मोहम्मद युसूफ खान उर्फ दिलीप कुमार का आज 98 साल की उम्र में निधन हो गया. उन्हें बॉलीवुड फिल्म इंडस्ट्री में 'ट्रेजेडी किंग' के नाम से जाना जाता था. इसमें कोई शक नहीं है कि दिलीप कुमार भारतीय सिनेमा के महान अभिनेता थे. मुगल-ए-आजम, नया दौर, कोहिनूर, राम और श्याम जैसी फिल्मों में बेहतरीन अभिनय करने के बाद, दिलीप कुमार ने 1976 में फिल्मों से पांच साल का लंबा ब्रेक लिया. उसके बाद, उन्होंने एक ब्लॉकबस्टर वापसी की और कर्मा, सौदागर, शक्ति और कई सुपरहिट फिल्मों में शानदार रोल निभाया.
आइए एक नजर डालते हैं दिलीप कुमार की फिल्मों के यादगार डायलॉग्स पर जो आज भी हर किसी की जुबान पर चढ़े रहते हैं.
नया दौर - जब अमीर का दिल ख़राब होता है न...तो गरीब का दिमाग ख़राब होता है.
क्रांति- एक क्रांति मरेगा तो हजार क्रांति पैदा होंगे, जह जिंदगी दौड़ती है तो रगों में बहता हुआ खून भी दौड़ता है, तुम्हारी आंखों की चमक ...मेरे दिल का दामन खींचती है.
देवदास- कौन कम्बख्त है जो बर्दाश्त करने के लिए पीता है...मैं तो पीता हूं कि बस सांस ले सकूं. होश से कह दो , कभी होश ना आने पाये.
मुगल-ए-आजम – मोहब्बत जो डराती है वो मोहब्बत नहीं...अय्याशी है...गुनाह है..., दुनिया में दिलवाले का साथ देना, दौलत वाले का नहीं...मैं तुम्हारी आंखों में अपनी मोहबब्त का इकरार देखना चाहता हूं.
कर्मा- इंसान जब अंधा हो जाता है, तो उसको रात और दिन की फिक्र में तमीज नहीं रहती, मुल्क का हर सिपाही जानता है कि, उसके जिस्म पर वो खाकी वर्दी, जो उसका मान है वो वर्दी उसका कफन भी बन सकती है. तुम्हारी जिंदगी मेरे हाथ में है... और तुम्हारी मौत भी.
सौदागर- हक हमेशा सर झुकाके नहीं...सर उठाके मांग जाता है.
विधाता- अगर मैं चोर हूं तो मुझसे चोरी कराने वाले तुम हो... और अगर मैं मुजरिम हूं तो मुझसे जुर्म कराने वाले भी तुम हो.
शक्ति- जो लोग सच्चाई की तरफदारी की कसम खाते हैं... जिंदगी उनके बड़े कठिन इम्तिहान लेती है.
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