1975 में आई फिल्म शोले का हर किरदार तो अपने आप में खास था लेकिन सूरमा भोपाली(Soorma Bhopali) बने जगदीप(Jagdeep) की तो बात ही निराली थी. अपनी कॉमेडी से जगदीप ने ना सिर्फ शोले में बल्कि कई फिल्मों में अपनी छाप छोड़ी थी. आपको बता दें कि जगदीप ने अपनी ज़िंदगी में काफी स्ट्रगल देखा था और उसके बाद वह बॉलीवुड में जगह बनाने में कामयाब हो पाए थे. 29 मार्च 1939 को दतिया मध्य प्रदेश में जन्मे जगदीप का रियल नेम सैयद इश्तियाक जाफरी था. 81 साल की उम्र में उनका निधन 8 जुलाई,2020 को हुआ था.


जगदीप के संघर्षों की बात करें तो उनके पिता की मौत तभी हो गई थी जब जगदीप बहुत छोटे थे. पिता की मौत से जगदीप का परिवार रास्ते पर आ गया. उनकी मां सब बच्चों के साथ काम के सिलसिले में मुंबई आ गईं. यहां उन्हें एक अनाथ आश्रम में खाना बनाने का काम मिला. 




जगदीप से अपनी मां का ये संघर्ष देखा नहीं गया और वह पढ़ाई छोड़कर सड़कों पर साबुन ,कंघी जैसे सामान बेचने लगे. एक बार जगदीप सड़क पर सामान बेच रहे थे तभी फिल्मों में एक्स्ट्रा सप्लाई करने वाला एक बंदा आया जो कि बीआर चोपड़ा की फिल्म अफसाना के लिए कुछ चाइल्ड आर्टिस्ट ढूंढ रहा था. वह जगदीप को फिल्म स्टूडियो ले गया. वहां जगदीप को भीड़ में सेट पर खड़े होकर सिर्फ ताली बजानी थी जिसके लिए उन्हें 3 रुपए मिल गए. इसके बाद धीरे-धीरे चाइल्ड आर्टिस्ट बने जगदीप को बड़े होते-होते कुछ फिल्मों में काम मिलने लगा. बिमल रॉय की दो भीगा ज़मीन ने उन्हें टैलेंट दिखाने का मौका दे दिया.




इसके बाद जगदीप ने पीछे मुड़कर नहीं देखा. इसके बाद 1975 में आई शोले ने उनके फ़िल्मी करियर को नई ऊंचाईयों पर पहुंचा दिया.इस फिल्म में उनके द्वारा निभाए सूरमा भोपाली के किरदार से दिलचस्प कहानी जुड़ी हुई है. शोले के राइटर सलीम जावेद ने इस किरदार को भोपाल के फ़ॉरेस्ट ऑफिसर नाहर सिंह से प्रेरित होकर लिखा था. फिल्म देखने के बाद लोगों ने नाहर सिंह का मजाक उड़ाया जिससे दुखी होकर नाहर सिंह जगदीप से लड़ने के लिए मुंबई पहुंच गए थे. बाद में जगदीप ने जॉनी वॉकर की मदद से नाहर सिंह को वापस भोपाल भेजा था. 


ये भी पढ़ें:


Mogambo से लेकर Ashraf Ali तक, इन किरदारों ने एक्टिंग की दुनिया में Amrish Puri को कर दिया अमर


दो बच्चों को जन्म देने के बाद बेहद दर्द से गुजर रही हैं Kareena Kapoor, सोशल मीडिया पर किया खुलासा