जानिए उन 'नायकों' को जिनके आगे अब इन हिंदी फिल्मों के सितारों की चमक फीकी लगती है
पिछले कुछ सालों में बॉलीवुड पर लगातार फ्लॉप फिल्में देने, खराब एक्टिंग, कहानी चोरी करने और सुपरहिट फिल्मों का रीमेक बनाने जैसे तमाम आरोप लगाए जा रहे है.
साल 1995 में एक फिल्म आई थी 'दिलवाले दुल्हनिया ले जायेंगे' इस फिल्म को सिनेमा हॉल में देखने के लिए सिनेप्रेमियों का हुजूम उमड़ा पड़ा था. फिल्म का लोकप्रिय गाना 'तुझे देखा तो ये जाना सनम' शुरू होते ही दर्शक नाचने लगे थे, तालियां बजाने लगी थीं. आज 28 साल बाद भी इस फिल्म का क्रेज इतना ज्यादा है कि इसे बड़े पर्दे पर फिर से रिलीज किया गया और दर्शक एक बार फिर उसी जोश के साथ देखने सिनेमा हॉल पहुंचे.
सिर्फ डीडीएलजे ही नहीं बल्कि पिछले 70 सालों में बॉलीवुड ने दुनिया को ऐसी ऐसी सुपरहिट फिल्में दी हैं जिसे आज भी लोग देखते हैं तो फिल्म की कहानी और अभिनेता के अभिनय की तारीफ करते नहीं थकते हैं.
लेकिन आज बॉलीवुड फिल्मों की जो मौजूदा स्थिति है राष्ट्रीय बहस का मुद्दा बना हुआ है. दरअसल पिछले कुछ सालों में बॉलीवुड पर लगातार फ्लॉप फिल्में देने, खराब एक्टिंग, कहानी चोरी करने और सुपरहिट फिल्मों का रीमेक बनाने जैसे तमाम आरोप लगाए जा रहे है. बॉलीवुड की छवि इतनी खराब हो गई है कि अब बड़े से बड़ा सुपरस्टार भी अपनी फिल्म को नहीं चला पा रहा है.
फिर चाहे वो सलमान खान की 'किसी का भाई किसी की जान' हो या आमीर खान की ‘लाल सिंह चड्ढा’. साल 2022 और 2023 में कई ऐसी फिल्में रिलीज की गई जिसमें बॉलीवुड के सुपरस्टार तो हैं लेकिन अपने दम पर वो इन फिल्मों को चला नहीं पाएं. हाल ही में अक्षय कुमार की आई फिल्म ‘रक्षाबंधन’ भी फ्लॉप ही रही. शाहरुख की फिल्म 'पठान' को भी जितना हाइप दिया गया उतना बॉक्स ऑफिस पर नहीं चल पाई.
कभी नायकों के नाम पर चलती थीं फिल्में
वो कहते हैं न समय के साथ दर्शकों के फिल्म देखने का नजरिया भी बदलता है. इस देश में एक वक्त ऐसा था जब बॉलीवुड की कई फिल्में सिर्फ नायकों के नाम पर चल जाती थीं. फिर चाहे वो देवाननंद हों या अमिताभ बच्चन. उनकी फिल्मों में सिर्फ उन्हें एक्टिंग करता देखने के लिए सिनेमा हॉल के बाहर दर्शकों की लाइन लगी होती थी. हमारे देश में तो फिल्मी हस्तियों को पूजने और उनके मंदिर बनाने तक का रिवाज रहा है. लेकिन धीरे-धीरे समय बदलता गया और दर्शक सुपरस्टार या नायक की जगह अच्छी स्क्रिप्ट की मांग करने लगे.
ये भी सबसे बड़ा कारण रहा है कि अब दर्शक मनोरंजन के लिए सिनेमा हॉल से ओटीटी की तरफ शिफ्ट हो रहे हैं और सुपरस्टार या नायक की जगह अच्छी स्क्रिप्ट और अच्छी एक्टिंग करने वाले एक्टर की तरफ.
