भारतीय सिनेमा में महिलाओं को मिलने लगे हैं मजबूत किरदार - टिस्का चोपड़ा
उन्होंने कहा, "अब समय बदल गया है. फिल्म निर्माताओं ने अपनी फिल्मों में महिलाओं के लिए सशक्त किरदार बनाना शुरू कर दिया है."
नई दिल्ली: अभिनेत्री टिस्का चोपड़ा का मानना है कि भारतीय सिनेमा स्वर्णिम दौर में प्रवेश कर रहा है क्योंकि किरदारों के संदर्भ में महिलाओं को उनका हक मिलना शुरू हो गया है. टिस्का ने कहा, "भारतीय सिनेमा का यह सर्वोत्तम समय है. हम स्वर्णिम दौर में प्रवेश कर रहे हैं. महिला कलाकार फिल्म उद्योग पर प्रभुत्व कायम कर रही हैं. 'वीरे दी वेडिंग', 'राजी' और 'मणिकर्णिका : द क्वीन ऑफ झांसी' को देखें.. सभी फिल्में महिला प्रधान हैं."
उन्होंने कहा, "अब समय बदल गया है. फिल्म निर्माताओं ने अपनी फिल्मों में महिलाओं के लिए सशक्त किरदार बनाना शुरू कर दिया है."
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1993 में 'प्लेटफॉर्म' फिल्म से बॉलीवुड में कदम रखने वाली टिस्का ने अपनी पहचान 'तारे जमीन पर', 'फिराक', 'किस्सा : द टेल ऑफ ए लोनली घोस्ट' और 'घायल वन्स अगेन' जैसी फिल्मों फिर टीवी शो '24' जैसी फिल्म में अपने दमदार अभिनय से बनाई. उन्होंने निर्माता के तौर पर अपनी पहली फिल्म 'चटनी' बनाई जिसके लिए उन्हें समीक्षकों और दर्शकों से भरपूर प्रशंसा मिली.
टिस्का (45) वर्तमान में 'स्टार भारत' के शो 'सावधान इंडिया' में सह-प्रस्तोता हैं. यह शो लोगों में अपराध के प्रति जागरूकता पैदा कर उन्हें सतर्क करता है.
उन्होंने कहा कि ऐसे शोज समय की जरूरत हैं.
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उन्होंने कहा, "यह शो बताता है कि एक इंसान ऐसा भी कर सकता है जो आपकी सोच से परे हो. युवाओं में जागरूकता पैदा करना और नाजुक और अप्रत्याशित परिस्थितियों से निपटने में उनकी सहायता करना आवश्यक हो गया है."
'सावधान इंडिया' से समाज में डर पैदा होने की संभावना पर टिस्का ने कहा, "हम शो के माध्यम से सिर्फ सच्चाई दिखाते हैं. हम सच्ची घटनाओं के आधार पर एपिसोड्स को तैयार करते हैं. हम ऐसे समाज में रहते हैं जहां सामान्य घटनाओं के प्रति भी सजग होने की जरूरत होती है. हमारा मुख्य उद्देश्य डर पैदा करने से ज्यादा जागरूकता पैदा करना है."