रामसे ब्रदर्स बॉलीवुड फिल्ममेकर्स की फैमिली और फतेहचंद रामसिंघानी के बेटों के लिए एक नाम था जो उन्हें संबोधित करने के लिए उपयोग किया जाता था. रामसे ब्रदर्स सात भाई थे जिन्होंने 70 और 80 के दशक में लगभग 30 हॉरर फ़िल्में बनाकर बड़े पर्दे पर ऐसा डर दिखाया कि लोग कांपने को मजबूर हो गए. सात भाइयों में तुलसी रामसे सबसे बड़े थे. इसके बाद श्याम रामसे, गंगू रामसे, कुमार रामसे, केशु रामसे, किरण रामसे और अर्जुन रामसे का नाम था.



भाइयों ने फिल्ममेकिंग के दौरान अपने अलग-अलग डिपार्टमेंट बांट रखे थे. कोई साउंड डिपार्टमेंट देखता था तो कोई स्क्रिप्टिंग तो कोई सिनेमेटोग्राफी.इनमें सबसे बड़े तुलसी रामसे डायरेक्शन की बागडोर संभालते थे. विभाजन से पहले रामसे रामसिंघानी हुआ करते थे जो कराची और लाहौर में इलेक्ट्रॉनिक की शॉप चलाते थे. विभाजन के बाद फतेहचंद अपने सातों बेटों के साथ मुंबई आ गए. हिंदी फिल्मों की चमक उन्हें यहां खींच लाई और फिर वह शहीद-ए-आजम भगत सिंह, रुस्तम सोहराब और एक नन्ही मुन्नी लड़की थी से शो बिजनेस में उतरे. फ़िल्में फ्लॉप रहीं और रामसे ब्रदर्स कर्जे में दब गए लेकिन नन्ही मुन्नी लड़की थी के एक सीन से उन्हें आईडिया आया.



एक सीन में पृथ्वीराज कपूर शैतान का मास्क पहनकर लूट करने आते हैं और उन्हें देख मुमताज़ डर जाती हैं. फिल्म फ्लॉप रही लेकिन शैतान वाले सीक्वेंस को पसंद किया गया. इसके बाद रामसे ने दो गज जमीन के नीचे में भूत का एक्सपेरिमेंट किया और फिर रिलीज होते ही हाउसफुल हो गई. रामसे ब्रदर्स कामयाब हो गए और एक के बाद एक तकरीबन 30 हॉरर फिल्मों का निर्माण कर दिया जिनमें हॉरर के अलावा ग्लैमर का कॉकटेल भी देखने को मिला.


उनकी चर्चित फिल्मों में गेस्ट हाउस, वीराना, पुराना मंदिर, पुरानी हवेली, दरवाज़ा, बंध दरवाजा और टीवी सीरीज जी हॉरर शो का निर्माण किया जो सफल रहीं. जहां किसी हिंदी फिल्म को बनने में 50 लाख रूपए का बजट चाहिए होता था वहीं, दो गज जमीन के नीचे जैसी फ़िल्में 3.5 लाख के बजट में 40 लाख रुपए में तैयार हो जाया करती थीं.