KBC 12: पाबीबेन रबारी और रवि काटपाड़ि ने जीते 25 लाख रुपये, अनुपम खेर ने दिया साथ
पाबिबेन रबारी गुजरात की रहने वाली हैं. उनकी जीवन काफी गरीबी में गुजरा है. वह अब 'पाबिबेग' के नाम से खुद के बैग डिजाइन करती हैं, जो दुनियाभर में मशहूर हैं. रवि काटपाड़ि एक सोशल वर्कर है जो कि जरूरतमंद बच्चों की मदद करते हैं.
'कौन बनेगा करोड़पति 12' कर्मवीर स्पेशल एपिसोड 15 जनवरी को प्रसारित हुआ. इस हॉट सीट पर गुजरात की पाबिबेन रबारी और पेश से सोशल वर्कर रवि काटपाड़ि हॉट सीट पर बैठे. इनका साथ गेम में अनुपम खेर ने भी दिया है.
दोनों कंटेस्टेंट ने मिलकर 25 लाख रुपये जीत लिए जो कि दोनों में बराबर बांटे जाएंगे. 25 लाख के सवाल पर आकर पाबिबेन और अनुपम खेर अटक गए और उन्होंने वीडियो कॉल ए फ्रेंड लाइफलाइन का इस्तेमाल किया. पाबिबेन ने अपने फैमिली फ्रेंड को फोन किया, लेकिन समय सीमा खत्म होने के बाद भी उन्हें उत्तर नहीं मिला.
इसके बाद दोनों ने 'फ्लिप द क्वेश्चन' लाइफलाइन ली. जिसमें सवाल को बदला गया. जो सवाल पहले पूछा गया वह था
किस वैज्ञानिक ने उस सामग्री का आविष्कार किया, जिसके कारण एन-95 मास्क का निर्माण संभव हो सका? इसके 4 विकल्प थे- A)पीटर त्साई B)डेविड बॉल्टिमोर C)कार्लहेंज ब्रैंडनबर्ग D)नील पैपवर्थ, इसका इसका सही जवाब A) पीटर त्साई था.
'फ्लिप द क्वेश्चन' लाइफलाइन लेने के बाद जो सवाल आया वह था –
प्राचीन हिंदू शास्त्रों के अनुसार, इनमें से किसका नाम इस तथ्य के कारण पड़ा कि जब से नवजात थीं तो पक्षियों ने बड़े ही लाड़-प्यार से इनकी रक्षा की थी? इसके विकल्प थे- A)शकुंतला B)सावित्री C)अंबालिका D)उर्वशी.
इस सवाल का सही जवाब A)शकुंतला था लेकिन यह जवाब देने के लिए अनुपम और पाबिबेन ने चौथी और आखिरी लाइफलाइन एक्सपर्ट का इस्तेमाल किया.
कौन हैं पाबिबेन रबारी और रवि काटपड़ि? पाबिबेन रबारी गुजरात के कच्छ जिले के छोटे से गांव भदरोई की रहने वाली हैं. उनका जीवन काफी संघर्षों से भरा रहा. बचपन में ही पिता का देहांत हो जाने के बाद घर-परिवार की जिम्मेदारी उन्होंने ही संभाली. पाबिबेन ने मां के साथ कढ़ाई का काम सीखा और फिर 'हरी जरी' नाम की कढ़ाई में निपुणता पाई. वह अब 'पाबिबेग' के नाम से खुद के बैग डिजाइन करती हैं, जो दुनियाभर में मशहूर हैं.
वहीं रवि पेशे से सोशल वर्कर हैं और दिहाड़ी मजदूरी भी करते हैं. रवि हर साल तरह-तरह के कॉस्ट्यूम पहनकर लोगों का मनोरंजन करते हैं और उनसे जो भी पैसे मिलते हैं, उससे वह जरूरतमंद बच्चों की मदद करते हैं.
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