'गुलाबो सिताबो' के ऑनलाइन रिलीज़ का फैसला क्या बदल देगा फिल्म इंडस्ट्री में थिएटर का ट्रेंड?
फिल्म ‘गुलाबो सिताबो’ का वर्ल्ड प्रीमियर दो सौ देशों में एक साथ 12 जून को प्राइम वीडियो पर होने जा रहा है. ये एक कॉमेडी फिल्म है और पहली बार किसी फिल्म में अमिताभ बच्चन और आयुष्मान खुराना एक साथ नजर आएंगे.
जिसका डर था वही हो गया! दर्शकों के लिए बहुत ये शानदार है लेकिन थिएटर बिजनेस और फिल्म डिस्ट्रीब्यूटर्स के लिए खबर अच्छी नहीं है. निर्देशक शूजीत सरकार ने लॉकडाउन की वजह से चल रही अनिश्चिता और आर्थिक संकट को देखते हुए बड़ा फैसला ले लिया है. अमिताभ बच्चन-आयुष्मान खुराना की कॉमेडी फिल्म अब सीधे ऑनलाइन एमेजॉन के प्राइम वीडियो पर रिलीज़ होगी. ये बहुत बड़ा फैसला है क्योंकि इस फैसले के साथ सिनेमाघरों के अस्तित्व पर सवाल खड़ा हो गया है?
फिल्म ‘गुलाबो सिताबो’ का वर्ल्ड प्रीमियर दो सौ देशों में एक साथ 12 जून को प्राइम वीडियो पर होने जा रहा है. ये एक कॉमेडी फिल्म है और पहली बार किसी फिल्म में अमिताभ बच्चन और आयुष्मान खुराना एक साथ नजर आएंगे. फिल्म इंडसट्री में आज की बड़ी खबर है. आयुष्मान खुराना ने इंस्टाग्राम पर यह खबर देते हुए लिखा, ''एडवांस में आपको बुक कर रहे हैं! प्राइम वीडियो पर गुलाबो सिताबो का प्रीमियर 12 जुलाई को. आ जाना फिर, फर्स्ट डे, फर्स्ट स्ट्रीम करने.''
गुलाबो सिताबो तो सिर्फ शुरुआत है. कई और भी फिल्में लाइन में हैं जिनके बारे में खबर है कि आपके घर में ऑनलाइन टपकने वाली हैं. अमिताभ बच्चन की झुंड जिसमें वो गरीब बच्चों के फुटबॉल कोच बने हैं. निर्देशक अनुराग बसु की लूडो है जिसमें अभिषेक बच्चन और राजकुमार राव हैं.
इसके अलावा विद्या बालन की शकुंतला देवी , जान्हवी कपूर की गुंजन सक्सेना, ईशान खट्टर की खाली पीली, कियारा आडवाणी की इंदु की जवानी. ये सारी फिल्में भी थिएटर के बजाय सीधे आपके घर में ऑनलाइन ओटीटी प्लैटफॉर्म्स मतलब नेटफ्लिक्स, प्राइम वीडियो, हॉटस्टार वगैरह के जरिए पहुंचने की खबर है. तो मजे लजिए. दर्शकों को तो फायदा ही फायदा है.
लेकिन इसके मायने क्या हैं? ये समझने की भी कोशिश करते हैं. और क्या ये माना जाए कि ये बड़ा फैसला अब इंडसट्री में सबकुछ बदल कर रख देगा? क्या देश में थिएटर बंद हो जाएंगे?
