कभी ड्राइवर हुआ करते थे लीजेंड्री कॉमेडियन Mehmood, इस घटना के बाद बदल गई थी किस्मत!
कहते हैं कि महमूद (Mehmood) प्रोड्यूसर ज्ञान मुखर्जी की कार चलाया करते थे और इस पेशे से उन्हें 75 रुपए महीना की कमाई होती थी. ज्ञान मुखर्जी की कार चलाने के दौरान अक्सर महमूद का स्टूडियोज में आना-जाना होता था और इस दौरान वो कलाकारों को नज़दीक से देखते थे.
महमूद(Mehmood) जिन्हें फिल्मों में उनकी ज़बरदस्त कॉमेडी के लिए जाना जाता है उनकी कहानी किसी बॉलीवुड फिल्म से कम नहीं है. ख़बरों की मानें तो महमूद ने घर की जिम्मेदारियों को पूरा करने के लिए ट्रेन में टॉफी बांटने से लेकर इंडस्ट्री के नामचीन लोगों के यहां ड्राइवर तक का काम किया था. कहते हैं कि महमूद प्रोड्यूसर ज्ञान मुखर्जी की कार चलाया करते थे और इस पेशे से उन्हें 75 रुपए महीना की कमाई होती थी. ज्ञान मुखर्जी की कार चलाने के दौरान अक्सर महमूद का स्टूडियोज में आना-जाना होता था और इस दौरान वो कलाकारों को नज़दीक से देखते थे.
कहते हैं कि एक बार फिल्म ‘नादान’ की शूटिंग के दौरान मधुबाला के सामने एक जूनियर आर्टिस्ट अपनी लाइन्स ठीक से नहीं बोल पा रहा था, जिसके चलते टेक पर टेक हो रहे थे.महमूद तब वहीं थे, ऐसे में फिल्म के डायरेक्टर हीरा सिंह ने यह लाइन्स महमूद से बोलने को कहा, आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि महमूद ने एक बार में ही यह टेक ओके कर दिया. इस टेक के एवेज में उन्हें 300 रुपए मिले थे.
कहते हैं कि इस घटना के बाद ही महमूद ने ड्राइवर का काम छोड़ फुल टाइम एक्टिंग में किस्मत आजमाने की ठानी. एक लंबे थका देने वाले संघर्ष से भरे दौर के बाद उन्हें फिल्मों में पहचान मिलना शुरू हुई थी. बताया जाता है कि इंडस्ट्री के कई नामचीन लोगों यहां तक की बड़े प्रोडक्शन हाउस तक ने महमूद को यह कहकर रिजेक्ट कर दिया था कि उनमें एक्टर बनने जैसे खूबी नहीं है. हालांकि, समय के साथ महमूद ने इन सभी को गलत साबित करके दिखाया. महमूद को बॉम्बे तो गोवा, पड़ोसन, कुंवारा बाप, गुमनाम, भूत बंगला, दो फूल, साधू और शैतान, सबसे बड़ा रुपैया जैसी बेहतरीन फिल्मों के लिए याद किया जाता है.
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