Lalita Pawar Life facts: बात आज अपने दौर की चर्चित एक्ट्रेस रहीं ललिता पवार (Lalita Pawar) की जिन्हें फिल्मों में उनके निभाए जाने वाले नेगटिव किरदारों की वजह से एक अलग ही पहचान मिली थी. ऐसा नहीं था कि ललिता शुरू से ही नेगेटिव किरदार या कहें करैक्टर रोल्स निभाती थीं बल्कि एक हादसे की वजह से ललिता को ऐसे रोल्स मिलने लगे थे और यही आगे चलकर ललिता पवार की पहचान बन गए थे.
मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो महज 9 साल की उम्र से बतौर चाइल्ड आर्टिस्ट काम कर रहीं ललिता पवार जब बड़ी हुईं तो उन्हें फिल्मों में लीड रोल्स भी मिलने लगे थे. अब बात करते हैं उस हादसे की जिसने ललिता पवार का पूरा जीवन ही बदलकर रख दिया था. असल में ललिता पवार साल 1942 में भगवान दादा (Bhagwan Dada) के साथ एक फिल्म ‘ जंग-ए-आज़ादी’ की शूटिंग कर रहीं थीं. इस फिल्म की शूटिंग के दौरान भगवान दादा को ललिता पवार को थप्पड़ मारना था.
ख़बरों की मानें तो भगवान दादा ने इतनी ज्यादा जोर से ललिता पवार को थप्पड़ मारा कि एक्ट्रेस की एक आंख खराब हो गई. साथ ही चेहरे की नसें डैमेज होने के चलते एक हिस्से में लकवा तक हो गया था. इस दर्द से उबरने में ललिता पवार को तीन साल से ज्यादा का समय लग गया था.
वहीं, जब ललिता पवार ने बॉलीवुड में कमबैक करने की ठानी तो सबकुछ बदल चुका था. ललिता को लीड रोल्स की जगह साइड रोल्स मिलने लगे थे. हालांकि, एक्ट्रेस ने हार नहीं मानी और इन्हीं साइड रोल्स ने उन्हें लोगों के बीच एक अलग पहचान दिलवाई. बता दें कि ललिता पवार को रामानंद सागर (Ramanand Sagar) के चर्चित सीरियस रामायण (Ramayan) में ‘मंथरा’ (Manthara) के रोल के चलते आज भी घर-घर में पहचाना जाता है.
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