नई दिल्ली: मशहूर अभिनेता कादर खान से तो हर कोई वाकिफ है. उन्होनें अपने फिल्मी करियर में 300 के करीब फिल्मों में अभिनय किया. वे एक शानदार अभिनेता थे. कॉमेडी का रोल हो फिर विलेन का उन्होंने हर तरह के किरदारों को बाखूबी निभाया और उनमें अपनी छाप छोड़ी. एक लाइलाज बीमारी के चलते 31 दिसंबर वर्ष 2018 में उनका कनाडा में निधन हो गया था.


कादर खान ने हिंदी सिनेमा को पहचान दिलाने में बड़ा योगदान दिया. उन्होनें फिल्मों में चरित्र अभिनय भी किए. उनकी दमदार आवाज और शानदार डायलॉग डिलीवरी के लोग दीवाने रहे. उन्होंने फिल्मों में डायलॉग लिखने की परंपरा को नई पहचान दी. उन्होने कई फिल्मों में यादगार अभिनय किया.


कादर खान की प्रतिभा को सबसे पहले पहचाना मशहूर अभिनेता दिलीप कुमार ने. कदार खान का जन्म पाकिस्तान में हुआ था. बाद में वे भारत चले आए और अभिनय को ही अपना करियर बना लिया. दिलीप कुमार ने उन्हें फिल्मों में सबसे पहले मौका दिया. 90 के दशक में बॉलीवुड की अधिकतर फिल्मों में वे किसी न किसी रूप से जुड़े रहे फिर चाहे अभिनय हो या फिर सवांद लेखन. ये वो समय था जब कहा जाता था कि कादर खान के बगैर फिल्म पूरी ही नहीं सकती है. मेरी आवाज सुनो, अंगार और बाप नंबरी बेटा दस नंबर फिल्म के लिए बेस्ट डायलॉग राइटर का अवार्ड भी मिला.


हास्य अभिनेता के रूप में कादर खान को खूब लोकप्रियता मिली. दर्शकों ने उन्हें इस रूप में भी खूब सराहा. अभिनेता गोविंदा के साथ उनकी केमिस्ट्री दर्शकों ने काफी पसंद की. इस जोड़ी ने कई हिट फिल्में दी. दरिया दिल, हम हैं कमाल के, आंखें, राजा बाबू, छोटे सरकार, साजन चले ससुराल, नसीब, दूल्हे राजा, बड़े मियां, छोटे मियां और अंखियों से गोली मारे कुछ ऐसी यादगार फिल्में है जिनमें उनके अभिनय को आज भी याद किया जाता है.


उनके द्वारा निभाए गए कुछ किरदारों के नाम आज याद किए जाते हैं जैसे दरिया दिल का धनीराम जो अपने बेटे को हमेशा अच्छी बातें बताता है और जिंदा रहते हुए भी मरने का सस्पेंस पैदा करता है. इस किरदार को दर्शकों ने खूब पंसद किया गया. बड़े बड़े अभिनेता भी उनके सामने डायलॉग बोलते समय हिचकते थे.