कहानी की शुरुआत तब होती है जब जसपाल भट्टी अपने घर की दीवार पर एक कील ठोंक रहे होते हैं. चूंकि कंस्ट्रक्शन घटिया क्वालिटी का होता है तो एक हथोड़ा मारते ही भट्टी साहब की दीवार से ईंट बाहर निकलकर पड़ोसी के टीवी पर गिर जाती है, जिससे पडोसी की 12 हज़ार की टीवी फूट जाती है.
भट्टी साहब और पड़ोसी के बीच टीवी के हर्जाने को लेकर लड़ाई होती है जो हाउसिंग बोर्ड चेयरमैन तक पहुंच जाती हैं. इस बीच यह खबर कि भट्टी साहब की बिल्डिंग का कंस्ट्रक्शन इतना कमज़ोर है कि हथोड़ा मारो तो ईंट निकल जाए, चोरों तक पहुंच जाती है.
इसके बाद जिस बिल्डिंग में भट्टी साहब रहते हैं, वहीं, उनके पड़ोस में एक चोरी हो जाती है और सारा इल्ज़ाम बेचारे भट्टी साहब पर लग जाता है. लोग सोचते हैं कि पहले वाले पड़ोसी की टीवी के 12 हज़ार देने के चक्कर में चोरी उन्होंने की है. हालांकि, कुछ समय बाद फिर से चोर वहां पहुंचते हैं और घटिया कंस्ट्रक्शन के चलते हथोड़ा मारते ही पूरी दीवार उनपर गिर जाती है, तब इस चोरी का भेद खुलता है.
इस बीच सोसाइटी के अध्यक्ष और भट्टी साहब जब ऐसे घटिया कंस्ट्रक्शन की शिकायत करने मंत्री जी के पास जाते हैं, तो क्या देखते कि मंत्री उल्टे उस ठेकेदार का ही सम्मान कर रहे हैं, जिसके घटिया कंस्ट्रक्शन के चलते मोस्ट वांटेड चोर पकड़े गए हैं.