बॉलीवुड की जानी मानी अभिनेत्री डिंपल कपाड़िया (Dimple Kapadia) उन कलाकारों में शामिल हैं, जिन्होंने एक्टिंग की परंपरा की छवि को बदलने में काफी महत्वपूर्ण भूमिका निभायी है. 08 जून 1957 को गुजराती परिवार में जन्मी डिंपल (Dimple Kapadia) को फिल्मों में लाने का श्रेय राजकपूर को जाता है. जी हां, 70 के दशक में वो अपनी फिल्म ‘बॉबी’ के लिये नये चेहरों की तलाश कर रहे थे. उस दौरान उन्होंने डिंपल कपाडिया को अपनी फिल्म में काम करने का ऑफर दिया, जिसे डिंपल ने बिना सोचे समझे हां कर दी और ‘बॉबी’ ऋषि कपूर की भी पहली फिल्म थी. इस फिल्म में डिंपल कपाड़िया टीन एज लड़की की भूमिका में दिखाई दीं. ‘बॉबी’ की सफलता के बाद डिंपल कपाड़िया को कई फिल्मों में काम करने के लिये कई ऑफर मिले, लेकिन उन्होंने इन सभी ऑफर को ठुकरा दिया और अभिनेता राजेश खन्ना से शादी कर फिल्म इंडस्ट्री को अलविदा कह दिया.



साल 1984 में प्रदर्शित फिल्म ‘जख्मी शेर’ से डिंपल  ने फिल्म इंडस्ट्री में कमबैक किया, लेकिन ये फिल्म सफल नहीं रही. फिर एक साल बाद 1985 में डिंपल कपाडिया को एकबार फिर से ऋषि कपूर के साथ ‘सागर’ में काम करने का अवसर मिला. जो रमेश सिप्पी के निर्देशन में बनी और इस फिल्म में डिंपल ने अपनी बोल्ड इमेज से दर्शको को मंत्रमुग्ध कर दिया था. लेकिन, उसके अगले साल रिलीज हुई फिल्म ‘जांबाज़’ में उनके जलवों के रंग निराले ही रहे. ये डिंपल कपाड़िया के करियर की सबसे बोल्ड फिल्म मानी जाती है और यही फिल्म ‘जाबांज़’ है.



फिरोज खान ने साल 1983 में एक नई फिल्म लॉन्च की जिसका नाम था ‘जांबाज़’ और स्टार कास्ट इस बार मिलवाई, वो पूरी तरह अलग थी. कहानी काफी अलग थी. कहानी इस बार दो भाइयों की थी, जिसमें एक जिम्मेदार पुलिस अफसर है और एक मस्तमौला टाइप का इंसान.



फिल्म में एक कहानी इसके समानांतर और चल रही होती है. फिल्म में बड़े भाई राजेश के किरदार में हैं फिरोज खान और छोटे भाई अमर बने अनिल कपूर. इनके घर में रहने आने वाली रेशमा बनीं डिंपल कपाड़िया और राजेश की प्रेमिका सीमा का किरदार बतौर स्पेशल अपीयरेंस फिल्म में किया श्रीदेवी ने. जांबाज़ ही पहली फिल्म है जिससे श्रीदेवी ने अपनी डबिंग करनी खुद शुरू की, वह भी फिरोज खान के हौसला बढ़ाने पर.



फिल्म जाबांज़ का संगीत कल्याणजी आनंदजी ने फिरोज खान के कहने पर पूरी तरह पश्चिमी साजों पर ही बनाया था. इस फिल्म में उन्होंने फिल्म के संगीत के साथ खूब प्रयोग किए और हिंदी सिनेमा दर्शकों ने इसे पसंद भी खूब किया. वो डिस्को का दौर था और फिल्म के सारे गाने फिरोज खान ने उसी अंदाज में बनवाए भी और फिल्माए भी.