Lata Mangeshkar: स्वर कोकिला लता मंगेशकर (Lata Maneshkar) इस दुनिया को अलविदा कहकर जा चुकी हैं. 92 साल की उम्र में रविवार को लता मंगेशकर का निधन हो गया है. कोरोना से संक्रमित होने के बाद लता दीदी को अस्पताल में भर्ती कराया गया था. करीब एक महीने से वह अस्पताल में थी. बीते कुछ दिनों से उनकी हालत स्थिर थी मगर शनिवार को अचानक तबीयत ज्यादा खराब हो गई थी जिसके बाद उन्हें वैंटिलेटर पर रखा गया था. लता मंगेशकर जिंदगी की जंग लड़ रही थीं मगर संगीत के लिए उनका प्रेम बरकरार था. वह अस्पताल में भी गाने सुन रही थीं. वह अपने पिता के गाने सुनती थीं. वॉइसओवर आर्टिस्ट हरीश भिमानी ने इसके बारे में बताया है.
लता मंगेशकर अपने पिता के बेहद करीब थीं. जब उनके पिता का निधन हुआ था तब वह मात्र 13 साल की थीं. वह हमेशा से उनकी बहुत इज्जत करती थीं और अपने आखिरी दिनों में उन्हें बहुत याद करती थीं. अस्पताल में भी वह अपने पिता के गाने सुन रही थीं.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक वॉइस हरीश को लता मंगेशकर के भाई ह्दयनाथ ने बताया था कि लता दीदी आखिरी समय में पिता को याद कर रही थीं. वह अपने पिता के गाने सुन रही थीं और उन्हें गाने की कोशिश करती थीं. लता मंगेशकर के पिता दीनानाथ मंगेशकर एक नाट्य गायक थे. उन्होंने बचपन से ही लता दीदी को गाना सिखाना शुरू कर दिया है वह उन्हें गुरु मानती थीं.
अस्पताल में मंगाए थे ईयरफोन
रिपोर्ट्स के मुताबिक मौत के दो दिन पहले लता दीदी ने अस्पताल में ईयरफोन मंगवाए थे. वह उन्हें सुनती थीं और गाने की कोशिश करती थीं. लता दीदी को अस्पताल में मास्क हटाने से मना किया गया था मगर फिर भी मास्कर हटाकर वह गाने की कोशिश करती थीं.
पिता से था खास रिश्ता
लता मंगेशकर बचपन से ही अपने पिता को गाता देखकर अकेले में उनकी तरह गाना गाने की कोशिश करती थीं. मगर अपने पिता के सामने गाने से डरती थीं. दीनानाथ ने जब लता को 5 साल की उम्र में गाते हुए सुना था को वह चौंक गए थे. उसके बाद वह लता के गुरु भी बन गए थे.
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