किस्सा-ए- बॉलीवुड: निदा फाजली की शायरी ऊर्दू अदब में चमकते सितारों की तरह है. वे दिल्ली में पैदा हुए. भारत- पाक विभाजन ने उनके दिल पर गहरा असर डाला. शायरी का शौक उन्हें दिल्ली से मुंबई ले आया. मुंबई में सफल होना उनके लिए इतना आसान नहीं था. सफल होने के लिए निदा फाजली को कड़ा संघर्ष करना पड़ा. संघर्ष के शुरूआती दिन उन्होंने मुंबई की एक चाल में गुजारे. वे फिल्मों में गीतकार बनने का लक्ष्य लेकर मुंबई में आए थे. वो समय 60 के दशक था.


एक अच्छा इंसान ही अच्छा कलाकार बन सकता है. यह बात निदा फाजली की शख्सियत पर सटीक बैठती है. बुरे दौर में भीउन्होंने इंसानियत को नहीं छोड़ा. जब वे फिल्मों में गाने लिखने के लिए संघर्ष कर रहे थे, तब भी वे चाल में रहने वाले बच्चों के लिए टॉफियां ले जाना नहीं भूलते थे. निदा फाजली को बच्चों से बहुत लगाव था. उनका एक शेर इस बात की तस्दीक भी करता है. जिसमें वे कहते हैं कि -


''घर से मस्जिद है बहुत दूर चलो यूं कर लें


किसी रोते हुए बच्चे को हंसाया जाए''

एक बार जब वे पाकिस्तान गए तो वहां के कुछ लोगों ने उनका विरोध किया कि निदा फाजली बच्चों को खुदा से बड़ा समझते हैं. इसके जवाब में निदा फाजली ने कहा कि वे बस इतना जानते हैं कि मस्जिद इंसानों के हाथों से बनती है जबकि बच्चों को अल्लाह अपने हाथों से बनाता है.


ग्वालियर की पथरीली राहें, कश्मीर की खूबसूरत वादियां, दिल्ली के आम आदमी की दुश्विारियां और मुंबई के समंदर सी गहराई को अगर महसूस करना है तो निदा फाजली के नगमे गजलों को जरूर सुनना और पढ़ना चाहिए. निदा फाजली सूरदास, कबीर और गालिब की शायरी से बहुत प्रभावित रहे. निदा की शायरी में इन तीनों की ही झलक मिलती है.


निदा फाजली ने फिल्मों में अधिक गाने नहीं लिखे. लेकिन जितने भी लिखे वे आज भी लोकप्रिय हैं. फिल्म 'सरफरोश' में उनकी गजल 'होश वालों को खबर क्या, बेखुदी क्या चीज है'. जबरदस्त हिट हुई. लेकिन उन्हे पहला मौका दिया मशहूर निर्माता निर्देशक कमला अमरोही ने फिल्म 'रजिया सुल्ताना' में. कमल अमरोही की इस फिल्म में उन्होंने दो गाने लिखे- 'तेरा हिज्र मेरा नसीब है, तेरा गम मेरी हयात है'. ये गाना निदा फाजली का पहला गाना बना. इस फिल्म में एक गाना और लिखा -'आई ज़ंजीर की झन्कार, ख़ुदा ख़ैर कर'. ये दोनों ही गाने बहुत लोकप्रिय हुए.


फिल्म राजिया सुल्तान के बाद बॉलीवुड में निदा फाजली की पहचान बन गई. इसके बाद उन्होनें 'कभी किसी को मुक़म्मल जहां नहीं मिलता'. 'तू इस तरह से मेरी ज़िंदग़ी में शामिल है' जैसे गीत लिखकर बॉलीवुड में धूम मचा दी.


मशहूर गजल गायक जगजीत सिंह से उनकी दोस्ती हुई. ये दोस्ती बहुत गहरी थी. जगजीत सिंह के गजल गायकी को एक मुकाम देने में निदा फाजली की गजलों को बहुत बड़ा योगदान है. जगजीत सिंह की मखमली आवाज में उनकी लिखी गजल 'दुनिया जिसे कहते हैं, मिट्टी का खिलौना है' और 'हर तरफ़ हर जगह बेशुमार आदमी' बहुत ही लोकप्रिय हुईं. इसके बाद जगजीत सिंह ने उनकी लिखीं कई अन्य गजलों को भी अपनी आवाज से सजाया. इसे महज संयोग ही कहा जाएगा कि जिस दिन जगजीत सिंह का जन्म हुआ उसी दिन यानि 8 फरवरी को निदा फाजली ने इस दुनिया को अलविदा कह दिया.


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