ये वो दौर था जब हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में सिर्फ धरमेंद्र, देव आनंद और राजेश खन्ना की फिल्में चलती थीं, लेकिन साल 1975 में रिलीज हुई फिल्म 'जय संतोषी मां' ने उस साल बॉक्स ऑफिस पर जबरदस्त कमाई कर साबित कर दिया कि फिल्में बड़े हीरो के बिना भी चल सकती हैं. ये फिल्म उस साल रिलीज हुई फिल्म 'शोले' के बाद सबसे ज्यादा कमाई करने वाली दूसरे नंबर की फिल्म रही.


आस्था के इस देश भारत में, लोगों की भावनाओं का कोई पार नहीं, जब फिल्म 'जय संतोषी मां' रिलीज हुई तो शहर के सिनेमाघरों में इसके पोस्टर लगे, लोग इस फिल्म को देखने के लिए दूर- दूर से बैलगाड़ियों में भर-भर कर आते थे. हालांकि इस फिल्म ने अपने पहले ही शो में 56 रुपये तो दूसरे में 64 जिसके बाद ईवनिंग शो में 98 रुपये और रात के शो में मुश्किल से 100 रूपये की कमाई की थी, लेकिन सोमवार की सुबह से जो इस फिल्म का जादू चला तो महीनों तक दर्शकों के सिर चढ़कर बोला.



उन दिनों जोधपुर में मंडोर के पास एक संतोषी माता का मंदिर हुआ करता था. फिल्म के आने के बाद से लोगों को पता चला कि ये देवी भी पुराणों में हैं, इतना ही नहीं फिल्म में संतोषी मां का किरदार निभाने वाली एक्ट्रेस अनीता गुहा भी नहीं जानती थी कि ऐसी भी कोई देवी हैं. इस बात का खुलासा उन्होंने अपने एक इंटरव्यू में किया था जिसमें उन्होंने बताया कि- फिल्म रिलीज होने के बाद लोग उन्हें सच में संतोषी मां मानने लगे थे और उनके दर्शन करने के लिए आते थे, साथ ही उन्होंने ये भी बताया था कि कैसे लोग अपने बच्चों को उनकी गोद में आशीर्वाद के लिए डाल देते थे.


इस फिल्म की कहानी आशीष ने घर में बेटी के जन्म के बाद सतराम के गुरु और फाइनेंसर सरस्वती गंगाराम को सुनाई, जिसके बाद उन्होंने फिल्म के लिए 50 हजार रुपये दिए थे, फिल्म की कहानी के राइट्स 11 लाख रुपये एडवांस देकर खरीदे गए. फिल्म 12 लाख में पूरी बनकर तैयार हो गई, जिसने अब तक बॉक्स ऑफिस पर करीब 25 करोड़ रुपये की कमाई कर चुकी है, लेकिन बावजूद इसके इसके वितरक और निर्माता के हाथ कुछ नहीं लगा, यहां तक कि फिल्म के प्रड्यूसर सतराम रोहरा ने तो खुद को इस फिल्म के बाद दिवालिया घोषित कर दिया था.



इस फिल्म के लिए लोगों में इस कदर दीवानगी देखी गई थी कि, गांव से लोग इस फिल्म को देखने आते तो चप्पल उतारकर सिनेमाघरों में जाते थे, फिल्म खत्म होने के बाद सिनेमाघऱों के बाहर लोग प्रसाद बांटते थे औऱ संतोषी मां की फ्रेम की हुई फोटो के साथ शुक्रवार की व्रत कथा बेचने वाले दुकानदारों की दुकानें भी खुल गई थी. लोगों ने शुक्रवार के दिन खट्टा खाना छोड़ दिया था.


फिल्म में संतोषी मां का किरदार निभाने वाली एक्ट्रेस रातोंरात फेमस हो गईं. हालांकि इससे पहले वो सीता माता के किरदार को भी निभा चुकी थी लेकिन पहचान उन्हें संतोषी मां बनकर ही मिली. फिल्म की कहानी ने तो इस फिल्म को ब्लॉक बस्टर बनाने में मदद की ही साथ ही फिल्म के संगीत ने इसमें खूब रंग भरे. फिल्म के गाने कवि प्रदीप ने लिखे और संगीतकार सी अर्जुन ने बहुत ही मौलिक और लोकगीतों के अनुरूप धुनें दीं, साथ ही खुद कवि प्रदीप ने भी इसके दो गानों को अपनी आवाज दी. फिल्म में दो गाने गाए। मन्ना डे और महेंद्र कपूर और उषा मंगेशकर ने उनकी धुनों पर अपनी आवाज का जादू खूब चलाया.



इस फिल्म के बाद भारत में संतोषी माता के कई मंदिर बने. इतना ही नहीं इस फिल्म ने पहली बार देश में लोगों को धर्म का व्यापार करना सिखाया. भगवान तक पहुंचाने वाले बहुत से बाबा खुद को ही भगवान बताकर अपनी पूजा करवाने लगे. कहा जाता है कि फिल्म का ऐसे दुरुपयोग की वजह से फिल्म से जुड़े सभी लोगों के साथ कुछ न कुछ गलत होता ही चला गया. 'जय संतोषी मां' में संतोषी माता बनीं अनीता गुहा को बाद में सफेद दाग की बीमारी हुई. लीड एक्टर कानन कौशल का करियर भी लगभग खत्म हो गया. उन्होंने लगभग 60 हिंदी और 16 गुजराती फिल्मों में काम किया मगर पहचान नहीं मिली. फिल्म के प्रड्यूसर सतराम रोहरा दिवालिया हो गए. फिल्म के डिस्टब्यूटर केदारनाथ अग्रवाल ने भी अपने भाइयों पर आरोप लगाया कि वो सारी रकम बीच में ही ले उड़े, बाद में उन्हें फालिज मार गई. संदीप सेठी के बीच फिल्म की कमाई को लेकर काफी लंबा विवाद चला, फिर आशीष ने फिल्म की कहानी पर सीरियल बनाया जिसका नाम था 'कथा संतोषी मां' और वो भी चल नहीं पाया.