इस खबर हम आपको ऐसे 'नायकों' के बारे में बताएंगे जिनके आगे अब हिंदी फिल्मों के सितारों की चमक फीकी लगती है.
पंकज त्रिपाठी: बॉलीवुड में नायकों की एक छवि बनी हुई है. उंचे कद वाला हट्टा-कट्टा नौजवान, जो जरूरत पड़ने पर बिना कुछ सोचे 50 गुंडों से लड़ जाता है. इस छवि से इतर पंकज त्रिपाठी बहुत ही औसत दिखने वाले एक शख्स हैं.
पंकज त्रिपाठी बॉलीवुड इंडस्ट्री के ऐसे अभिनेता हैं जो बेहतरीन अभिनय से लोगों को अपना मुरीद बना लेते हैं. उन्होंने हिंदी सिनेमा को 'गैंग्स ऑफ वॉसेपुर', 'मीमी', 'नील बटा सन्नाटा', 'कागज' जैसे कई ऐसी फिल्में दी हैं जिसमें न सिर्फ उनके अभिनय को बल्कि उस फिल्म की कहानी को भी दर्शकों ने बेहद पसंद किया है. लेकिन जिस तरह उन्होंने मिर्जापुर में कालीन भैया का किरदार निभाया है वो यूपी--बिहार के बाहुबलियों से एकदम मेल खाता है. पंकज ने अपने अभिनय के दम पर यूपी बाहुबलियों के चरित्र को पूरी शिद्दत के साथ जिया है.
जयदीप अहलावत: 'पाताल लोक' सीरीज में अपने बेहतरीन एक्टिंग से दर्शकों के बीच अपनी पहचान बनाने वाले जयदीप अहलावत बॉलीवुड के जाने-माने कलाकार हैं. उन्होंने बहुत ही कम उम्र में रंगमंच के जरिए एक्टिंग शुरू कर दी थी. इस एक्टर ने कई बेहतरीन फिल्में की है लेकिन वेब सीरीज 'पाताल लोक' उनके करियर के लिए टर्निंग प्वाइंट साबित हुआ. 'पाताल लोक' में जयदीप ने 'हाथीराम' का किरदार निभाया है. जयदीप को साल 2010 में आई प्रियदर्शन की फिल्म 'खट्टा मीठा' में भी देखा गया था. इसके अलावा वह गैंग्स ऑफ वासेपुर में भी काम कर चुके हैं.
नवाजुद्दीन सिद्दीकी: नवाजुद्दीन सिद्दीकी की पहली फिल्म साल 1999 में आई थी, नाम था सरफरोश. उन्होंने 1999 में डेब्यू तो कर लिया था लेकिन इंडस्ट्री में पहचान मिलने में लगभग 13 साल लग गए. नवाजुद्दीन आज ओटीटी से लेकर बड़े पर्दे तक कई फिल्मों में काम कर चुके हैं. अपनी एक्टिंग के दम पर फिल्म इंडस्ट्री में जगह बनाने वाले नवाज को साल 2012 में आई फिल्म 'कहानी' से पहचान मिली थी. इसके बाद उन्होंने ओटीटी पर रिलीज हुई सीरीज गैंग्स ऑफ वासेपुर में फैजल के किरदार निभाया और रातों रात बड़े स्टार बन गए.
दिव्येंदु शर्मा: ‘मिर्जापुर’ के ‘मुन्ना भैया’ को कौन नहीं जानता होगा. आज भले ही दिव्येंदु ओटीटी के कई सीरीज में आ चुके हैं और लाखों दर्शकों के फेवरेट एक्टर बन चुके हैं, लेकिन उन्हें भी इस मुकाम तक पहुंचने के लिए काफी स्ट्रगल करना पड़ा था. दिव्येंदु ने एक इंटरव्यू में बताया था कि फिल्मी बैकग्राउंड नहीं होने के कारण उन्हें अच्छे रोल्स पाने के लिए कड़ी मशक्कत करनी पड़ी थी. फिल्मों में पहले उन्होंने कई विज्ञापनों में काम किया था.
