देश भर में हर साल 15 अगस्त स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाया जाता है. वहीं इस दिन को भारतीय सिनेमा की एक ऐतिहासिक फिल्म के लिए भी याद किया जाता है. हम बात कर रहे हैं, रमेश सिप्पी की कल्ट फ़िल्म 'शोले' की, जो 15 अगस्त, 1975 को रिलीज़ हुई. मल्टी स्टार एक्शन फ्लिक जिसमें अमिताभ बच्चन और धर्मेंद्र के साथ संजीव कुमार, अमजद खान, हेमा मालिनी और जया बच्चन शामिल हैं. ये फिल्म बॉलीवुड में स्क्रीनिंग करने वाली अब तक की सबसे बड़ी हिंदी फीचर फिल्म में से एक है.
फिल्म 'शोले' के हर किरदार ने दर्शकों के दिलों पर अपनी छाप छोड़ी. लेकिन कम ही लोगों को पता है कि धर्मेंद्र फिल्म में 'वीरू' का नहीं बल्कि 'ठाकुर' का किरदार निभाना चाहते थे. जब धर्मेंद्र को फिल्म की स्क्रिप्ट सुनाई गई तब धर्मेंद्र को लगा कि फिल्म की पूरी कहानी 'गब्बर' और 'ठाकुर' के ऊपर ही है, तो उन्होंने डायरेक्टर रमेश सिप्पी से बात की और ठाकुर का किरदार निभाने की इच्छा जताई, मगर रमेश सिप्पी धर्मेंद्र में अपना 'वीरू' देख चुके थे. वो हर हाल में धर्मेंद्र को ही 'वीरू' बनते देखना चाहते थे. ये वो वक्त था जब धर्मेंद्र और संजीव कुमार दोनों ही हेमा मालिनी को पसंद करते थे, खबरों की मानें तो फिल्म 'शोले' के सेट पर संजीव कुमार ने हेमा मालिनी को शादी के लिए प्रपोज भी किया था, मगर हेमा ने इंकार कर दिया था जिसके बाद फिल्म में दोनों के सीन भी ना के बराबर ही थे.
रमेश सिप्पी ने तरकीब लगाई और धर्मेंद्र से कहा कि फिल्म में 'ठाकुर' की कोई हीरोइन नहीं है, ना ही कोई रोमांटिक सीन है, लेकिन वीरू के साथ हेमा मालिनी की जोड़ी है और फिल्म में दोनों का रोमांस भी है, अगर तुम ये किरदार नहीं निभाओगे तो मैं ये रोल संजीव को दे दूंगा.'
रमेश सिप्पी का इतना कहना था कि धर्मेंद्र तुरंत वीरू के किरदार के लिए मान गए क्योंकि वो नहीं चाहते थे कि संजीव कुमार को हेमा के साथ वक्त बिताने का मौका मिले. धर्मेंद्र जानते थे कि संजीव कुमार हेमा पर पूरी तरह लट्टू हैं इसीलिए वो हर वक्त हेमा के आस-पास ही रहते थे जिससे संजीव कुमार हेमा से ज्यादा बात ना कर सकें. इस तरह से धर्मेंद्र को हेमा मालिनी के साथ वक्त बिताने का मौका मिल गया और रमेश सिप्पी को उनका 'ठाकुर'. वैसे आपको बता दें कि 'ठाकुर' के रोल के लिए पहले मशहूर एक्टर प्राण के नाम पर भी विचार किया गया था, जो रमेश सिप्पी की कई फिल्मों में नज़र आ चुके थे. लेकिन रमेश सिप्पी, संजीव कुमार की अदाकारी के कायल थे और उन्हीं में वो अपनी फिल्म का 'ठाकुर' देख चुके थे.