एक्सप्लोरर

चुनाव परिणाम 2024

(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)

Kaagaz Review: जिंदा इंसान को लतीफा बनाते सरकारी बही-खाते से है यह लड़ाई, फिर छाए पंकज त्रिपाठी

फिल्म में संवाद है कि हमारा सिस्टम आम आदमी के उत्पीड़न हथियार बन गया है. कागज सिस्टम के शिकार ऐसे जिंदा आदमी की कहानी है, जिसे सरकारी फाइलों में मरा घोषित कर दिया है. व्यंग्य और विडंबना की धार यहां तब तेज हो जाती है, जब इस आदमी की पत्नी मांग में सिंदूर भरे, मंगलसूत्र पहने विधवा पेंशन लेने सरकार के पास पहुंच जाती है.

Kaagaz Review: यह कहानी सत्य घटनाओं पर आधारित है. उत्तर प्रदेश में बीती सदी के आखिरी बरसों में लाल बिहारी मृतक के मामले ने सुर्खियां बटोरी थीं. रिश्तेदारों ने सरकारी कागजों में उन्हें मृत घोषित करके उनकी जमीन हड़प ली थी. लाल बिहारी ने इन्हीं कागजों में फिर से खुद को जिंदा साबित करने के लिए लंबी लड़ाई लड़ी. उन्हें कभी पगलैट कहा गया तो कभी ड्रामेबाज. लेकिन सरकारी कागजों में जीते जी मृतक हो जाने वाले लाल बिहारी अकेले नहीं थे, उनके जैसे हजारों थे और आज भी हैं. लेखक-निर्देशक सतीश कौशिक की फिल्म कागजों पर होने वाली जालसाजी के बहाने इन मृतकों की लड़ाई सामने लाती है.

पंकज त्रिपाठी 2020 में ओटीटी के सबसे चमकते सितारे थे. 2021 में भी उनकी शुरुआत शानदार है. कागज उनके मुकुट का नया मोती है. निश्चित ही उन्होंने जी5 पर आई 116 मिनट की इस फिल्म को रोचक बनाए रखने में कड़ी मेहनत की और भरत लाल बनकर लाल बिहारी के जीवन को जीया. फिल्म अलग-अलग मोड़ों से गुजरती हुई बार-बार सवाल करती है कि क्या कागज की कीमत आदमी से ज्यादा है. वह भी तब जबकि आदमी सामने जिंदा खड़ा हो. वह जज जो कचौड़ी देख कर यह जज कर लेता है कि वह किस दुकान की है, आदमी और कागज में फर्क को जज करके फैसला नहीं दे पाता. सिस्टम की फाइल में लगा कागज लोहे की मजबूत जंजीर में बदल जाता है. फिल्म में न्याय व्यवस्था से जुड़े करदार स्वीकार करते हैं कि हमारा सिस्टम आम आदमी के उत्पीड़न का हथियार बन गया है. वह 1980-90 का दौर था, जहां जाने कितने भ्रष्ट लेखपालों/रजिस्ट्रार ने रिश्वत लेकर जाने कितने जिंदा लोगों को अपनी कलम से मार दिया. आज ऑन लाइन दौर में भी अपने जिंदा होने के सुबूत के तौर पर बार-बार लगने वाले आधार, पैन, ड्राइविंग लाइसेंस, बिजली बिल, रेंट एग्रिमेंट से लेकर पासपोर्ट की इतनी फोटो कॉपियां करानी पड़ती है कि आम आदमी कागजी लतीफा लगने लगता है.

Kaagaz Review: जिंदा इंसान को लतीफा बनाते सरकारी बही-खाते से है यह लड़ाई, फिर छाए पंकज त्रिपाठी

