नए सिनेमेटोग्राफी संशोधन एक्ट 2021 Cinematograph (Amendment) Bill, 2021 पर सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने 2 जुलाई तक आम लोगों से सलाह मांगी थी. आज इसकी मियाद पूरी हो गई है लेकिन फिल्म बिरादरी के लोग इस एक्ट के खिलाफ एकजूट हो गए हैं. उनका कहना है कि नए सिनेमेटोग्राफी संशोधन एक्ट में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का गला घोंटा गया है और लोकतंत्र में असहमति रखने वालों को दरकिनार कर दिया गया है. इस संबंध में फिल्म समुदाय के 3000 से ज्यादा लोगों ने हस्ताक्षर कर अपनी आपत्ति सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय को भेजी है. इस पत्र में मीरा नैयर ने भी हस्ताक्षर किया है. 


क्या है नए Cinematograph (Amendment) Bill, 2021 में


प्रस्तावित विधेयक का उद्देश्य  फिल्मi की साहित्यिक चोरी/पायरेसी (Piracy) को रोकना है और इसमें गैर-अधिकृत कैमकॉर्डिंग (Camcording) और फिल्मों की कॉपी (Duplication of films) बनाने के खिलाफ जेल सहित दंडात्मकक प्रावधानों को शामिल करना है. इस कानून में सरकार को किसी फिल्म की शिकायत मिलने के बाद उस फिल्म का दोबारा से प्रमाणन करने की शक्ति भी होगी.


फिल्म  उद्योग की लंबे समय से मांग रही है कि सरकार कैमकोर्डिंग और पायरेसी रोकने के लिये कानून में संशोधन पर विचार करे. पीएम त्री द्वारा भारतीय सिनेमा का राष्ट्रीय संग्रहालय (National Museum of Indian Cinema) के उद्घाटन अवसर पर यह घोषणा की गई थी कि कैमकोर्डिंग और पायरेसी निषेध की व्यeवस्थाघ की जाएगी.


फिल्म इंडस्ट्री क्यों कर रही है विरोध


फिल्म इंडस्ट्री द्वारा भेजे गए पत्र में कहा गया है कि प्रस्तावित संशोधन एक्ट में फिल्ममेकर की शक्ति राज्यों के हाथों में चली जाएगी. इससे विरोध करने वालों को मौका लग जाएगा और फिल्म को भीड़ द्वारा नियंत्रित करने की कोशिश तेज हो जाएगी. इसके अलावा पत्र में इस बात पर भी चिंता जताई गई है कि केंद्र सरकार को शिकायत मिलने के बाद सेंशर बोर्ड से प्रमाणित किसी भी फिल्म को दोबारा से प्रमाणित करने की शक्ति होगी. इस कानून से सेंशर बोर्ड और सुप्रीम कोर्ट की प्रधानती कम होगी और केंद्र सरकार को इस संबंध में सर्वोच्च शक्ति मिल जाएगी जिससे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता भी प्रभावित होगी.  



कौन कर रहे हैं विरोध
इस प्रस्तावित कानून का विरोध करने वालों में शामिल हैं- विशाल भारद्वाज, मीरा नैयर, अनुराग कश्यप, शबाना आजमी, फरहान अख्तर, हंसल मेहता, राकेश ओमप्रकाश मेहरा, कमल हासन एवं कन्नड़, तमिल, मलायलम, असमिज, बंगाली फिल्मों की कई जानी-मानी हस्ती. इस साल सरकार ने Film Certification Appellate Tribunal (FCAT) को खत्म करने का फैसला किया था. यह एक संविधिक इकाई थी जिसमें सेंशर बोर्ड के खिलाफ फिल्म निर्माता अपील कर सकते थे. 


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