसे ऊपर है, जानें क्यों
Nana Patekar Special: इस एक्टर को 'नट सम्राट' बोलना गलत नहीं होगा. बॉलीवुड के अकेले अल्हड़ और अपने ही तरीके के अदाकर हैं ये. इनका स्क्रीन पर दिखना ही रिफ्रेशिंग लगता है. ये क्यों हैं इतने खास?
Happy Birthday Nana Patekar: नाना पाटेकर का नाम आते ही ज़हन में एक अल्हड़ एक्टर की तस्वीर आंखों के सामने आने लग जाती है. 1 जनवरी 1951 को जन्में नाना आज 73 साल के हो गए हैं. वैसे उनके बारे में एक-दो नहीं सैकड़ों दिलचस्प बातें हैं. खैर ऐसी तमाम बातें आपको पता ही होंगी, इसलिए आज हम नाना के उन पहलुओं को छुएंगे जिन पर बहुत ज्यादा चर्चा नहीं होती.
नाना पाटेकर की पहली फिल्म 'गमन' थी, जो साल 1978 में रिलीज हुई थी. इसके बाद नाना के पास जो भी फिल्में आईं वो हिट रही हों या फ्लॉप लेकिन उनमें उनकी छाप अलग ही रहती थी.
View this post on Instagram
नाना कभी नहीं रहे किसी के साथ कंपटीशन में
नाना बेशक कमाल के एक्टर हैं, लेकिन कभी वो किसी भी एक्टर या स्टार के साथ कंपटीशन में नहीं रहे. उनका स्टार पॉवर ऐसा है कि उन्हें कभी स्टारडम की जरूरत नहीं पड़ी. हो सकता है कई दर्शकों की नजरों में वो किसी कैरेक्टर अभिनेता की तरह छवि वाले एक्टर हों, लेकिन ऐसा नहीं है. उन्होंने मेनस्ट्रीम और ऑफबीट हर तरह के सिनेमा में लीड से लेकर सपोर्टिंग एक्टर के तौर पर काम किया है और हर बार उनका काम पसंद किया गया है. इसलिए 'तिरंगा' और 'क्रांतिवीर' जैसी फिल्मों की बात करने के बजाय उनके हाल के दर्शकों के बीच जगह बनाने की मुहिम पर बात की जानी जरूरी है.
नाना को कभी भी कमबैक की जरूरत नहीं पड़ी
इंडस्ट्री एक ऐसी जगह है जहां अगर आप नजरों से ओझल हुए या आपकी फिल्में फ्लॉप हुईं, तो मान लीजिए आपको कमबैक की जरूरत पड़ सकती है. और इस नियम का पालन अमिताभ, शाहरुख, आमिर और सनी देओल जैसे बड़े स्टारडम वाले एक्टर को भी करना पड़ा है. गोविंदा जैसे उम्दा एक्टर्स हों या राजेश खन्ना जैसे सुपरस्टार्स, ऐसे तमाम एक्टर्स हैं बॉलीवुड में जो कई बार कमबैक करने के बावजूद हिट होने में असफल हुए हैं. लेकिन नाना पाटेकर के साथ ऐसा कभी नहीं रहा. एक समय ऐसा आया जब लगने लगा कि नाना पाटेकर जैसे उम्दा कलाकार के लिए अब फिल्म इंडस्ट्री में जगह नहीं बची.
'शक्ति' और 'आंच' जैसी फिल्मों में मुखिया का किरदार लाजवाब था. लेकिन नई पीढ़ी को लगने लगा था कि शायद नाना पाटेकर टाइपकास्ट हो गए हैं और एक ही तरह के रोल करने लगे हैं. ऐसे में नाना जब प्रकाश झा की फिल्म 'अपहरण' में बिहार के एक भ्रष्ट विधायक के तौर पर नजर आए, तो उन्होंने पूरी तरह से उस इमेज को ही बदल के रख दिया. ये सच में रिफ्रेशिंग था. ये बात साल 2005-06 की है. जब नाना एक के बाद एक कई फिल्मों में अलग-अलग तरह के किरदारों में दिखे. 'ब्लफमास्टर' और 'टैक्सी नंबर 9211' में उनके कॉमिक अंदाज ने ऐसी वाहवाही लूटी कि लोग उन्हें वैसे ही किरदारों में देखने की लालसा रखने लगे. शायद यही वजह रही कि उन्हें 'वेलकम' जैसी मल्टीस्टारर फिल्में में फिर से कास्ट किया गया. और देखते ही देखते उदय भाई का किरदार अलग ही लेवल का मीम मैटेरियल बन गया.
'वेलकम' क्यों है खास नाना के लिए?
जिस फिल्म में अक्षय कुमार, परेश रावल और अनिल कपूर जैसे बेहतरीन कॉमिक टाइमिंग वाले एक्टर्स हों, उनके बीच एक अलग ही लेवल का किरदार गढ़ देना, किसी भी एक्टर के लिए बड़ी मेहनत का काम है. 'उदय भाई' और 'मजनूं' के बीच के संवाद बहुत ही सामान्य होने के बावजूद दोनों एक्टर्स अनिल कपूर और नाना पाटेकर की एनर्जी ने उन्हें अलग ही लेवल का बना दिया. इसके बाद नाना के पास कई कॉमिक रोल आए और लोगों ने उन्हें इस नई पारी में भी उतना ही प्यार दिया.
इसी दौरान उस तरह की फिल्में भी आती रहीं, जिनके लिए नाना जाने जाते हैं. जैसे कि अब तक 56 और शागिर्द. इस दूसरी पारी में नाना ने 'राजनीति' और 'द अटैक्स ऑफ 26/11' जैसी फिल्में भी आईं. जिनमें नाना का थिएटर आर्टिस्ट फिर से देखने को मिला.
प्रकाश झा की दो फिल्मों ने दिखाया नाना का नया रूप
प्रकाश झा की 'अपहरण' की बात तो हम कर ही चुके हैं कि कैसे उसने नाना की रंगत बदल दी. अब बात करते हैं उनकी और नाना की दूसरी फिल्म 'राजनीति' की. इस फिल्म में नाना का किरदार कभी शकुनि तो कभी श्रीकृष्ण से प्रभावित दिखा. रणबीर, अजय, मनोज बाजपेयी जैसे एक्टर्स के बीच नाना को जो स्क्रीनटाइम मिला उसमें नाना जो कुछ भी कर गए वो अलग ही था. कुछ ऐसा अलग कि आप बस स्क्रीन में उनके आने का इंतजार करते रहें.
नाना को उनकी बेहतरीन एक्टिंग के लिए 3 नैशनल अवॉर्ड और कई फिल्मफेयर अवॉर्ड से नवाजा जा चुका है. नाना कई बार विवादों में भी घिर चुके हैं. लेकिन, इस बीच उन्होंने अपनी जर्नी बिल्कुल वैसे ही जारी रखी है जैसे कोई हाल में आया नवा-नवेला एक्टर. हर बार वो जब पर्दे पर आते हैं तो सामने कोई भी हो, दिखते वही हैं. यही बात है जो नाना को सच में फिल्म इंडस्ट्री का 'नाना' बनाती है.