एक्टर पंकज त्रिपाठी का छठ पूजा से है गहरा लगाव, कभी पूजा के आखिरी दिन करते थे नाटक
छठ पूजा से उनकी एक्टिंग के भी कई किस्से जुड़े हुए हैं. आज भी वे गांव की पूजा को काफी मिस करते हैं.
नई दिल्लीः उत्तर भारत के बिहार, झारखंड में छठ का पर्व काफी धूमधाम से मनाया जाता है. हर साल लाखों की संख्या में लोग तालाब और नदियों के किनारे जाकर पूजा करते थे, लेकिन इस बार कोरोना की वजह से कुछ पाबंदियां हैं. ऐसे में लोग छठ पर्व को याद कर रहे हैं. एक्टर पंकज त्रिपाठी का भी छठ पूजा से गहरा लगाव रहा है. एक हालिया इंटरव्यू में उन्होंने कई यादें साझा की हैं, जिनसे कई लोग अब तक अनजान हैं.
पंकज त्रिपाठी के मुताबिक छठ पूजा से उनकी एक्टिंग के भी कई किस्से जुड़े हुए हैं. एक वक्त ऐसा भी था, जब वो अपने गांव में पूजा के आखिरी दिन चंदा जमा करके नाटक में एक्टिंग करते थे. इसके लिए 15-20 दिन पहले रिहर्सल किया जाता था. रात में लाइटिंग का इंतजाम करके नाटक करते थे. बैट्री वाले माइक और साउंड की भी व्यवस्था की जाती थी. उनके जेहन में अब तक वे यादें ताजा हैं. इस पर्व पर वे अपनी मां के हाथ के ठेकुआ को भी वे मिस करते हैं.
पहले वे छठ पूजा पर हर दो साल में एक बार अपने गांव जाते थे, लेकिन जब से उनकी मां ने पूजा बंद कर दी, तब से वे नहीं जा पाते. इस बार कोरोनावायरस की वजह से वे छत पर ही त्योहार मनाएंगे. उन्होंने कहा कि इस बार वे छठी मईया से प्रार्थना करेंगे कि अगली साल सब ठीक हो जाए, ताकि धूमधाम से त्योहार मनाया जा सके.
पंकज त्रिपाठी से जब पूछा गया कि छठ से उनका कैसा लगाव रहा है, तो उन्होंने कहा कि यह प्रकृति की पूजा है. नदी या तालाब के किनारे पूजा होती है. इसमें उगते और डूबते सूरज की पूजा होती है. सूर्य, नदी सब प्रकृति का हिस्सा है. यह त्योहार सिखाता है कि हमें प्रकृति की इज्जत करनी चाहिए. इस पूजा के रीति-रिवाज कठिन होते हैं. छठ पूजा तप वाला काम है. पंकज त्रिपाठी को आज भी इस पर्व के कई लोकगीत याद हैं. उन्होंने कहा कि यह सामाजिक सरोकार वाला त्योहार है.