बॉलीवुड के सुपरस्टार दिलीप कुमार (Dilip Kumar) किसी परिचय के मोहताज नहीं है. उन्होंने हिंदी सिनेमा को इतनी बेहतरीन फ़िल्में दी हैं कि उनकी पॉपुलैरिटी आज भी बरकरार है. लेकिन अपने करियर के पीक पर दिलीप कुमार के साथ एक ऐसा वाक्या हुआ था जिसने उन्हें ज़िंदगी की सबसे बड़ी सीख भी दे डाली थी. दिलीप कुमार ने इसका जिक्र अपनी बायोग्राफी 'द सब्सटेंस एंड द शैडो' में किया था.
दिलीप कुमार ने एक किस्सा साझा करते हुए बताया था कि 60 के दशक में एक बार फ्लाइट में सफर करते हुए उनका सामना बिजनेस टायकून जेआरडी टाटा से हुआ था और वह उन्हें पहचान भी नहीं पाए थे जिससे एक्टर हैरान रह गए थे. दिलीप कुमार ने अपनी किताब में लिखा है, 'आप चुपचाप बैठे हैं, अपना विंडो व्यू एन्जॉय कर रहे हैं और अचानक से कोई एक्टर आपके बगल में आकर बैठ जाए तो आप क्या करेंगे? लेकिन जेआरडी टाटा ने मुझे कोई रिएक्शन नहीं दिया. मैंने उनसे कहा, 'आप फ़िल्में देखते हैं'. उन्होंने कहा, 'बहुत कम, मैंने सालों पहले कोई फिल्म देखी थी.'
उन्होंने मुझसे पूछा, 'आप क्या करते हैं, मैंने कहा-मैं एक्टर हूं इसके बाद मैं समझ गया कि वो किसी दिलीप कुमार को नहीं जानते.इसके बाद टाटा ने उनसे कोई सवाल नहीं पूछा. इसके बाद दिलीप कुमार के मुताबिक, उस दिन उन्हें ज़िंदगी का सबसे बड़ा सबक मिला और वो ये था-आप कितने भी बड़े बन जाएं, हमेशा आपसे बड़ा भी कोई ना कोई जरूर होगा. साफ है कि इस घटना से दिलीप कुमार के सिर से स्टारडम का नशा उतर गया था.'