जब से लॉकडाउन हुआ और शूटिंग, थिएटर सब बंद हुए, वो फिल्में फंस गईं जो रिलीज़ के लिए तैयार थीं. ज्यादा समय तक इन्हें रोकना निर्माता के घाटे का सौदा होता है. पैसा फंसा रहता है. दूसरे बिजनेस की तरह फिल्म इंडस्ट्री में भी पैसे का सर्कुलेशन होते रहना जरूरी है. फिल्म निर्माता हो या फिल्म स्टार या फिल्म से जुड़े दूसरे लोग कुछ के पेमेंट अटके हुए हैं, किसी को पैसा चुकाना है. कोरोना की वजह से जो हालात है थिएटर तो अगले कुछ महीनों तक खुलते नहीं दिख रहे. जब खुलेंगे तो भी गारंटी नहीं है कि लोग भीड़भाड़ वाले थिएटर में जाना पसंद करेंगे. तो सीधे ऑनलाइन फिल्म रिलीज़ से ऊपर से तो सबका फायदा ही नजर आता है.
लेकिन बड़ा खतरा ये है कि अगर ये ट्रेंड शुरू हुआ और एक बार दर्शकों को आदत लगी तो फिर भविष्य में थिएटर का बिजनेस ठप्प होने का बड़ा खतरा है. फिल्म डिस्ट्रीब्यूटर क्या करेंगे? और फिल्म निर्माता जिन्हें थिएटर से कमाई, म्यूजिक राइट्स, सैटेलाइट राइट्स, ओवरसीज़ अलग-अलग जगह से पैसा आने के बजाय बस एक ही कंपनी यानि ओटीटी कंपनी से पैसा आएगा तो नुकसान तो होगा ही.
इसीलिए ग़ौर कीजिए ये जो भी फिल्में जिनके डायरेक्ट ऑनलाइन रिलीज़ होने की खबरें हैं, ये सब छोटे या मीडियम बजट की फिल्में हैं. अलग तरह के कॉन्टेंस वाली फिल्मों हैं जिन्हें रिलीज़ करना या तो आसान नहीं होता या फिर उनके बंपर ओपनिंग की गारंटी नहीं होती है. इसलिए कम बजट या मीडियम वाली फिल्में ओटीटी पर रिलीज के लिए सेफ मानी जाती है. गुलाबो सिताबो इसी तरह की फिल्म है.
खबर ये भी थी कि 1983 क्रिकेट वर्ल्ड कप विक्ट्री पर बनी रणवीर सिंह की बिग बजट फिल्म 83, सलमान की राधे, अक्षय की लक्ष्मी बॉम, भी थिएटर के बजाय ऑनलाइन रिलीज़ हो सकती हैं. हालांकि, फिलहाल कोई आधिकारिक एलान नहीं हुआ है.
कुछ साल पहले जब टाटा स्काई का जोर था भारत में तब भी एक खबर आयी थी कि फिल्में टाटा स्काई पर थिएटर से एक दिन पहले रिलीज होंगी और जो भी चाहें वो ज्यादा पैसे देकर घर में एक दिन पहले फिल्म देख सकता है. वो बात भी आगे नहीं बढ़ पायी. कहते हं थिएटर चलाने वाले लोगों की लॉबी इसके लिए आसानी से तैयार नहीं होगी.
इसलिए पूरा शिफ्ट या पूरा बदलाव तब माना जाएगा जब बड़े बजट की, सुपरस्टार वाली फिल्में जो दो सौ, तीन सौ, पांच सो करोड़ कमाती हैं, वैसी फिल्में जब सीधे ऑनलाइन हों. अगर सलमान-आमिर की जैसे सुपरस्टार्स की फिल्में सीधे ऑनलाइन आएं तब ही मानिएगा कि फिल्म बिजनेस बदल गया. ऐसा हो सकता है अगर देश अगले कई महीनो तक बंद रहा. ये हो सकता है कि सारे थिएटर भी अब ओपन एयर हो जाएं. लोग अपनी अपनी गाड़ी में बैठकर बड़े पर्दे पर फिल्में देखें. हर इंडस्ट्री बदल रही है तो फिल्म इंडस्ट्री बदलाव से कैसे अलग रह सकती है. लेकिन फिलहाल उस कंपलीट शिफ्ट के लिए थोड़ा इंतजार कीजिए. तब तक गुलाबो सिताबो का मजा लीजिए.
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