पिता के निधन के बाद कम उम्र में की मॉडलिंग और फिर निगेटिव किरदारों की बदौलत परदे पर छा गईं 'मोना डार्लिग'
बिंदू (Bindu) जब महज 13 साल की थीं तभी उनके पिता नानूभाई का देहांत हो गया था. ऐसे में घर चलाने की जिम्मेदारी बिंदू पर आ गई थी. बिंदू ने बेहद कम उम्र से ही मॉडलिंग करना शुरू कर दिया था.
'मोना डार्लिंग’ एक ऐसा नाम जिससे आज भी एक्ट्रेस बिंदू को पहचाना जाता है. जी हां, फिल्मों में अपने नेगेटिव रोल्स, ख़ास कर विलेन्स की चहेती बनने वाली बिंदू ने इंडस्ट्री में अपनी एक अलग ही पहचान बनाई है. आपको बता कि फिल्म ‘जंजीर’ में बिंदू ने ‘मोना’ नाम की लड़की का नेगेटिव किरदार निभाया था. फिल्म में ‘मोना’ विलेन बने अजीत की बेहद ख़ास दिखाई गई थीं और अजीत के एक डायलॉग ‘मोना डार्लिंग’ के बाद तो जैसे लोग उन्हें उनके असली नाम की जगह ‘मोना डार्लिंग’ नाम से ही जानने लगे थे.
आपको बता दें कि बिंदू का जन्म 17 अप्रैल 1951 को गुजरात में हुआ था. आपको बता दें कि बिंदू के पेरेंट्स नानूभाई देसाई और मां ज्योत्सना दोनों थियेटर से जुड़े थे. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, बिंदू जब महज 13 साल की थीं तभी उनके पिता नानूभाई का देहांत हो गया था. ऐसे में घर चलाने की जिम्मेदारी बिंदू पर आ गई थी. आपको बता दें कि घर की ज़रूरतों को पूरा करने के लिए बिंदू ने बेहद कम उम्र से ही मॉडलिंग करना शुरू कर दिया था.
बिंदू ने फिल्मों में एक्ट्रेस की जगह नेगेटिव किरदारों को चुना और अपनी एक पहचान बनाने में कामयाब भी रहीं. बिंदू की एक्टिंग कितनी लाजवाब रहती थी इसका एक किस्सा खुद एक्ट्रेस ने साझा किया था. बिंदू के अनुसार एक बार वो अपनी बहन के बच्चों के साथ उनकी ही एक फिल्म देखने थियेटर गई थीं. यहां बच्चे उन्हें नेगेटिव रोल में देखकर डर गए और पूछने लगे कि आप हमारे साथ तो ऐसा नहीं करतीं फिर फिल्मों में ऐसा क्यों करती हैं? बहरहाल आपको बता दें कि बिंदू को आज भी इम्तिहान, हवस, अमर प्रेम, मेरे जीवन साथी और जंजीर जैसी फिल्मों में बेहतरीन एक्टिंग के लिए जाना जाता है.
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