Ek Mahanayak- Dr BR Ambedkar: भीमराव उठाएंगे बाल मजदूरी के खिलाफ आवाज, जानिए कहां और कैसे देख सकते हैं ये शो
Ek Mahanayak- Dr BR Ambedkar: एण्ड टीवी के शो ‘एक महानायक डॉ बी. आर. आम्बेडकर' के आगामी ट्रैक में एक घटना में दिखाया जाता है कि युवा भीमराव के सामने ऐसी स्थिति आने पर वे कैसे उसके खिलाफ खड़े हुए.
Ek Mahanayak- Dr BR Ambedkar: बाबासाहब (Babasaheb) ने अपने बचपन के दिनों में कई बाधाओं का सामना किया था, लेकिन वे सामाजिक अन्यायों के विरूद्ध मजबूत बनकर खड़े रहे. ऐसा ही एक सामाजिक अन्याय है बाल मजदूरी (Child Labour). पुराने दिनों में माना जाता था कि जितने ज्यादा बच्चे होंगे, उतने ही ज्यादा कमाने वाले हाथ मिलेंगे और इस कारण कई बच्चों की जान खतरे में पड़ गई. एण्ड टीवी के शो ‘एक महानायक डॉ बी. आर. आम्बेडकर (Ek Mahanayak- Dr BR Ambedkar)' के आगामी ट्रैक में ऐसे ही एक घटना में दिखाया जाता है कि युवा भीमराव (अथर्व) के सामने ऐसी स्थिति आने पर वे कैसे उसके खिलाफ खड़े हुए.
रोजमर्रा की समस्याओं से बचने के लिये रामजी सकपाल (जगन्नाथ निवानगुणे) अपने परिवार को दो भागों में बांट देते हैं, जिससे भीमराव और रमाबाई (नारायणी महेष वरणे) को अपनी दैनिक जरूरतें पूरी करने के लिये भी संघर्ष करना पड़ता है. रमा के भाई-बहन छोटी और शंकर छोटे-मोटे काम करके परिवार के गुजारे में योगदान देने लगते हैं. यह जानकर भीमराव चैंक जाते हैं और उन्हें तुरंत काम छोड़ने के लिये कहते हैं.
इस बीच उन्हें पता चलता है कि उनकी चॉल के कई बच्चे पटाखों के एक कारखाने में काम कर रहे हैं, ताकि अपने परिवारों को चला सकें. भीमराव को गुस्सा आ जाता है और वह उन बच्चों के माता-पिता को समझाने की कोशिश करते हैं कि छोटे बच्चों को शिक्षा और पढ़ाई पर ध्यान देना चाहिये, ताकि उनका भविष्य अच्छा हो. हालांकि, भाग्य करवट बदलता है और शंकर भी उसी कारखाने में काम करने लगता है और मौत के करीब पहुँच जाता है, जिससे भीमराव और रमाबाई तनाव में आ जाते हैं. फिर भीमराव बाल मजदूरी नामक बुराई के खिलाफ खड़े होने का फैसला करते हैं और उसके विरोध में अपनी मजबूत राय रखते हैं.
इस ट्रैक पर अपनी बात रखते हुए, युवा भीमराव का किरदार निभा रहे अथर्व ने कहा, ‘‘अपकमिंग ट्रैक सामाजिक अन्याय का एक अन्य महत्वपूर्ण पहलू उजागर करता है, जिसका नाम बाल मजदूरी है. परिस्थितियों से मजबूर होकर शंकर पटाखों के एक कारखाने में काम करता है और उसके मौत के करीब पहुँचने की स्थिति के बारे में जानकर भीमराव बुरी तरह विचलित हो जाते हैं. फिर वह बाल मजदूरी की बुराई को खत्म करने का फैसला लेते हैं और उसके खिलाफ मजबूती से खड़े होते हैं.
बाबासाहब भारत में मजदूरों के रक्षक थे और मजदूरों के कल्याण के लिये उन्होंने कई नीतियाँ बनाईं. महिला एवं बाल श्रम सुरक्षा अधिनियम उन नीतियों में से एक है, जिसमें बच्चों का रोजगार निषेध है और कई बातों के अलावा उनके काम करने की स्थितियों का विनियमन किया गया है.’’ देखते रहिये ‘एक महानायक डॉ बी. आर. आम्बेडकर, हर सोमवार से शुक्रवार रात 8:30 बजे सिर्फ एण्ड टीवी पर.
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