हिंदी सिनेमा में दिलीप कुमार जैसा अभिनेता ना कभी था ना कभी होगा वे अकेले ऐसे हीरो थे जिनके निभाए हर कैरेक्टर को दर्शकों ने दिल में जगह दी. उनके छह दशक के करियर में एक से बढ़कर एक यादगार फिल्में शामिल हैं जिन्होंने कभी भारतीय सिल्वर स्क्रीन पर धूम मचाई थी. आइए एक नजर डालते हैं दिलीप कुमार की बेस्ट फिल्मों पर
दाग (1952)
दिलीप कुमार ने इस फिल्म में अपने प्रदर्शन के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेता की कैटेगिरी में पहली बार अवार्ड जीता. अमिया चक्रवर्ती द्वारा डायरेक्ट और प्रोड्यूस की गई इस फिल्म में दिलीप कुमार, निम्मी और ललिता पवार मुख्य भूमिकाओं में थे.
मुगल-ए-आजम (1960)
ये एक ऐतिहासिक ड्रामा फिल्म थी जिसमें दिलीप कुमार ने राजकुमार सलीम की भूमिका निभाई थी.अनारकली की भूमिका निभाने वाली मधुबाला के साथ उनके द्वारा निभाए गए प्रेम दृश्यों को एक नया आयाम दिया. हिंदी सिनेमा इस आइकॉनिक फिल्म को आसिफ द्वारा अभिनीत और शापूरजी पल्लोनजी द्वारा निर्मित किया गया था. फिल्म में पृथ्वीराज कपूर, मधुबाला, दुर्गा खोटे और दिलीप कुमार मुख्य भूमिका में थे.
नया दौर (1957)
बीआर चोपड़ा की फिल्म को कमर्शियल और क्रिटिकल दोनों तरह की सफलता मिली. अख्तर मिर्जा द्वारा लिखी गई इस फिल्म में दिलीप कुमार और वैजयंतीमाला, अजीत खान थे और जीवन सपोर्टिंग रोल में थे.
मधुमती (1958)
बिमल रॉय की इस फेमस फिल्म में दिलीप कुमार और वैजयंतीमाला ने अभिनय किया. यह पुनर्जन्म वाली शुरुआती फिल्मों में से एक थी और इसमें गॉथिक नॉयर फील था.
गंगा जमुना (1961)
यह दिलीप कुमार द्वारा प्रोड्यूस की गई एकमात्र फिल्म थी. इस फिल्म की कहानी एक निर्दोष व्यक्ति के इर्द-गिर्द घूमती है जिसे डकैत बनने के लिए मजबूर किया जाता है. इस फिल्म में दिलीप कुमार की भूमिका को बेस्ट बताया जाता है.
राम और श्याम (1967)
बॉक्स ऑफिस पर खराब प्रदर्शन के बाद दिलीप कुमार ने हिट फिल्म राम और श्याम से धमाकेदार वापसी की थी. ये फिल्म दर्शकों को काफी पसंद आई थी. इसमें दिलीप कुमार के डबल रोल ने दर्शकों का काफी मनोरंजन किया
देवदास (1955)
शरतचंद्र चट्टोपाध्याय उपन्यास पर आधारित फिल्म देवदास में दिलीप कुमार ने दुखद प्रेमी का रोल निभाया यह उनके बेस्ट रोल में से एक माना जाता है. देवदास को कोरी के क्रीकमुर द्वारा यूनिवर्सिटी ऑफ आयोवा की शीर्ष 10 बॉलीवुड फिल्मों की सूची में नंबर 2 फिल्म का स्थान दिया गया था।
शक्ति (1982)
इस फिल्म में पहली बार दिग्गज अभिनेता दिलीप कुमार और अमिताभ बच्चन ने स्क्रीन शेयर की थी. फिल्म को निर्देशक रमेश सिप्पी का सर्वश्रेष्ठ काम माना जाता है और इसे सिनेमा के इतिहास में सबसे महान फिल्मों में से एक माना जाता है.
मशाल (1984)
दिलीप कुमार ने इस फिल्म में एक सम्मानित, कानून का पालन करने वाले नागरिक की भूमिका निभाई थी जो बाद में बदला लेने के लिए अपराध का रास्ता अख्तियार कर लेता है.
कर्मा (1986)
विधाता (1982) फिल्म की सफलता के बाद कर्मा फिल्म के साथ सुभाष घई और दिलीप कुमार की जोड़ी ने फिर काम किया. इस फिल्म में पहली बार दिलीप कुमार और नूतन ने स्क्रीम पर काम किया.
सौदागर (1991)
इस फिल्म में दिलीप कुमार ने अनुभवी अभिनेता राज कुमार के साथ बॉक्स-ऑफिस पर एक हिट फिल्म दी. उस समय दोनों अभिनेताओं के एक-दूसरे के साथ अच्छे संबंध नहीं थे.
इस फिल्म के दो साल बाद इंडस्ट्री में लगभग 50 साल पूरे करने के बाद कुमार ने अपना पहला लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड जीता था.
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