Dharmendra Life Facts: किस्सा धर्मेंद्र (Dharmendra) के स्ट्रगल के दिनों का है. 1955-56 में जब वो पंजाब से मुंबई अपनी किस्मत आजमाने आए थे. हालांकि वो टैलेंट हंट के जरिए फिल्मों के लिए चुने गए थे लेकिन हंट जीतने के बाद वो फिल्म बन नहीं पाई. नतीजतन धर्मेंद्र प्रोड्यूसर्स के ऑफिसों की धूल फांकते रहे. कसरती बदन था, भूख भी ज्यादा लगती थी. कभी भरपेट खाने को मिल जाता, कभी थोड़ा कुछ तो कभी एकदम खाली पेट. दिन ऐसे ही गुजर रहे थे.
एक दिन धर्मेंद्र कई दफ्तरों के चक्कर काटते हुए अपने रूम पर पहुंचे. जोरों की भूख लगी थी और खाने के लिए कुछ नहीं था, ना रूम पर खाना और ना जेब में इतने पैसे कि बाहर जाकर खा सकें. धर्मेंद्र अपने एक रूम पार्टनर के साथ रहा करते थे. रूम में पार्टनर का ईसबगोल का पैकेट रखा था, जो वो अपना हाजमा ठीक करने के लिए लिया करता था.
भूख से बेहाल धर्मेंद्र को कुछ नहीं सूझा, उन्होंने ईसबगोल का पूरा पैकेट पानी में घोला और पी गए. फिर वो ही हुआ, जिसका डर था. पेट में जोरों की मरोड़ आने लगी. एक के बाद एक दस्त हुए. हालत खराब हो गई. रूम पार्टनर उन्हें डॉक्टर के पास ले गया. डॉक्टर ने पूछा क्या खाया था. धर्मेंद्र ने पूरा वाकया बताया. डॉक्टर ने हंसते हुए कहा - इन्हें दवाई की नहीं, खाने की जरूरत है. खाना खिलाइए. ऐसे फांकों में दिन गुजारते धर्मेंद्र को प्रोड्यूसर हिंगोरानी ने अपनी फिल्म में ब्रेक दिया.
धीरे-धारे उनका करियर पटरी पर आ गया. धर्मेंद्र पहले फिल्म स्टार और फिर सुपर स्टार भी बन गए. लेकिन, उन्होंने प्रोड्यूसर हिंगोरानी के उस एहसान को कभी नहीं भुलाया. अपने बिजी शेड्यूल में भी वो हिंगोरानी की फिल्मों में नाममात्र की फीस लेकर काम करते रहे. कभी उन्हें किसी फिल्म के लिए इंकार नहीं किया.