Kalpana Saroj Success Story: किसी ने सच कहा है अगर हौंसलों में जान है तो मुश्किल हालात भी मंजिल पाने की राह में रोडा नहीं बन सकते. कई लोगों की जिंदगी में कई बार ऐसे हालात पैदा हो जाते हैं जब लगने लगता है कि अब सब खत्म हो गया लेकिन उस वक्त जो लोग बिना धैर्य खोए खुद पर भरोसा रखकर आगे बढ़ते हैं तो उन्हें बुलंदी छूने से कोई नहीं रोक पाता है. आज हम आपको ऐसी ही एक महिला की सक्सेस स्टोरी बताएंगें जिन्होंने तमाम मुश्किलों से लड़कर आज 2000 करोड़ का साम्राज्य खड़ा कर लिया है.


ये कहानी किसी और की नहीं बल्कि कल्पना सरोज की है. कल्पना सरोज आज एक इंडियन एंटरप्रन्योर और कमानी ट्यूब्स की चेयरपर्सन हैं. लेकिन इस मुकाम तक पहुंचने के लिए उन्होंने कई मुश्किल हालातों का सामना किया और आज वे कईं लोगों के लिए इंस्पिरेशन बन चुकी हैं. उन्हें अक्सर पहली "स्लमडॉग मिलियनेयर" के रूप में जाना जाता. उनकी सफलता की राह आसान नहीं थी लेकिन उन्होंने दुनिया को दिखा दिया कि अगर आपको खुद पर भरोसा है तो सब कुछ संभव है.


बचपन से झेला भेदभाव
कल्पना सरोज का जन्म महाराष्ट्र के विदर्भ में एक गरीब परिवार में हुआ था. परिवार को दो वक्त की रोटी भी काफी मुंश्किलों के बाद नसीब होती थी. कल्पना सरोज एक दलित परिवार से थीं तो उन्हें बचपन से ही काफी भेदभाव झेलना पड़ा. उनकी तीन बहनें और दो भाई थे. दलित होने की वजह से स्कूल में बाकी बच्चों के पैरेंट्स उनके साथ अपने बच्चों को बात तक नहीं करने देते थे. कल्पना को स्कूल जाना अच्छा लगता था और वह एक प्रतिभाशाली छात्रा थीं. लेकिन चूँकि वह एक दलित थी, उनके टीचर अक्सर उन्हें अन्य छात्रों से अलग बैठाते थे.




नर्क से बदतर था ससुराल
जब वह मात्र 12 वर्ष की थी तब उनके माता-पिता ने उनकी शादी उनसे 10 साल बड़े आदमी से कर दी गई थी. वह अपने पति के साथ मुंबई रहने चली गईं. लेकिन ससुराल में उनकी जिंदगी नरक के समान हो गई. यहां उन्हें ने दस व्यक्तियों के घर में खाना पकाने, सफाई और कपड़े धोने का सारा काम करना पड़ा था. यहां तक कि कल्पना की रोज ससुराल में पिटाई होती थी. ससुराल वालों ने मार-मारकर उनका शरीर बेदम कर दिया था. वहीं शादी के छह महीने बाद, उनके पिता उनकी हालत देखकर कांप उठे थे. इसके बाद कल्पना ने अपने पिता के साथ घर लौटने का फैसला किया. घर लौटने पर, उनके गांववालों ने उनका मजाक उड़ाया. उनके परिवारवालों को खूब ताने सुनाए गए. दरअसल शादी के बाद माता-पिता के साथ रहना दलित समुदाय द्वारा पाप के रूप में देखा जाता था.


सुसाइड की कोशिश की
कल्पना अपने आस-पास के लोगों के दुर्व्यवहार से टूट चुकी थीं. वे अपनी जिंदगी को बोझ मानने लगी थीं. फिर उन्होंने आत्महत्या की कोशिश की. कल्पना ने चूहे मारने की दवा की तीन बोतलें पी लीं. शुक्र है कि कल्पना की चाची की नजर उस पर तुरंत पड़ गई और उन्हें अस्पताल ले जाया गया और वह बच गई. इस घटना के बाद कल्पना का जिंदगी बदल गई. उन्हें भगवान द्वारा जीवन का एक और मौका दिया गया था, और वह इसे आत्म-घृणा में बर्बाद नहीं करना चाहती थीं.


इसके बाद 16 साल की उम्र में कल्पना ने मुंबई लौटने और अपने चाचा के साथ रहने का फैसला किया.वह मुंबई में एक गारमेंट फैक्ट्री में काम करने लगीं. यहां उन्हें दिन के 2 रुपये  मिलते थे. वह कुछ ही महीनों में एक एक्सपर्ट दर्जिन बन गई और उनका प्रमोशन हो गया अब 2 रुपये से उन्हें 10 रुपये कमाई हो गई. फिर वह अपने परिवार के साथ एक कमरे के फ्लैट में रहने लगी, जिसे उसने किराए पर लिया था. कल्पना का जीवन बस बेहतर हो रहा था और अचानक, सब कुछ बदल गया. उनकी छोटी बहन का निधन हो गया क्योंकि वह उसके इलाज के लिए पर्याप्त पैसे नहीं जुटा सकी थीं.




बहन की मौत के बाद सफल होने की पकड़ ली जिद
बहन की मौत के बाद, कल्पना ने एक साधारण नौकरी ना करने का फैसला किया और एक एंटरप्रेन्योर बन गईं. उन्होंने कई सरकारी स्कीम का लाभ उठाया और लोन के लिए अप्लाई किया. फिर उन्होंने एक छोटा फ़र्नीचर बिजनेस शुरू किया और हाई-एंड फ़र्निचर के सस्ते वर्जन बेचे. अपने फर्नीचर बिजनेस के साथ-साथ उन्होंने सिलाई का काम भी जारी रखा. कल्पना हर दिन लगभग सोलह घंटे काम करती थीं. उन्हें जिद थी कि वह सफल होकर रहेंगी चाहे उन्हें किसी भी परिस्थिति का सामना क्यों ना करना पड़े.


 


सफलता की ओर कदम
कमानी ट्यूब्स की मालिक बनने से पहले कल्पना रियल एस्टेट की लड़ाई में फंस गई थीं. दो साल तक उन्होंने कानूनी लड़ाई लड़ी और जमीन के मुकदमे का मामला सुलझाया. एक दिन, भारी कर्ज में डूबी मेटल इंजीनियरिंग कंपनी कमानी ट्यूब्स के वर्कर्स ने कार्यभार संभालने और कर्ज चुकाने के लिए उनसे संपर्क किया. अपने बिजनेस के पहले क्रम के रूप में, उन्होंने दस सदस्यों की एक कोर टीम बनाई. धीरे-धीरे उनकी मेहनत रंग लाई और कमानी ट्यूब्स फिर से मुनाफे में आ गई.


झुग्गी में रहने से लेकर 2000 करोड़ का साम्राज्य स्थापित करने तक, कल्पना की कहानी वास्तव में इंस्पायरिंग है “आइवी लीग की डिग्री और फैंसी एमबीए किसी को उद्यमी को नहीं बनाते हैं. धैर्य, दृढ़ता और खुद पर विश्वास रखने की क्षमता ही सफलता की कुंजी है.


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