नई दिल्ली: मशहूर खलनायक अमरीश पुरी की प्रतिभा का लोहा बॉलीवुड में ही नहीं हॉलीवुड में भी माना जाता था. हॉलीवुड के ऑस्कर विजेता मशहूर निर्देशक स्टीफन स्पीलबर्ग भी अमरीश पुरी की एक्टिंग के कायल थे. लेकिन अमरीश पुरी को स्टीवेन स्पीलबर्ग की एक बात ऐसी नागवार गुजरी कि उन्हें अमरीश पुरी को मनाने के लिए खुद भारत आना पड़ा.


80 के दशक में अमरीश पुरी की एक्टिंग का सिक्का अपनी बुलंदियों पर था. अमरीश पुरी द्वारा निभाए जा रहे किरदारों को भारत में ही नहीं विदेशों में भी सराहा जा रहा था. अपनी दमदार आवाज और मजबूत कदकठी के चलते वे पर्दे पर हीरो पर भी भारी पड़ रहे थे. हिंदी सिनेमा में अमरीश पुरी ने खलनायकों की परंपरा को ही बदल दिया. अमरीश पुरी की दमदार एक्टिंग के चलते वे फिल्मों में हीरो के बराबर माने जाने लगे थे. उनकी प्रतिभा की गूंज जब हॉलीवुड में मशहूर निर्देशक स्टीवेन स्पीलबर्ग ने सुनी तो उन्होंने अपनी फिल्म में उन्हें एक रोल ऑफर किया. स्टीवेन स्पीलबर्ग उस समय इंडियाना जोंस द टेंपल ऑफ डूम बना रहे थे. यह फिल्म 1984 में रिलीज हुई. इस फिल्म में वे अमरीश पुरी को मोलाराम के किरदार के रूप में लेना चाहते थे.


लेकिन स्टीवेन स्पीलबर्ग ने एक गलती कर दी जिससे अमरीश पुरी नाराज हो गए. दरअसल स्टीवेन स्पीलबर्ग ने मोलाराम के इस किरदार के लिए अमरीश पुरी को साइन करने के लिए अपने एक असिस्टेंट को भारत भेज दिया. उसने भारत आकर अमरीश पुरी से मुलाकात की और बताया कि उसे स्टीवेन स्पीलबर्ग ने अपनी फिल्म में लेने के लिए भेजा है इसलिए वह अमरीश पुरी का ऑडिशन लेने आए हैं. इस पर अमरीश पुरी ने उस असिस्टेंट से कहा कि अगर ऑडिशन लेना है तो इसके लिए स्टीवेन स्पीलबर्ग को भारत आना पड़ेगा. अन्यथा वे ऑडिशन नहीं देंगे.


यह बात जब उस असिस्टेंट ने स्टीवेन स्पीलबर्ग को जाकर बताई तो उन्हें अपनी गलती का अहसास हुआ और वे भारत आए और अमरीश पुरी से मिले. इसके बाद अमरीश पुरी ने फिल्म में काम करने के लिए हां कह दी. जब यह फिल्म पर्दे पर आई तो हॉलीवुड में उनके अभिनय की खूब तारीफ की गई.