प्यासा, सीआईडी, कागज के फूल, चौदहवीं का चांद जैसी फिल्मों से बॉलीवुड में लीजेंड का दर्जा पाए निर्देशक गुरू दत्त की वहीदा रहमान की प्रेम कहानी हर फिल्मी फैन की जुबां पर है, मगर इश्क की मिठाई में बीवी गीता की नाराजगी का तड़का लगा तो इतनी कड़वाहट घुल गई कि दोनों ने एक दूसरे को देखना बंद कर दिया. इस नफरत का अंत भी गुरू की गुमनाम मौत के साथ हुआ, जिसे कुछ खुदकुशी तो कुछ नशे का ओवरडोज करार देते हैं. मोहब्बत की ट्रेजिक स्टोरी के कड़वाहट का पहलू से हम आज रूबरू करा रहे हैं.
 
गुरूदत्त ने अभिनेत्री गीता दत्त से 1953 में शादी की थी. फिल्मों में आने के बाद उन्हें एक तेलुगु एक्ट्रेस की फोटो दिखी तो वह उसे सीआईडी के लिए कास्ट करते हुए बॉलीवुड ले आए. यह वहीदा रहमान थीं. देखते ही देखते गुरूदत्त की फिल्म और जिंदगी दोनों में वहीदा आ चुकी थीं. दोनों ने न सिर्फ एक साथ कई फिल्में की, तब तक गुरू इस कदर क्रेजी हो चुके थे कि वहीदा को एक पल के लिए भी नजर से दूर नहीं करते थे.


एक लेटर स्टिंग के जरिए जब इसका पता उनकी पत्नी अभिनेत्री गीता को लगा तो दोनों में खूब झगड़े हुए. नौबत ये आ गई कि दोनों अलग रहने लगे. वहीदा के एक रिश्तेदार ने एक इंटरव्यू में दावा किया था कि गुरू वहीदा से शादी करने के लिए धर्म तक बदलने के लिए तैयार थे. मगर दोनों के परिवार उनके रिश्ते के सख्त खिलाफ थे. इस बीच पत्नी गीता दत्त लंदन चली गईं और ढाई साल की बेटी से गुरू को दूर कर दिया.


परिवार और प्रेमिका दोनों से दूर हो चुके गुरू का मन वहीदा के प्रति कड़वाहट से भर गया. आमतौर पर वहीदा किसी की भी फिल्म करें लेकिन मेकअप रूम गुरू दत्त फिल्मस का ही इस्तेमाल करती थी. कहा जाता है कि एक दिन शूटिंग के लिए वह मेकअप रूम में जा रही थीं कि वहां मौजूद गुरूदत्त के भरोसेमंद शार्गिद ने रास्ता रोक कर कहा कि उन्हें अब इसमें प्रवेश की इजाजत नहीं है. यह अपनी शर्तों पर काम करने वाली वहीदा के असहनीय था और उन्होंने उससे कारण पूछा तो कोई जवाब नहीं मिला.


वहीदा इस पर नाराज होकर चली गईं. यही वाक्या अगले दिन हुआ तो उन्होंने रोते हुए मेकअप रूम ही छोड़ दिया. इंडस्ट्री में चर्चा होने लगी कि गुरूदत्त ने वहीदा को ठुकरा दिया है. प्यार में एक होने की उम्मीदें टूटीं तो दोनों ने 1963 में एक दूसरे को हमेशा के लिए छोड़ दिया. इधर, गुरु दत्त बेटी को बहुत प्यार करते थे. वह पत्नी गीता से गुहार लगाते रहे कि उन्हें बेटी से मिला दें, लेकिन गीता ऐसा नहीं चाहती थीं.


कुछ रिपोर्ट्स की मानें तो इसी बात से दुखी होकर उन्होंने गीता दत्त को धमकी दी थी कि वह अपनी जान दे देंगे. गुरु दत्त नशे में डूबे रहने लगे. नशे की हालत में ही गीता को अल्टीमेटम दिया, बेटी भेजो वर्ना मेरा मरा शरीर देखोगी.


फिल्मों के लेखक अबरार अल्वी अपनी किताब 'टेन ईयर्स विद गुरु दत्त' में लिखते हैं कि दस अक्टूबर 1964 को घटना की जानकारी पर जब वो आर्क रॉयल पहुंचे तो देखा कि गुरू घर में पूरी तरह अकेले और कुर्ते-पायजामे में शालीनता से लेटे थे. बिस्तर के बगल में एक छोटी सी शीशी में गुलाबी रंग का लिक्विड था. यह देखते ही मुंह से निकला, आह! मृत्यु नहीं आत्महत्या!  इन्होंने अपने आपको मार डाला. महज 39 साल के गुरू जिनकी बनाई फिल्म पढ़ने वालों के लिए भवष्यि में शोध पत्र बन गईं, वे अब दुनिया छोड़कर जा चुके थे. हालांकि इन सबके बावजूद वहीदा ने आज तक गुरू से अपने रिश्ते को कभी खुले तौर पर स्वीकार नहीं किया.


 


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