(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Lock Upp : फिनाले से पहले कंगना रनौत के शो 'लॉक अप' पर कोर्ट ने लगाई रोक, जानें क्यों?
Lock Upp : 'लॉक अप' के फिनाले से पहले एकता कपूर झटका लगा है. एकता कपूर के शो 'लॉक अप' पर हैदराबाद के कोर्ट ने रोक लगा दी है.
'लॉक अप' के फिनाले से पहले एकता कपूर झटका लगा है. एकता कपूर के शो 'लॉक अप' पर हैदराबाद के कोर्ट ने रोक लगा दी है, एकता कपूर पर कॉपीराइट के उल्लंघन करने का आरोप लगा है. कंगना रनौत द्वारा होस्ट किया जा रहा रियलिटी शो ‘लॉक अप’ इन दिनों काफी चर्चा में बना हुआ है.
याचिकाकर्ता प्राइड मीडिया के चेयरमैन, सनोबर बेग ने कहा कि हैदराबाद के सिटी सिविल कोर्ट ने एकता कपूर के रियलिटी शो 'लॉक अप' को किसी भी प्लेटफॉर्म पर स्ट्रीम करने के लिए रोक लगा दी है. इस बारे में उनको सूचित भी किया गया है, फिर भी उन्होंने अपना शो रोकने के बजाए जारी रखा है.
याचिकाकर्ता के वकील जगदीश्वर राव ने कहा कि वो कोर्ट के आदेश का पालन नहीं कर रहे, आदेश का उल्लंघन कर रहे हैं. याचिकाकर्ता ने प्राइड मीडिया के सनोबर बेग की तरफ से ये भी तर्क दिया गया कि ‘द जेल’ नाम से यह कॉन्सेप्ट उनका था, 'द जेल' को बनाने में लॉकडाउन लगने की वजह से देरी हुई. इसमें 22 हस्तियों को 100 दिन तक एक साथ रखने की स्क्रिप्ट भी तैयार की गई थी, जिसे चोरी कर लिया गया. उन्होंने अपने आइडिया को एंडेमोल शाइन के अभिषेक रेगे के साथ साझा किया था और अभिषेक ने उनको धोखा दिया.
एकता कपूर के शो लॉकअप पर कॉपीराइट के उल्लंघन करने का आरोप लगने के बाद, मामला कोर्ट में पहुंच गया था. याचिकाकर्ता सनोबर बेग ने कहा था कि ‘द जेल’ नाम से यह कॉन्सेप्ट उनका था. इसी को लेकर फरवरी 23 तारीख को हैदराबाद सिटी सिविल कोर्ट ने ‘लॉकअप’ पर किसी भी प्लेटफॉर्म पर स्ट्रीम करने के लिए रोक लगा दी थी.
इस मामले को लेकर फरवरी 26 को उच्च न्यायालय ने कहा था कि ऑल्ट बालाजी ने पहले ही शो का निर्माण कर लिया था और मार्केटिंग पर भी खूब पैसा खर्च किया गया था. सुविधा को देखते हुए ये मामला उनके पक्ष में है. 13 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट में एकता कपूर के इस शो के प्रसारण को रोकने के लिए याचिका दायर की गई थी, जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने विचार करने से इनकार कर दिया था और निचली कोर्ट में जाने को कहा था.
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याचिका में तेलंगाना उच्च न्यायालय के एक आदेश को चुनौती दी गई थी, जिसमें कंगना रनौत के रियलिटी शो के रिलीज और प्रकाशन के खिलाफ निचली अदालत में दायर ‘अंतरिम इनजंक्शन’ को रद्द कर दिया था. बता दें कि ‘अंतरिम इनजंक्शन’ के तहत सुनवाई होने तक, संबंधित पार्टी को अस्थायी तौर पर खास तरह का टास्क परफॉर्म करने से रोका जाता है. याचिकाकर्ता का कहना है कि अब हैदाराबाद के सिटी सिविल कोर्ट ने अप्रैल 29 तारीख को 'ग्रांट ऑफ इनजंक्शन' आदेश जारी किया, उनतक ये आदेश पहुंचाया गया, फिर भी वे कोर्ट के आदेश का उल्लंघन कर रहे हैं.
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