Oscar History: लॉस एंजलिस में 96वें अकादमी पुरस्कार का आयोजन रखा गया है. भारत में इसे 11 मार्च की सुबह 4 बजे के आस-पास सोनी लिव पर देखा सकता है. ऑस्कर का इतिहास 96 साल पुराना है जिसकी शुरुआत साल 1929 में हुई थी. ऑस्कर में विनर सिलेक्शन प्रोसेस बेहद दिलचस्प है क्योंकि तब ज्यूरी ही विनर का नाम तय करती थी और विनर का नाम ब्रीफकेस में बंद किया जाता था.


ऑस्कर का इतिहास काफी दिलचस्प है जिसके बारे में फिल्म इंडस्ट्री के अलावा उन्हें भी पता होना चाहिए जो फिल्मी दुनिया की हर छोटी-बड़ी खबर में दिलचस्पी रखता है. यहां आपको 1929 में शुरू हुए ऑस्कर के सफर के बारे में कुछ अहम और दिलचस्प फैक्ट्स बताने जा रहे हैं.


कब और कैसे हुई थी 'ऑस्कर' की शुरुआत?


मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, साल 1927 में अमेरिका के एमजीएम स्टूडियो के मालिक लुईस बी मेयर ने सबसे पहले इसके बारे में सोचा था. उनके दिमाग में आया कि क्यों ना एक ग्रुप बनाया जाए जिसमें पूरी फिल्म इंडस्ट्री को फायदा मिल सके. इसपर उन्होंने अपने साथ काम करने वाले और दोस्तों को बुलाकर एक मीटिंग की जिसमें डायरेक्टर फ्रैड निबलो, फिल्ममेकर फीड बिटसोन और एक्टर कॉनरेड नागेल शामिल हुए. उन लोगों को ये आइडिया पसंद आया और बाद में एक होटल में हॉलीवुड के 36 टॉप पर्सनैलिटी को बुलाया गया था. सबके सामने ये आडिया रखते हुए 'अकादमी पुरस्कार' नाम बताया गया, जिसे सभी ने पसंद किया.


मार्च, 1927 को हॉलीवुड एक्टर-प्रोड्यूसर डगलस फेयरबैंक्स अकादमी पुरस्कार का प्रेसिडेंट बनाया गया. इसके बाद ये सोचा गया कि सम्मान पाने वाले को दिया क्या जाएगा, जिसमें काफी बहस होने के बाद तय हुआ कि एक ट्रॉफी दी जाए जिसे अलग तरह का डिजाइन करना होगा. एक डिजाइन फाइनल हुई जिसमें हाथ में तलवार लिए एक वॉरियर खड़ा होगा. इस मूर्ति को बनाने की जिम्मेदारी एमजीएम स्टूडियो के आर्ट डायरेक्टर केड्रिक गिबोन्स को मिली. 


कैसे तैयार की गई ऑस्कर की ट्रॉफी?


ऑस्कर की ट्रॉफी 13 इंच लंबी और 8.85 किलो की बनाई गई थी जिसमें 92.5 प्रतिशत टिन, 7.5 प्रतिशत तांबा लगाया गया और आखिर में सोने की परत चढ़ाई गई. एक ऑस्कर ट्रॉफी को बनाने में 400 डॉलर यानी लगभग 33 हजार 77 रुपये का खर्चा आया. 


कब हुआ पहला ऑस्कर अवॉर्ड इवेंट?


16 मई 1929 को पहला अकादमी पुरस्कार (Academy Awards) आयोजित हुआ. जिसमें करीब 270 हॉलीवुड सेलिब्रिटीज शामिल हुए. इन सभी सेलेब्स को हॉलीवुड रूजवेल्ट होटल के ब्लॉसम रूम में आने के लिए इनविटेशन भेजा गया. यहीं पर पहला ऑस्कर इवेंट हुआ जिसमें कोई दर्शक नहीं थे और ये फंक्शन महज 15 मिनट में खत्म हो गया था. ये इवेंट पेड था जिसमें 5 डॉलर का एक टिकट बेचा गया था.


एक डॉग को कैसे मिली थी ऑस्कर की पहली दावेदारी?


रिपोर्ट्स के मुताबिक, पहला ऑस्कर जर्मन एक्टर एमिल जेनिंग्स ने जीता था, हालांकि ये अवॉर्ड के पहले दावेदार नहीं माने जाते हैं. ये अवॉर्ड जर्मन शेफर्ड नस्ल के एक डॉग के लिए था जिसका नाम टिन टिन बताया गया था. इस डॉग को फर्स्ट वर्ल्ड वॉर के समय फ्रांस में रेस्क्यू किया गया था. बाद में उस डॉग ने हॉलीवुड की करीब 27 फिल्मों में काम किया जिसमें से 4 साल 1929 में ही रिलीज हो चुकी थीं.


इनमें से दो फिल्मों उस डॉग ने बेहतरीन काम भी किया था इसलिए अवॉर्ड कमेटी ने उसे पहला ऑस्कर मिलने का हकदार माना था लेकिन अकादमी पुरस्कार के पहले प्रेसिडेंट फेयरबैंक्स ने सोचा कि अगर पहला अवॉर्ड किसी डॉग को दिया जाएगा तो समाज में एक गलत मैसेज जा सकता है. इसलिए कमेटी ने उस डॉग और जर्मन एक्टर एमिल जेनिंग्स को लेकर वोट किये जिसमें सबसे ज्यादा वोट्स एमिल को मिले और वो पहले ऑस्कर विजेता बने.


बदलता रहा ऑस्कर के विनर्स अनाउंस करने का तरीका


साल 1930 में दूसरा ऑस्कर अवॉर्ड हुआ जिसे पहली बार रेडियो पर प्रसारित किया गया. साल 1953 में पहली बार टीवी पर ऑस्कर अवॉर्ड्स दिखाए गए. अब करीब 200 देशों में इस अवॉर्ड सेरेमनी को लाइव दिखाया जाता है. साल 1939 में एकेडमी अवॉर्ड का नाम ऑस्कर किया गया और ऐसा करने की वजह आज तक सामने नहीं आई. साल 1929 में एकेडमी अवॉर्ड के विनर्स के नाम तीन महीने पहले विनर्स को भेज दिए गए थे.


लेकिन दूसरे इवेंट में फैसला हुआ कि विनर्स के नाम अवॉर्ड सेरेमनी की रात को करीब 11 बजे मीडिया के लिए जारी किए जाएंगे और ये सिलसिला साल 1941 तक चलाया गया. साल 1942 से नॉमिनेशन की लिस्ट से लेकर विनर्स के नाम बंद लिफाफे से निकाले जाते हैं. ये प्रचलन आज भी चल रहा है. फिल्मी जगत का 'ऑस्कर' को सबसे बड़ा सम्मान इसलिए माना जाता है क्योंकि यहीं से कलाकारों को सम्मान देने की शुरुआत की गई थी.


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