केंद्र के नए कृषि कानूनों के खिलाफ पिछले दो महीने से ज्यादा समय से आंदोलन कर रहे  किसानों ने गणतंत्र दिवस के मौके पर राजधानी दिल्ली में ट्रैक्टर रैली निकाली थी. इस दौरान किसान तय रूट को ना मानते हुए आईटीओ और लाला किला जा पुहंचे. किसानों ने लाल किले पर अपना झंड़ा भी फहरा दिया. जिसके बाद कई जगहों पर पुलिस और किसानों के बीच भिड़ंत हुई. किसानों ने उपद्रवियों की तरह बैरिकेड तोड़े और कई जगहों पर तोड़फोड़ की गई. इस दौरान किसानों ने पुलिस को भी दौड़ा-दौड़ा कर पीटा. बाद में हालात को काबू में लाने के लिए पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा. पुलिस ने आंसू गैस के भी गोले दागे. दिल्ली में किसानों की ट्रैक्टर रैली के दौरान हुई हिंसा की देशभर में निंदा हो रही है. बॉलीवुड सितारों ने भी इस पर अपनी प्रतिक्रिया दी है.


स्वरा भास्कर ने कई ट्वीट को रीट्वीट किया


सोशल मीडिया पर सबसे ज्यादा एक्टिव रहने वाली सेलिब्रिटी और किसान आंदोलन का समर्थन करने वाली स्वरा भास्कर ने कई ट्वीट को रीट्वीट किया. इन ट्वीट्स में दिल्ली में ट्रैक्टर रैली के दौरान हुई हिंसा की निंदा की गई थी. स्वरा ने इस ट्वीट को रीट्वीट करते हुए एक हार्ट ब्रोकन इमोजी भी शेयर की.





एक्ट्रेस रिचा चड्ढा ने  वीडियो शेयर कर उठाए सवाल


स्वरा के अलावा एक्ट्रेस रिचा चड्ढा ने  अपने सोशल मीडिया एकाउंट पर किसानों पर आंसू गैस और लाठीचार्ज का वीडियो शेयर करते हुए सवाल पूछा है कि आखिर ये क्यों? उनका ये ट्वीट काफी वायरल हो रहा है.





बॉलीवुड की कई फिल्मों में अपनी एक्टिंग का लोहा मनवा चुकी तापसी पन्नू ने भी लाठीचार्ज और आंसू गैस के गोले छोड़ने पर सवाल उठाया है.





रणवीर शौरी ने भी ट्वीट किया कि, “ गणतंत्र दिवस पर ये सब बर्दाश्त नहीं किया जा सकता है. किसान देश से ऊपर नहीं हैं. वे आंदोलन कर सकते हैं लेकिन हिंसा नहीं.”





अक्सर कई मुद्दों पर अपनी बेबाक राय देने वाली अभिनेत्री कंगना रनौत ने भी दिल्ली में हुई किसानों की ट्रैक्टर रैली के दौरान हिंसा पर कड़ा रिएक्शन दिया है. कंगना ने अपने ट्वीटर पर लिखा है कि, “ झुंड बनकर रह गए हैं, अनपढ़, गंवार, मोहल्लों में किसी के घर शादी हो या अच्छा त्योहार आए तो जलने वाले ताऊ/चाचा/ चाची कपड़े धोना या बच्चों को आंगन में शौच करवाना या खटिया लगाके बीच आंगन में शराब पीकर नंगे होकर सो जाना. वही हाल हो गया है इस गंवार देश का. आज तो शर्म कर लो...”





किसानों और सरकार के बीच 11 दौर की बातचीत रही है बेनतीजा


गौरतलब है कि तीनों कृषि कानूनों को निरस्त करने और उनकी फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य पर कानूनी गारंटी देने की मांग को लेकर हजारों किसान, जिनमें ज्यादातर पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के हैं, 28 नवंबर से दिल्ली के कई सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे हैं. सरकार और 41 किसान संगठनों के प्रतिनिधियों के बीच 11वें दौर की वार्ता भी बेनतीजा रही थी. दसवें दौर की वार्ता में सरकार ने नए कृषि कानूनों को एक से डेढ़ साल तक निलंबित रखने की पेशकश की थी, लेकिन किसान यूनियनों ने इसे खारिज कर दिया था. सरकार ने यूनियनों से 11वें दौर की वार्ता में प्रस्ताव पर पुनर्विचार करने और अपने निर्णय से अवगत कराने को कहा था.


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