Jeetendra Life Facts: 1960 का दौर था रवि कपूर (Ravi Kapoor) का परिवार मुंबई के एक चॉल में रहता था. उनके पिता और चाचा फिल्मों में ज्वेलरी सप्लाई करने का काम करते थे. पिता के साथ फिल्मों के सेट पर उनका आना जाना लगा रहता. अचानक रवि के पिता की मौत हो गई. परिवार के लिए रवि की जिम्मेदारियां भी बढ़ गईं. वो भी परिवार के काम में हाथ बंटाने लगे. फिल्मों में उनकी दिलचस्पी काफी थी. एक्टर बनने का सपना भी था. उसने अपने चाचा से कहा कि वे उन्हें डायरेक्टर वी. शांताराम से मिलवा दें. वी. शांताराम (V.Shantaram) उस दौर के सबसे दिग्गज डायरेक्टर थे. 
 
मुलाकात हो गई और वी. शांताराम ने रवि को रिजेक्ट भी कर दिया. लेकिन, उन्होंने हार नहीं मानी. वो रोज सेट पर बतौर एक्स्ट्रा काम करने लगा, 150 रुपया महीना पगार भी मिलने लगी. एक दिन फिल्म का एक सीन शूट किया जाना था, जिसमें हीरोइन को आग में से निकलना था. हीरोइन वी. शांताराम की बेटी संध्या थीं, जो गजब की डांसर थी. संध्या को आग में से निकलने में कुछ हो ना जाए इसलिए वी. शांताराम चाहते थे कि कोई बॉडी डबल ये काम कर दे. कोई लड़की तैयार नहीं हुई.लेकिन, रवि ने इसे एक मौका समझा. 




 
उसने वी. शांताराम से कहा कि वो ये सीन करने को तैयार है. शांताराम उसे देखते रह गए. कोई और विकल्प था नहीं तो रवि को ही लड़की के कपड़े पहनाए गए. मेकअप किया गया. फाइनली आग से में निकलने वाला सीन भी शूट हो गया. वी. शांताराम उस लड़के से खुश हो गए जो पहले ही रिजेक्ट हो चुका था, सेट पर एक्स्ट्रा का काम कर रहा था. 




 
वी. शांताराम ने रवि को अपने पास बुलाया और कहा, शाबाश तुमने गजब की हिम्मत दिखाई. मैं तुम्हें अपनी अगली फिल्म में हीरो बनाऊंगा.उन्होंने अपना वादा निभाया भी. फिल्म बनाई और उसमें हीरो भी लिया उसी रवि कपूर को लेकिन उसका नाम बदल दिया. नया नाम रखा जीतेंद्र (Jeetendra). गीत गाया पत्थरों ने चली और जीतेंद्र का करियर भी.


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