नई दिल्ली: अगर डेनियल क्वीन की किताब 'इश्माएल' को पढ़कर अभिनेता अली फजल को महसूस हुआ कि मानव प्रजातियां कितनी महत्वहीन हैं, तो वहीं अभिनेत्री ऋचा चड्ढा 'ऑटोबायोग्राफी ऑफ अ योगी' पसंद करती हैं.

23 अप्रैल को विश्व पुस्तक दिवस के मौके पर इन सितारों ने पुस्तकों के बारे में बात की है कि कैसे इन पुस्तकों ने जीवन के प्रति उनका नजरिया बदल दिया. विश्व पुस्तक दिवस दुनियाभर के लिए किताबों और पढ़ने का एक उत्सव है. इस मौके पर सितारों ने अपनी पसंदीदा किताबों के बार में बात की :

अली फैजल : डेनियल क्वीन की 'इश्माएल. यह किताब गोरिल्ला और एक आदमी के बीच बातचीत पर आधारित है और इसे समझने के लिए इसे पढ़ा जाना चाहिए. इसने मुझे एहसास कराया कि मानव प्रजातियां कितनी महत्वहीन हैं. यह हर चीज के बारे में बात करती है, फिर भी किसी चीज के बारे में बात नहीं करती. खालीपन और पूर्णता और फिर उनका सह-अस्तित्व.'

पंकज त्रिपाठी : मुझे श्रीलाल शुक्ला लिखित किताब 'राग दरबारी' ने सबसे ज्यादा प्रभावित किया है. मेरे व्यक्तित्व का वह पहलू जो हंसमुख व मजाकिया है, इस किताब को पढ़ने के बाद तेजी से विकसित हुआ. कई किताबें और भी हैं. किताब की यही खूबसरती होती है कि हर किताब आपको कुछ न कुछ सिखाती है.

ऋचा चड्ढा : मैंने जीवन के नाजुक समय में 'ऑटोबायोग्राफी ऑफ अ योगी' पढ़ी. मेरे पिता ने मुझे इसके बारे में बताया. मैंने विश्वास पर आधारित एक अध्याय पढ़ा और मुझे अंदर से कुछ सकारात्मक महसूस हुआ. मैंने इसकी कई प्रतियां अपने दोस्तों को उपहार में दी. मैं साल में कई बार इसका उल्लेख करती हूं.

अरुणोदय सिंह : मेरे अध्यापक जॉन चोट द्वारा दी गई रिताब ने जीवन के प्रति मेरे नजरिए को बदल दिया. यह कोलेमन बार्क्‍स द्वारा अनुवादित जलालुद्दीन रूमी की कविताओं का संकलन था.

सुमित व्यास : जॉर्ज ओरवेल की 'एनिमल फॉर्म' ने दुनिया को देखने का मेरा नजरिया बदला और हारुकी मुराकामी की 'व्हाट आई टॉक अबाउट व्हेन आई टॉक अबाउट रनिंग' ने मेरे कहानी कहने के तरीके को आकार दिया.