बीती सदी के आखिरी दो दशक दिखाती फिल्म कागज की कहानी सरल-सहज और सादी है. एक बैंड ग्रुप चलाने वाले भरत लाल जब अपने पंडित दोस्त और पत्नी रुक्मणि (एम.मोनल गुज्जर) के कहने पर बैंक से लोन लेने जाते हैं तो उन्हें कहा जाता है कि गारंटी के रूप में कुछ रख दें, लोन मिल जाएगा. गांव में भरत के पिता के पुश्तैनी खेत हैं. वहां जाने पर भरत को पता चलता है कि दो साल पहले चाचा-चाची और चचेरे भाइयों ने लेखपाल को भेंट-चढ़ावा देकर कागजों में उसे मरवा दिया. उसकी जमीन अपने नाम लिखवा ली. अब क्या हो सकता है. फिर से जिंदा होने का प्रमाणपत्र जुटाना. आगे की कहानी भरत लाल की इन्हीं कोशिशों को दिखाती हैं परंतु इसके बीच में लेखक-निर्देशक सतीश कौशिक ने अपने नायक के जीवन की कुछ आकर्षक विडंबनाएं दिखाई हैं. भरत लाल मर चुका है मगर उसके घर में बेटी जन्म लेती है. एक दृश्य सिस्टम के चेहरे पर तमाचे जैसा है जिसमें भरत लाल मृतक की पत्नी सरकारी विभाग में विधवा पेंशन के लिए आवेदन करने जाती है और अधिकारी उससे कहता है कि तुम्हारी तो मांग में सिंदूर भरा है और तुमने गले में मंगलसूत्र भी पहन रखा है.

Kaagaz Review: जिंदा इंसान को लतीफा बनाते सरकारी बही-खाते से है यह लड़ाई, फिर छाए पंकज त्रिपाठी

वसीम बरेलवी का शेर हैः उसूलों पर जहां आंच आए टकराना जरूरी है/जो जिंदा हो तो फिर जिंदा नजर आना जरूरी है. यहां उसूलों से ज्यादा भरत लाल की पूरी जिंदगी दांव पर लगी है और सतीश कौशिक ने कहानी का फोकस उसके जिंदा साबित करने की कोशिशों पर रखा है. वह भरत लाल के नजरिये से सिस्टम को दिखाते हैं. अपनी तरफ से कुछ खास अतिरिक्त नहीं जोड़ते. इससे फिल्म में कसावट है. भरत लाल द्वारा अखिल भारतीय मृतक संघ बनाना, 1989 में अमेठी से राजीव गांधी के खिलाफ चुनाव लड़ने से लेकर लखनऊ की सड़कों पर अपनी और अन्य कागजी मृतकों की शवयात्रा निकालना फिल्म के कुछ हाई-पॉइंट हैं. इनमें व्यंग्य भी है. फिल्म के संवाद भी पते की बातें कहते हैं. जैसेः ‘कर्जा लेना कुत्ता पालने जैसा है. कहने को वह सुरक्षा देता है. फिर रोज भौंक-भौंक कर रोटी मांगता है. समय से रोटी न दो काट लेता है. ’ और ‘कोर्ट-कचहरी न्याय के वे देवता हैं जो समय और सपनों की बलि मांगते हैं.’

Kaagaz Review: जिंदा इंसान को लतीफा बनाते सरकारी बही-खाते से है यह लड़ाई, फिर छाए पंकज त्रिपाठी

एक दौर में सतीश कौशिक ने हम आपके दिल में रहते हैं (2000), हमारा दिल आपके पास है (2000), मुझे कुछ कहना है (2001) और तेरे नाम (2003) जैसी कामयाब फिल्में दी थीं. इसके बाद वह आधा दर्जन फिल्मों में असफल रहे लेकिन कागज के साथ वह फिर दिल को छूने में सफल हैं. कागज को सलमान खान का भी सहारा मिला है. वह इसके निर्माताओं में शुमार हैं. फिल्म में उन्होंने कागज शीर्षक से कविता भी पढ़ी है. फिल्म का गीत-संगीत अच्छा है. सैंया सौतनों से भरे सारे यूपी के बाजार... जैसा आइटम सांग/डांस (संदीपा धर) भी अपनी उपस्थिति दर्ज करा लेता है.

