(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
जब रामानंद सागर के सपने में आए थे दारा सिंह, ऐसे मिला हनुमान का रोल
लॉकडाउन के चलते दूरदर्शन पर दोबारा 'रामायण' का प्रसारण शुरू हो गया है. ऐसे में 'रामायण' की शूटिंग से जुड़े कई किस्से इन दिनों चर्चा में हैं.
नई दिल्ली: देशभर में इस समय लॉकडाउन है. ऐसे में दूरदर्शन पर दोबारा रामानंद सागर की 'रामायण' का प्रसारण किया जा रहा है. इन दिनों इससे जुड़े किस्से सामने आ रहे हैं. आज हम आपको 'रामायण' में हनुमान का किरदार अदा करने वाले दारा सिंह से जुड़ी कुछ अहम जानकारी देने जा रहे हैं, जिसका खुलासा उनके बेटे विंदू ने किया है. 'रामायण' में हनुमान का रोल अदा करने वाले महान अभिनेता दारा सिंह पहले भी यह भूमिका निभा चुके थे.
दारा सिंह के बेटे विंदू ने बताया कि चंद्रकांत ने 1976 में उनके पिता को 'हनुमान' बनाने का काम सबसे पहले किया था. चंद्रकांत ने फिल्म 'बजरंग बली' बनाई थी. इस फिल्म के डायरेक्ट और प्रोड्यूसर चंद्रकांत थे. विंदु ने कहा कि इस फिल्म में उनके पिता ने हनुमान का रोल अदा किया था. ये फिल्म ब्लॉकबस्टर रही और इसके बाद उनके पिता को 'पवन पुत्र हनुमान' के नाम से पहचाना जाने लगा था. बता दें कि ये फिल्म 22 सितंबर 1976 को रिलीज हुई थी.
बजरंग बली की रिलीज़ के 11 साल बाद रामानंद सागर ने 'रामायण' बनाई. विंदु ने कहा कि जब रामानंद सागर ने 'रामायण' बनाना शुरू किया था तो दीपिका चिखलिया सीता की भूमिका के लिए उनकी पहली पसंद थीं. जबकि राम के रोल के लिए अरुण गोविल उनकी पहली पसंद नहीं थे. विंदु ने आगे बताया कि अरुण गोविल किसी दूसरे रोल के लिए सिलेक्ट किए गए थे. लेकिन अरुण गोविल केवल राम का किरदार अदा करना चाहते थे. उन्होंन कहा कि रामानंद सागर को एक रात सपने में मेरे पिता हनुमान के रूप में दिखाई दिए. इसके बाद मेरे पिता के पास यह रोल आया. उनके पास जिस वक्त ये रोल आया तो उनके पास इसे करने के अलावा कोई विकल्प नहीं था, क्योंकि रामानंद सागर को कोई मना नहीं करता था."
विंदू ने बताया, "मेरे पिता उस समय 60 वर्ष के थे और वर्षों तक कुश्ती लड़ने के बाद उनके घुटने और कंधे उन्हें परेशान करने लगे थे. रामानंद सागर ने उन्हें हनुमान की भूमिका निभाने के लिए राजी कर लिया. वह 'हनुमान' की भूमिका के लिए पूरी तरह से फिट थे." उन्होंने कहा, ''मेरे पिता ने बीआर चोपड़ा की 'महाभारत' में केवल एक बार हनुमान की भूमिका निभाई, लेकिन वह काफी छोटा रोल था.''
बता दें कि दारा सिंह अपने जमाने के विश्व प्रसिद्ध फ्रीस्टाइल पहलवान रहे. उन्होंने पचपन वर्ष की आयु तक पहलवानी की. 1983 में उन्होंने अपने जीवन का आखिरी मुकाबला जीतने के बाद कुश्ती से संन्यास ले लिया था. 19 नवंबर 1928 को जन्मे दारा सिंह का 83 वर्ष की आयु में मुंबई में निधन हो गया था.
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