इस एपिसोड में भट्टी साहब खुद एक ऐसे किरायेदार बने हैं जो मकान मालिक की नाक में दम किए रहता है. यही नहीं, भट्टी साहब का पूरा जोर ही इस बात पर रहता है कि कैसे वह किसी ना किसी तरह से मकान पर कब्ज़ा जमा लें. इसी चक्कर में भट्टी साहब एक बार तो जेल की हवा भी खा आते हैं.
हालांकि, कहानी में ट्विस्ट तब आता है जब भट्टी साहब अपने एक दोस्त को उनकी ही तर्ज पर, किसी मकान पर कब्ज़ा करने का आइडिया देते हैं. जिसके बाद शुरू होती है एक ऐसे मकान की तलाश जिसे औने-पौने दाम में खरीदा जा सके. कुछ ही समय में ऐसा मकान मिल भी जाता है, लेकिन तभी पता चलता है कि इस घर पर तो कुछ गुंडों का कब्ज़ा है.खैर इन सभी समस्याओं का हल निकालते-निकालते जब भट्टी साहब शाम को खुद अपने घर पहुंचते हैं तो हक्के-बक्के रह जाते हैं.