ENT LIVE

ABP Shorts

और देखें
Advertisement
Advertisement
25°C
New Delhi
Rain: 100mm
Humidity: 97%
Wind: WNW 47km/h
Advertisement

टॉप हेडलाइंस

I Want To Talk BO Collection Day 2: अभिषेक बच्चन को मिला वीकेंड का फायदा, दूसरे दिन बढ़ा 'आई वॉन्ट टू टॉक' का कलेक्शन
अभिषेक बच्चन की 'आई वॉन्ट टू टॉक' की बढ़ी कमाई, देखें कलेक्शन
Delhi Air Pollution: दिल्ली में प्रदूषण से घुटने लगा दम, सांस लेना मुश्किल, इन इलाकों AQI 400 के पार 
दिल्ली में प्रदूषण से घुटने लगा दम, सांस लेना मुश्किल, इन इलाकों AQI 400 के पार 
IND vs AUS: ऑस्ट्रेलिया के लिए रवाना हुए कप्तान रोहित शर्मा, एडिलेड टेस्ट में लेंगे हिस्सा
ऑस्ट्रेलिया के लिए रवाना हुए रोहित शर्मा, एडिलेड टेस्ट में लेंगे हिस्सा
'मेरे वोट क्यों गिन रहे हो', नोटा से भी कम वोट पाकर एजाज खान चर्चा में, इस अंदाज में दिया ट्रोलर्स को जवाब
'मेरे वोट क्यों गिन रहे हो', नोटा से भी कम वोट पाकर एजाज खान चर्चा में, इस अंदाज में दिया ट्रोलर्स को जवाब
Advertisement
ABP Premium

वीडियोज

Assembly Election Results : महाराष्ट्र चुनाव में मोदी-योगी के नारों ने कर दिया कमाल | CM YogiAssembly Election Results: Maharashtra में Modi-Yogi के नारों ने किया कमाल? | BJP | CongressAssembly Election Results: महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव की जीत पर PM Modi का धमाकेदार भाषणसावधान ! दिल के धोखे के आगे मौत है ? । Sansani

फोटो गैलरी

पर्सनल कार्नर

टॉप आर्टिकल्स
टॉप रील्स
I Want To Talk BO Collection Day 2: अभिषेक बच्चन को मिला वीकेंड का फायदा, दूसरे दिन बढ़ा 'आई वॉन्ट टू टॉक' का कलेक्शन
अभिषेक बच्चन की 'आई वॉन्ट टू टॉक' की बढ़ी कमाई, देखें कलेक्शन
Delhi Air Pollution: दिल्ली में प्रदूषण से घुटने लगा दम, सांस लेना मुश्किल, इन इलाकों AQI 400 के पार 
दिल्ली में प्रदूषण से घुटने लगा दम, सांस लेना मुश्किल, इन इलाकों AQI 400 के पार 
IND vs AUS: ऑस्ट्रेलिया के लिए रवाना हुए कप्तान रोहित शर्मा, एडिलेड टेस्ट में लेंगे हिस्सा
ऑस्ट्रेलिया के लिए रवाना हुए रोहित शर्मा, एडिलेड टेस्ट में लेंगे हिस्सा
'मेरे वोट क्यों गिन रहे हो', नोटा से भी कम वोट पाकर एजाज खान चर्चा में, इस अंदाज में दिया ट्रोलर्स को जवाब
'मेरे वोट क्यों गिन रहे हो', नोटा से भी कम वोट पाकर एजाज खान चर्चा में, इस अंदाज में दिया ट्रोलर्स को जवाब
Elon Musk: एलन मस्क फिर बने दुनिया के सबसे अमीर शख्स! टेस्ला सीईओ की नेट वर्थ 348 बिलियन डॉलर के पार 
एलन मस्क की नेटवर्थ 348 बिलियन डॉलर के पार, फिर बने दुनिया के सबसे अमीर शख्स
CAT Exam 2024: कल होगी कैट परीक्षा, जानिए मेल-फीमेल के लिए ड्रेस कोड और जरूरी गाइडलाइंस
कल होगी कैट परीक्षा, जानिए मेल-फीमेल के लिए ड्रेस कोड और जरूरी गाइडलाइंस
Samsung Galaxy S25 Series: BIS पर लिस्ट हुए दो अपकमिंग फोन्स, जानें कितनी होगी कीमत
BIS पर लिस्ट हुए दो अपकमिंग फोन्स, जानें कितनी होगी कीमत
Exclusive: 'हिट और फ्लॉप से ऊपर उठ चुके हैं अभिषेक बच्चन', शुजित सरकार ने बताई 'आई वॉन्ट टू टॉक' एक्टर से जुड़ी गहरी बातें
'हिट और फ्लॉप से ऊपर उठ चुके हैं अभिषेक बच्चन', शुजित सरकार ने क्यों कहा ऐसा?
Embed widget