Zakir Hussain Funeral: मशहूर तबला वादक जाकिर हुसैन का सोमवार को 73 साल की उम्र में सैन फ्रांसिस्को के एक अस्पताल में निधन हो गया था. वे लंग्स की बीमारी इडियोपैथिक पल्मोनरी फाइब्रोसिस से जूझ रहे थे. वहीं गुरुवार को उन्हें सैन फ्रांसिस्को में नम आखों के साथ सुपुर्द-ए-खाक कर दिया गया. . समाचार एजेंसी पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार, हुसैन को अंतिम विदाई देने के लिए ड्रमर आनंदन शिवमणि भी पहुंचे थे.


जाकिर हुसैन के परिवार में कौन हैं? 
ज़ाकिर हुसैन के परिवार में उनकी पत्नी एंटोनिया मिनेकोला और बेटियां अनीसा क़ुरैशी और इसाबेला क़ुरैशी हैं.तबला वादक की मृत्यु से संगीत की दुनिया में एक युग का अंत हो गया है.परिवार के बयान में कहा गया है, "वह दुनिया भर के अनगिनत संगीत प्रेमियों द्वारा संजोई गई एक असाधारण विरासत छोड़ गए हैं, जिसका प्रभाव आने वाली पीढ़ियों तक रहेगा."


 






उस्ताद अल्ला रक्खा के बेटे थे जाकिर हुसैन
ज़ाकिर हुसैन का जन्म 9 मार्च, 1951 को प्रसिद्ध तबला वादक उस्ताद अल्ला रक्खा के सबसे बड़े बेटे के रूप में हुआ था. उन्होंने 12 साल की उम्र में भारतीय शास्त्रीय संगीत में अपना प्रोफेशनल करियर शुरू कर दिया था.18 साल की उम्र तक, वह अंतरराष्ट्रीय मंचों पर परफॉर्म करने लगे थे. ज़ाकिर हुसैन का काम सिर्फ शास्त्रीय संगीत तक ही सीमित नहीं था. उन्होंने जॉर्ज हैरिसन, सेलिस्ट यो-यो मा और जैज़ संगीतकार हर्बी हैनकॉक जैसे संगीत के कुछ महानतम नामों के साथ भी कोलैबोरेट किया.


 जाकिर हुसैन न सिर्फ एक महान तबला वादक थे बल्कि एक बेहतरीन संगीतकार भी थे. उन्होंने हीट एंड डस्ट और इन कस्टडी जैसी फिल्मों के लिए म्यूजिक भी दिया था. उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय बैले और आर्केस्ट्रा प्रोडक्शन के लिए कुछ मैजिकल कंपोजिशन भी बनाई थीं. 


जाकिर हुसैन को चार बार ग्रैमी अवॉर्ड से नवाजा गया था
संगीत के दिग्गज ने अपने छह दशक के करियर में चार ग्रैमी पुरस्कार हासिल किए थे. जिनमें से तीन इस साल की शुरुआत में 66वें ग्रैमी पुरस्कार में मिल थे.


जाकिर पद्मश्री से लेकर पद्मविभूषण से किये गये थे सम्मानित
जाकिर हुसैन को  साल 1988 में पद्मश्री से नवाजा गया था. इसके बाद साल 2002 में उन्हें पद्मभूषण और साल 2023 में पद्मविभूषण जैसे सर्वोच्‍च पुरस्कारों से सम्मानित किया गया. हुसैन को 1990 में संगीत के सर्वोच्च सम्मान 'संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार' से भी नवाजा गया था.


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