दिव्येंदु के एक्टिंग ने सबसे पहली बार प्यार का पंचनामा में लोगों का ध्यान अपनी ओर खींचा. इस फिल्म के बाद उन्होंने ओटीटी का रुख किया और ‘मिर्जापुर’ के ‘मुन्ना भैया’ से हिट हुए. इसमें उनके किरदार को खूब सराहा गया.
शारिब हाशमी: 'द फैमिली मैन' में अपनी एक्टिंग के दम पर दर्शकों के दिल में अपनी जगह बनाने वाले शारिब हाशमी ने अपने करियर की शुरुआत बतौर असिस्टेंट डायरेक्टर से की थी. उन्होंने गोविंदा और उर्मिला मातोंडकर की फिल्म 'हम तुम पे मरते हैं' में भी काम किया है. इसके अलावा शारिब ने 4 साल एमटीवी में बतौर हाउस राइटर काम किया है. कई सालों के स्ट्रगल के बाद हाशमी को 'द फैमिली मैन' में एक्टिंग करते देखा गया.
हालांकि इससे पहले उन्होंने कई फिल्मों में छोटे छोटे रोल किए थे लेकिन इस सीरीज में दर्शकों ने उनके एक्टिंग की जमकर तारीफ की. 'द फैमिली मैन' के रिलीज के बाद शारिब हाशमी को 'असुर', 'स्कैम', 'द फैमिली मैन 2', 'विक्रम वेधा', 'धाकड़', 'द ग्रेट इंडियन मर्डर' से अलग पहचान बनी. आज पर्दे पर इन्हें सब पसंद करते हैं.
मनोज बाजपेई: 'संघर्ष आपको बहुत सिखाता है, मुझे खुशी है कि मैंने इस रोलर कोस्टर पर सवारी की है.' ये कहना है फिल्म इंडस्ट्री के जानें माने एक्टर मनोज बाजपेयी का. मनोज बाजपेई उन चुनिंदा एक्टरों में शामिल हैं जिन्होंने फिल्मी बैकग्राउंड न होने के बाद भी अपने संघर्ष और एक्टिंग के बलबूते पर दर्शकों के दिलों में अपनी जगह बनाई है.
साल 2012 में आयी फिल्म गैंग्स ऑफ वासेपुर से मनोज बाजपेई को जबरदस्त सफलता हासिल हुई थी. मनोज अब ऑफबीट फिल्मों के साथ ही साथ कई कमर्शियल फिल्मों का भी हिस्सा रह चुके हैं. गैंग्स ऑफ वासेपुर के बाद मनोज बाजपेयी द फैमिली मैन जैसे कई ओटीटी सीरीज किए.
इसके अलावा जीशान अयूब, राजेश शर्मा, यशपाल शर्मा, विक्रांत मैसी, विजय वर्मा, रसिका दुग्गल, शेफाली शाह, श्रिया पिलगांवकर, आहना कुमारा, राधिका आप्टे, शोभिता धुलिपाला, निधि सिंह (अपहरण), श्वेता त्रिपाठी भी उन कलाकारों की लिस्ट में शामिल हैं. जिन्होंने न सिर्फ बेहतरीन कलाकारी से जनता के दिलों में अपनी जगह बनाई है. बल्कि ओटीटी पर लगातार किसी न किसी सीरीज में नजर आ रहे है.
कोरोना के बाद से बदला जनता के फिल्म देखने का नजरिया
भारतीय दर्शक अब थियेटर जाने से ज्यादा घर में फिल्में या सीरीज देखना पसंद करने लगे हैं. दरअसल साल 2020 में कोरोना वायरस के कारण देशभर में लॉकडाउन लगा और लोग घरों में बैठकर फिल्में देखने लगें. इसके बाद जब से लॉकडाउन हटा है और फिल्में थिएटर में रिलीज होनी शुरू हुई हैं, तब से लोग सिनेमाघरों से गायब दिखे.