मुंबई: फिल्म निर्माता जोया अख्तर, रीमा कागती, अलंकृता श्रीवास्तव और नित्या मेहरा का मानना है कि बॉलीवुड में महिला प्रधान कहानियां बढ़ी है लेकिन अब भी पुरुषों के बराबर प्रतिनिधित्व दूर की बात है.
अमेजन प्राइम वीडियो की इंडिया ओरिजनल ‘‘मेड इन हेवन’’ में काम करने वाली फिल्म निर्माताओं का मानना है कि स्थिति बदली है लेकिन इंडस्ट्री में महिलाओं के खिलाफ धारणाएं अब भी बनी हुई है. यह कार्यक्रम महिलाओं की टीम ने ही लिखा है और इसका निर्देशन भी उन्होंने ही किया है.
जोया ने कहा, ‘‘एक समय ऐसा होता होगा जब महिलाओं को गंभीरता से नहीं लिया जाता था लेकिन मुझे ऐसा अनुभव नहीं हुआ.’’
उनका मानना है कि फिल्म निर्माता के महिला या पुरुष होने से ज्यादा यह मायने रखता है कि वह किस तरह की फिल्म बनाना चाहती या चाहता है.
‘‘लिपस्टिक अंडर माई बुर्का’’ की निर्देशक अलंकृता ने कहा कि ऐसी व्यवस्था है जिसमें महिलाओं को शामिल नहीं किया और आंकड़ों की बात करें तो महिलाओं ने फिल्म इंडस्ट्री में केवल छह प्रतिशत फिल्मों का निर्देशन किया है.
रीमा ने कहा कि महिलाओं को व्यवस्था से बाहर रखना सशस्त्र बलों में भी देखा जा सकता है.
उन्होंने कहा, ‘‘यह सामाजिक बात है और यह दुनियाभर में है. यह प्रमुख समस्या है लेकिन मुझे लगता है कि निश्चित तौर पर हम बदल रहे हैं.’’
रीमा के साथ मिलकर फिल्में लिखने वाली जोया ने कहा कि हमारी इंडस्ट्री में महिला कहानीकारों को जिस तरह से अपनाया जा रहा है वैसा अमेरिका में नहीं हो रहा.
जोया ने कहा, ‘‘हम बेहतर स्थिति में है. मुझे नहीं लगता कि आज प्रोड्यूसर कह रहे हैं ‘ओह, वह एक महिला है’, मुझे नहीं लगता कि वैसा हो रहा है.’’
‘‘बार बार देखो’’ से पदार्पण से पहले आंग ली और मीरा नायर को असिस्ट करने वाली नित्या ने कहा कि आज एक फिल्म के सेट पर पहले के मुकाबले ज्यादा महिलाएं होती हैं.
उन्होंने कहा, ‘‘जब मैं असिस्टेंट निर्देशक थी और पहली बार मुंबई आई तो मुझे सेट पर महिलाओं की संख्या याद है, वे केवल हेयर, मेकअप, वार्डरोब के लिए होती थी. बस. अब जब मैं सेट पर जाती हूं तो मुझे विभिन्न विभागों में कई महिलाओं को काम करते हुए देखकर खुशी होती है.’’
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