किसान आंदोलन आज 14वें दिन भी जारी है. हरियाणा के सिंघू बॉर्डर पर डटे हुए किसानों को पंजाबी सिंगरों का भी जबरदस्त सपोर्ट मिल रहा है. हरभजन मान, कंवर ग्रेवाल और जसबीर जस्सी के बाद अब सिंगर मनकीरत औलख, जैस बाजवा, अफसाना खान, जॉर्डन संधू, दिलप्रीत ढिल्लो, डीजे फ्लो, श्री बरार, बॉबी संधू, निवान भुल्लर और फाजिलपुरिया का एक गाना सामने आया है जिसे "किसान एंथम" नाम दिया गया है.
किसान एंथम में दिखाया गया है कैसे किसान ठंड में बेठे हुए हैं और अपनी हक की लड़ाई लड़ रहे हैं. कैसे किसान बैरिकेड को हटाकर और पानी की बौछारों को सहकर आगे बढ़ रहे हैं. कैसे लंगर चलाए जा रहे हैं. कैसे हियाणा की औरतें किसानों के लिए खाना बना रही हैं. किसानों के संघर्ष पर बने ये गीत सिंघू और टीकरी बॉर्डर पर प्रदर्शनकारी किसानों में खासा पसंद किए जा रहे हैं.
इसके अलावा किसानों के लिए ही बनाए गए एक गीत के बोल हैं “मुड़दे नी लेये बिना हक, दिल्लिये” यानी दिल्ली हम अपना हक लिए बिना वापस नहीं लौटेंगे. इससे पंजाबी किसानों का नए कानूनों को रद्द करने की मांगों के प्रति दृढ़ निश्चय झलक रहा है.
“मुड़दे नी लेये बिना हक, दिल्लिये” के गायक मान ने कहा कि छह महीने का राशन लेकर किसान वहां विरोध करने पहुंचे हैं क्योंकि ये उनके खेतों और अस्तित्व की लड़ाई है.
गाने के वीडियो में दिखाया गया है कि कैसे किसानों ने दिल्ली के रास्ते में पानी की बौछारों का सामना किया और पुलिस के बैरीकेड तोड़े. करीब एक महीने पहले मान ने एक और गाना “अन्नदाता, खेत साड्डी मां, खेत साड्डी पग” (खेत हमारी मां हैं, खेत हमारी शान हैं) जारी किया था.
गायक कंवर ग्रेवाल का गीत, “ऐलान, तेन्नू दिल्लिये एकट्ठ परेशान करुगा, पर फसलां दे फैसले किसान करुगा' (दिल्ली, यह सभा आपको परेशान करेगी लेकिन केवल किसान ही फसलों की कीमत तय करेंगे) भी प्रदर्शनकारियों के बीच लोकप्रिय हो रहा है.
ग्रेवाल का एक और गाना 'पेचा' भी सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है. गायकों का कहना है कि वे भी किसानों के बच्चे हैं और कानूनों के खिलाफ किसानों के संघर्ष में उनके साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े होना उनके लिये स्वाभाविक है.
एक अन्य मशहूर गायक जसबीर जस्सी ने कहा कि यह अच्छी बात है कि पंजाबी कलाकार किसानों का समर्थन कर रहे हैं. भारतीय किसान यूनियन (एकता उग्रहन) के महासचिव सुखदेव सिंह कोकरीकलां ने पंजाबी कलाकारों और गायकों का धन्यवाद करते हुए कहा कि वे 'काले कानूनों' के खिलाफ विरोध कर रहे किसानों के साथ एकजुटता से खड़े हैं. सिद्धू मूसेवाला, बब्बू मान और हर्फ चीमा सहित कई पंजाबी सिंगर किसानों के समर्छन में आगे आ चुके हैं.