Raj Kapoor Funeral Story : भारत के सबसे बड़े ‘शोमैन’ कहे जाने वाले राज कपूर (Raj Kapoor), हिंदी फिल्मों के प्रसिद्ध अभिनेता, निर्माता और निर्देशक थे. अपनी शुरुआती फ़िल्मों से लेकर प्रेम कहानियों को रोमांटिक अंदाज में पर्दे पर पेश करके उन्होंने हिंदी फ़िल्मों के लिए जो सफर तय किया, उनके नक्शे कदम पर उनके बाद भी कई फ़िल्मकार चले. 2 जून 1988 को राज कपूर ने इस दुनिया को अलविदा कह दिया. 


राज कपूर साहब की तरह ही उनके तीनों बेटों रणधीर कपूर, ऋषि कपूर और राजीव कपूर ने भी फिल्म इंडस्ट्री में अपना मुकाम बनाया. हालांकि, तीनों में सबसे ज्यादा सफल ऋषि कपूर हुए. बड़े भाई रणधीर कपूर भी ज्यादा सफल नहीं रहे और न ही छोटे भाई राजीव कपूर (Rajiv Kapoor) ने ज्यादा फिल्मों में काम किया. राजीव कपूर को साल 1985 में आई उनके पिता राज कपूर द्वारा निर्देशित फिल्म ‘राम तेरी गंगा मैली’ (Ram Teri Ganga Maili) से ख़ास पहचान मिली.

राजीव कपूर के बारे में एक बात सभी जानते हैं कि पिता राज कूपर से उनकी नहीं बनती थी और यहां तक कि वो उनके अंतिम संस्कार में भी शामिल नहीं हुए थे. उन्होंने पिता से जुड़ी इस बात का खुलासा खुद एक इंटरव्यू में किया था. राजीव कपूर ने बताया था कि वह अपने असफल करियर के लिए अपने पिता को ही जिम्मेदार मानते थे और उनसे बेहद नाराज भी रहते थे.


जब मंदाकिनी को चला गया पूरा श्रेय
साल 1983 में राजीव कपूर की पहली फिल्म ‘एक जान हैं हम’ आई थी, जो उनके पिता ने ही बनाई थी. लेकिन, ये फिल्म बुरी तरह से फ्लॉप हुई थी. इसके बाद राज कपूर ने राजीव के लिए ‘राम तेरी गंगा मैली बनाई’, जो सुपरहिट साबित हुई. लेकिन, राजीव कपूर की किस्मत ने यहां भी उनका साथ नहीं दिया और इस फिल्म के हिट होने का पूरा श्रेय अभिनेत्री मंदाकिनी को चला गया. इसके बाद राजीव ने पिता राज कपूर से कहा कि वो उनके लिए मजबूत किरदार के साथ एक फिल्म बनाएं. लेकिन उनके पिता ने उनके साथ फिल्म बनाने से इनकार कर दिया और तभी से दोनों के बीच कड़वाहट पैदा हो गई.

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