सआदत हसन मंटो एक ऐसे राइटर रहे हैं जिन्होंने अपनी राइटिंग से सबका ध्यान अपनी ओर खींचा. मंटो का नाम उन चुंनिदा लेखकों में शामिल है जिनके राइटअप्स वो भी पढ़ते थे जो उन्हें पसंद करते थे और वो भी जो उनसे नफरत करते थे. उनके चाहने वाले इस लिए पढ़ते थे क्योंकि वो मंटो साहब के प्रशंक थे और उनसे नफरत करने वाले या उन्हें नापसंद करने वाले इसलिए पढ़ते थे ताकि वो समझ सकें कि आखिर वो अब ऐसा क्या लिखने वाले हैं जिसका विरोध किया जा सका.
ये बात और है कि आज की 21वीं सदी में मंटो को जानने वाले या चाहने वालों की संख्या जरा कम है. लेकिन अगर हम उनकी लेखों की बात करें तो आज भी उनकी कहानियां और किस्से समाज के आत्मसम्मान पर बेहद गहरी चोट कर जाती हैं. मंटो के उपर अपनी बोल्ड स्टोरीज के चलते कई मुकदमें भी चले. इसी दौरान एक केस की सुनवाई के वक्च मंटो ने कोर्ट में कहा था 'यदि आप मेरे अफसानों को बर्दाश्त नहीं कर सकते तो इसका मतलब ये समाज ही नाकाबिले बर्दाश्त हो चला है.'
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यूं तो भारत में जन्मे और पले बढ़े मंटो की जिंदगी का एक बड़ा हिस्सा यहीं बीता लेकिन बंटवारे ने उन्हें भी पाकिस्तान भेज दिया. इन दिनों हर ओर मंटो की चर्चा सुनाई दे रही है क्योंकि उनकी बायोपिक भारत में जल्द रिलीज होने वाली है. एक्ट्रेस और डायरेक्टर नंदिता दास की फिल्म मंटो 21 सिंतबर को रिलीज होगी. इस फिल्म में एक्टर नवाजुद्दीन सिद्दीकी मंटो के किरदार में नजर आ रहे हैं.
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मंटो ने यूं तो कई प्रसिद्ध और विवादित अफसाने लिखे हैं. लेकिन उनमें से कुछ ऐसे हैं जो खासा चर्चा में रहे. अंकल सैम को लिखे उनके लैटर्स भी उनमें से एक हैं. आज हम आपको उनके इंन्ही लेटर्स के कुछ मुख्य अंश बता रहे हैं जिन्में उन्होंने अंग्रेजी सरकार पर बंटवारे का आरोप और बंटवारे के बाद पाकिस्तान की गरीबी का बड़ी ही बेबाकी से जिक्र किया है.
क्यों लिखे मंटो ने अंकल सैम को खत?
मंटो ने अपने खतों में अंकल सैम से क्या बातचीत की उससे पहले जेहन में ये सवाल आता है कि आखिर उन्होंने अंकल सैम को खत क्यों लिखे? तो हम आपको बताते हैं कि एक अधिकारी मिस्टर स्मिथ पाकिस्तान के एक USIS अफसर के साथ मंटो के घर पहुंचे. स्मिथ मे मंटो से रिक्वेस्ट की कि वो USIS के लिए कुछ लिखें. मंटो ने जवाब में कहा कि वो तो केवल उर्दू में लिखते हैं न कि अंग्रेजी में. इसके जवाब में स्मिथ ने कहा कि उनके आर्टिकल उर्दू में ही पब्लिश किए जाएंगे. अपनी शर्तों में जीने वाले मंटो ने इसके जवाब में कहा कि वो केवल वही लिखेंगे जो वो लिखना चाहते हैं. स्मिथ ने मंटो की सारी शर्ते तुरंत मानते हुए कहा कि हमें इससे कोई आपत्ति नहीं है. वहीं. जब स्मिथ ने मंटो से कहा कि USIS उन्हें एक आर्टिकल के 500 रुपए देगा. मंटो ने स्मिथ का ये ऑफर ठुकराते हुए कहा कि वो केवल 200 रुपए ही लेगा. बाद में मंटो 300 रुपए पर आर्टिकल के लेने के लिए तैयार हो गए. और फिर एक दिन वो एक लिफाफा लेकर पहुंचे जिसमें उन्होंने लेटर टू अंकल सैम लिखा था.
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लेटर टू अंकल सैम - 1
अपने पहले लेटर में ही मंटो ने अंग्रेजी सरकार के खिलाफ अपनी नाराजगी को जाहिर कर दिया था. उन्होंने अपना गुस्सा जाहिर करते हुए लिखा था, ''ये खत आपका पाकिस्तानी भतीजे ने लिखा है जिसे न तो आप जानते हैं और न ही आपके देश में. लेकिन आपको ये जरूर पता होगा कि भारत से मेरे देश को अलग क्यों किया गया.''
मंटो ने अपने लैटर में अमेरिका के मशहूर राइटर Erskine Caldwell की नोवल 'गॉड्स लिटल एकर' को लेकर कोर्ट के द्वारा सुनाए गए फैसले का जिक्र करते हुए अपने कोर्ट केस और कोर्ट के द्वारा दी गई सजा का जिक्र किया है. मंटो ने लिखा ''मुझे कोर्ट के द्वारा तीन महीने की सजा और तीन सौ रुपए का जुर्माना लगाया है. अंकल सैम मैं तीन महीने जेल में बिताने के लिए तो तैयार हूं लेकिन जुर्माने के तीन सौ रुपए मैं नहीं दे पाउंगा. मैं गरीब हूं क्योंकि मेरा देश गरीब है. मैं किसी तरह दो वक्त की रोटी का इंतजाम तो कर सकता हूं लेकिन मेरे देश में कई लोग ऐसे भी हैं जो ये भी नहीं कमा पाते. ''
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मंटो ने अपने लेटर में ये भी लिखा कि अमेरिका में किस तरह से अपने ही जनाजे की तैयारी की जाती है. उन्होंने अपने देश के हालातों को लेकर लिखा कि सच तो ये है अंकल सैम कि न तो हम जीना ही सीथ पाए हैं और न ही मरना . साथ ही उन्होंने लिखा कि उन्होंने अमेरिका से एक बेहद नई चीज सीखी कि अपने जनाजे कि जिम्मेदारी भी खुद ही उठानी चाहिए. क्या पता आपके मरने के बाद किसी से गलतियां भी हो सकती हैं. मंटो ने लिखा , ''अंकल सैम क्या आपका जनाजा Willie Morrity (अमेरिका के एक गैंगस्टर जिसका जनाजा बेहद आलीशान तरीके से उठा था और उसने खुद ही इसका इंतजाम किय थाय) से भी ज्यादा शानदार होगा. ये एक गरीब पाकिस्तानी लेखक की रिक्वेस्ट है जिसके पास साइकिल भी नहीं चलाने के लिए, कि आप भी अपने जनाजे की तैयारी खुद ही करके जाइएगा. दूसरों से तो अक्सर गलती हो जाती है. ऐसा मुमकिन है कि शायद आपको जीवित रहते उतना ध्यान न दें लेकिन आपकी मौत के बाद आपके जनाजे पर लोग जरूर ध्यान देंगे. ''