Meena Kumari in last movie Mere Apne: जाने-माने लिरिसिस्ट और राइटर गुलजार (Gulzar) ने 1971 में आई फिल्म 'मेरे अपने' (Mere Apne) से बतौर डायरेक्टर डेब्यू किया था. इस फिल्म के राइटर गुलजार थे और मेरे अपने नेशनल अवॉर्ड विनिंग बंगाली फिल्म अपंजन (Apanjan) की हिंदी रीमेक थी. अपंजन के डायरेक्टर तपन सिन्हा थे. 'मेरे अपने' उन चुनिंदा फिल्मों में से थी जिसमें मीना कुमारी (Meena Kumari) ने अपनी ज़िंदगी के आखिरी दिनों में काम किया था. आपको बता दें कि इस दौरान मीना कुमारी की तबियत काफी खराब थी.
हाल ही में एक इंटरव्यू में गुलज़ार साहब ने खुलासा किया कि फिल्म की शूटिंग मीना कुमारी ने कितनी मुश्किलों में पूरी की थी. गुलज़ार साहब ने कहा, अपंजन में छाया देवी ने बूढ़ी महिला का किरदार निभाया था, वह हिंदी बखूबी जानती थी और हिंदी रीमेक में दोबारा इस रोल को निभा सकती थीं लेकिन सिप्पी साहब निम्मी को कास्ट करना चाहते थे. मैंने पूरे सम्मान के साथ उनके इस सुझाव को ठुकरा दिया और कहा कि छाया देवी इस रोल को बेहतर तरीके से निभा सकती हैं लेकिन फिर निर्माताओं के बीच किसी और को लेने की बात चली तो मैंने मीना कुमारी का नाम सुझाया.
एनसी सिप्पी साहब की बड़े बेटे रोमू ने कहा कि मीना जी इस प्रोजेक्ट को शायद ही कर पाएं क्योंकि वो बहुत बीमार हैं.मैंने मीना कुमारी जी को मना लिया. वह सेट पर आने में असमर्थ थीं. वह लिवर सिरोसिस से जूझ रही थीं और बीमारी के लास्ट स्टेज में थीं. जहां तक मुझे पता है मेरे अपने आखिरी फिल्म थी जिसके लिए उन्होंने शूटिंग की थी. वह यंग एक्टर्स के साथ खूब मज़ाक करती थीं और कहती थीं कि डायरेक्टर तुमसे बहुत काम करवा रहे हैं कम से कम तुम लोग तो एक बियर पार्टी ले ही सकते हो. वो पार्टी कभी नहीं हो पाई क्योंकि वो दुनिया से जा चुकी थीं.
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